कॉलेज की सीनियर गर्ल की सील तोड़ दी

ये बात मेरे कॉलेज की है. वहां पर मेरी एक सीनियर थी, जिसका नाम था मरियम. उसका फिगर २८-३०-३४ का था. मेरी उससे आँख लड़ गयी थी. वो दिखने में बहुत ही खूबसूरत थी. हमारा जो कॉलेज था, वो बस स्टैंड से ३ किलोमीटर दूर था. वो कॉलेज से पैदल ही बस स्टैंड जाती थी. Muslim College Hot XXX

एक बार, मैंने दोस्तों के साथ जा रहा था, मरियम रास्ते में मिल गयी. मैं उसे लिफ्ट देने के लिए रुका और मैंने उसे अपने साथ बैठने के लिए बोला. पर उसने मना कर दिया. मेरे साथ मेरे पर हंस पड़े. बोले – लेजा कर बैठा ले. तभी मैंने कहा, कि तुम लोग शर्त लगा लो. एकदिन ये तुम्हारी भाभी जरुरी बनेगी.

अब मैंने ठान लिया था, उसे पटाने का. मैं रोजाना मरियम को बैठने के लिए पूछता था, वो मना कर देती थी. मैं अपनी बाइक से कॉलेज जाता था. ये सिलसिला ६ दिनों तक चला और सातवे दिन देखा, कि वो मेरा इंतज़ार कर रही थी. मैं उस दिन १० मिनट लेट हो गया था. वो इंतज़ार कर रही थी. मैं बाइक उसके सामने से ले कर जाने लगा, तो उसने बाइक हाथ दे कर रोका और कहा – आज लिफ्ट के लिए नहीं पूछोगे?

मैंने कहा – आप बैठती ही कहाँ हो?

वो बोली – आज मैं बैठ जाती हु. वो मेरी बाइक पर बैठ गयी.

हम लोग कॉलेज से आ गये. अगले दिन, कॉलेज की छुट्टी के बाद, वो मेरे पास आई और बोली – जाकिर, तुम चल नहीं रहे हो? मेरे सभी दोस्तों की आँखे फटी की फटी रह गयी. वो आँखे फाड़ कर देख रहे थे. देखने वाली बात जो थी. वो अपने आप में कयामत थी. हर बंदा उसे पटाना चाहता था. पर किस्मत ने उसे मेरे पास भेज दिया. मैंने उसे बैठाया और बस स्टैंड छोड़ दिया.

वो बोली – जाकिर मुझे तुमसे बात करनी करनी है. तुम मुझे घर तक छोड़ दो. रास्ते में बात करते – करते चलेंगे.

मैं तो यहीं चाहता था. मैंने कहा – क्यों नहीं.. मैं आपको घर छोड़ देता हु.

रास्ते में उसने मुझसे कहा – जाकिर तुम मुझे धौखा नहीं दोगे. मैं तुम्हे पसंद करती हु.

मेरी तो मानो किस्मत ही खुल गयी थी. मैंने कहा – मैं भी आपको पसंद करता हु.

मैंने उसे उसके घर के पास उतार दिया.

वो बोली – आओ ना. चाय पीकर जाना.

मैंने मना किया.. फिर कभी. तो वो नाराज़ होने लगी.

मैंने कहा – नाराज़ ना हो मेरी जान. मैं आता हु, तुम्हारे साथ.

उसके घर पहुच कर देखा, कि उसके घर में कोई नहीं था. सिर्फ उसका १० साल का छोटा भाई था. मरियम ने अपने भाई से पूछा, मम्मी कहाँ है?

उसने कहा – मम्मी डॉक्टर के पास गयी है सानिया आपा को दिखाने. अब आप आ गयी हो, तो मैं भी अपने दोस्तों के साथ खेलने जा रहा हु.

वो इतना कह कर भाग कर बाहर चले गया. मेरी तो मानो सभी अरमान पुरे हो रहे थे. मैं मन ही मन खुश हो रहा था. मरियम किचन में चाय बना रही थी. मैंने उसे किचन में ही पीछे से पकड़ लिया. वो एकदम से घबरा गयी और बोली – जाकिर ये क्या कर रहे हो? भाई ने देख लिया तो, जान के लाले पड़ जायेंगे.

मैंने कहा – तुम्हारा भाई बाहर खेलने चला गया है.

उसने मेरी बात का विश्वास नहीं किया और उसने सभी कमरे देखे. उसका भाई उसे नहीं दिखा. अब मैंने उसे फिर से पकड़ लिया और अपने होठो को उसके होठो पर रख दिया. वो बहुत घबरा रही थी. लेकिन मैंने उसे नहीं छोड़ा. फिर कुछ ही पलो में उसे भी मज़ा आने लगा. वो भी मेरा साथ देने लगी. अब वो काफी गरम हो गयी थी. लेकिन उसको मम्मी के आने का डर था.

मैंने कहा – हम गेट पर नज़र रखेंगे.

मैंने उसके कपड़े उतारने चाहे, तो उसने कहा – सारे मत उतारो. बाद में पहनने में दिक्कत होगी. जो भी करना है, वो ऐसे ही कर लो. मैंने तुरंत ही उसे पकड़ लिया और उसके होठो को खूब चूसा. फिर उसकी सलवार का नाडा खोने लगा. तो वो मना करने लगी. नहीं नहीं कोई आ जायेगा, कोई देख लेगा. पर मैं मान ही नहीं रहा था.

धीरे–धीरे मैंने उसका नाडा खोल दिया. उसने अन्दर पेंटी पहनी थी, तो धीरे से उसे भी उतार दिया. अब मैं उसकी चूत ऊँगली करने लगा. वो काफी गरम हो गयी और बोली – जल्दी करो. तो मैंने अपनी पेंट उतारी और उसकी चूत पर रख कर जैसे ही एक झटका मारा, तो चिल्ला पड़ी.. ऊऊउय्य्य्यीइईईईइ… जल्दी से बाहर निकालो.. बहुत दर्द हो रहा है. जल्दी से बाहर निकालो.

मैंने अपना लंड बाहर निकाला, तो उसे थोड़ा रिलैक्स मिल गया. फिर मैं उसे किस करने लगा और उसके बूब्स दबाने लगा. तो उस पर चुदने का नशा चड़ने लगा. वो बोलने लगी – जान, चोदो ना.. मैंने कहा – तुम तो चिल्लाने लगी थी. अब चिल्लाई तो.

उसने कहा – इस बार डालो और निकालना मत. मैं कितना भी कहू निकालो, चिल्लाओ या रोऊ. चाहे मैं मर क्यों ना जाऊ, तुम बाहर मत निकालना अपना लंड.

मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रखा और दो शॉट में अन्दर चले गया. जैसे ही अन्दर गया, वो चिल्लाई ऊऊऊऊईईईईइमा ऊऊऊ मर गयी. वो छटपटाने लगी, जैसे बिन पानी मछली. पर मैंने लंड नहीं निकाला. थोड़ी देर बाद, वो मज़ा लेने लगी.

वो बड़बड़ाती जा रही थी.. जाकिर पेलो मुझे.. और जोर से .. और जोर से पेलो.. बहुत मज़ा आ रहा था. आआआ आहाहह्ह्ह्ह अहहहः जान.. इतनो दिनों से, मैं चुदना चाहती थी अहहहः अहाहाआः… क्या पेलतो हो..अहहः अहहहः ईईईई और मैंने धकापेल चुदाई चालू रखी. और उसके मम्मे को कस कस कर मसलने लगा. क्या बताऊ, कितना मज़ा आ रहा था.

मेरा लंड उसकी चूत में उसके दोनों बूब्स मेरे दोनों हाथ में, उसके लिप्स मेरे लिप्स पर अहहहहः अहहहाहा आहाहहह्हा..  १५ मिनट तक चुदाई करने के बाद वो अकड़ गयी और अपना पानी छोड़ दिया. थोड़ी देर में, मैं भी उसकी चूत में झड़ गया. थोड़ी देर तक, उसकी चूत में लंड डाले रहने के बाद, बाहर निकाला. तो वो खून से दोनों के कपड़े ख़राब हो गये थे. मैं बाथरूम गया, कपड़े सही किये और बाहर आ गया.

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