मेरा नाम सुकन्या है और भोपाल में में रहती हूँ. मेरी शादी हुए 5 साल हो गये है, लेकिन पता नहीं क्यों मेरी सुहागरात से ही मुझे मेरे पति के साथ सेक्स में मज़ा नहीं आता था? उनका लंड बहुत ही छोटा है और उन्हें सेक्स की अधिक जानकारी भी नहीं है. अब जब मेरी सहेलियाँ कहती कि आज उनके पति ने उनको बहुत थका दिया है तो में बहुत उदास हो जाती थी, क्योंकि मेरे पति आज तक मुझे चरम सीमा तक नहीं ले गये थे. Devar Bhabhi Sex Story
मेरे एक देवर है, उसका नाम संतोष है. अब पता नहीं क्यों मुझे लगने लगा था कि संतोष मेरी प्यास बुझा सकता है? तो मैंने उसे पटाने का प्लान बना डाला. अब में आपको बोर ना करते हुए सीधी अपनी स्टोरी पर आती हूँ. संतोष की उम्र 25 साल है और उसका बदन बहुत मस्त है, वो रोज एक्ससाईज करता है.
अब जब भी वो छत पर एक्ससाईज़ करने जाता तो में कोई ना कोई बहाना बनाकर छत पर चली जाती और उसके बदन को निहार लेती. फिर एक दिन जब में बाहर से घर आई तो मैंने अपनी चाबी से दरवाजा खोला और अंदर आ गई और सीधे मेरे कमरे में चली गई तो संतोष उस टाईम सो रहा था.
फिर थोड़ी देर के बाद वो उठा और उसे मालूम नहीं था कि में घर में हूँ, तो कुछ आवाज़ होने से में अपने कमरे से बाहर आई और संतोष के कमरे की तरफ गई तो मेरी धड़कन रुक गई. अब संतोष के बाथरूम का दरवाजा खुला था और वो टॉयलेट कर रहा था. अब उसका लंड देखते ही मेरे मन में उससे चुदवाने की भूख और बढ़ गई थी. उसका लंड काफ़ी बड़ा था और अब में संतोष को पटाने के तरीके ढूँढने लगी थी. अब में घर में सेक्सी नाइटी पहनने लगी थी और संतोष को अपने बूब्स दिखाने की कोशिश करती थी.
फिर कुछ दिन के बाद मेरे पति को किसी काम से सूरत जाना पड़ गया, तो मैंने सोचा कि संतोष को पटाने का और मज़े लेने का यही सही मौका है, अब घर में सिर्फ़ में और संतोष ही थे. फिर एक दिन मैंने संतोष से कहा कि चलो शॉपिंग मॉल में शॉपिंग करने चले तो मैंने संतोष से कहा कि मुझे ब्रा और पेंटी लेनी है, चलो देख लेते है.
हम अंडरगार्मेंट्स की स्टॉल पर गये तो वहाँ मैंने संतोष के सामने कुछ सेक्सी ब्रा और पेंटी ली और कुछ समान लेकर वापस घर आ गये. अब मैंने डिनर के टाईम सेक्सी नाइटी पहन रखी थी, अब मेरे बूब्स कुछ-कुछ दिख रहे थे. अब संतोष मेरे बदन को देख रहा था, तो मुझे लगा कि अब मौका आ गया है कि फाइनल कोशिश कर ली जाए.
अगले दिन जब में नहाने गई तो मैंने जानबूझ कर अपने अंडरगारमेंट्स और टावल बाहर ही रख दिए. फिर थोड़ी देर के बाद मैंने संतोष को बुलाया और कहा कि मेरे अंडर गारमेंट्स पकड़ा दे तो उसने मुझे ब्रा और पेंटी लाकर दे दी. अब उसके चेहरे पर हल्की सी मुस्कान देखकर में समझ गई थी कि संतोष अब तैयार हो जाएगा.
अब मैंने रात को अपने कमरे का दरवाजा खुला छोड़ दिया था और सो रही थी तो मैंने कुछ आहट महसूस की तो में समझ गई कि संतोष है और वो मुझे देखना चाहता है. फिर में सोने का बहाना बनाकर बेड पर लेती रही. अब संतोष दरवाज़े पर से मुझे देख रहा था और फिर थोड़ी देर के बाद वो चला गया.
अगले दिन डिनर करने के बाद मैंने संतोष से पूछा कि क्या बात है कल तुम्हें नींद नहीं आई क्या? तो उसने कहा कि नहीं भाभी अच्छी नींद आई. फिर मैंने कहा कि तो फिर तुम मेरे कमरे के बाहर क्या कर रहे थे? तो संतोष शरमा गया. फिर मैंने कहा कि क्यों शरमा रहे हो? तुम्हें क्या चाहिए? तो वो कुछ नहीं बोला.
मैंने उसे एक किस किया तो वो बोल पड़ा कि भाभी प्लीज मुझे आपको चोदना है. फिर मैंने कहा कि पागल लड़के में तो इतने दिनों से इसके लिए तरस रही हूँ, चल अब देर मत कर. तो उसने मुझे अपनी बाहों में भर लिया और पागलों की तरह किस करने लगा. अब मेरी चूत गीली हो गई थी.
फिर उसने मेरी नाइटी उतार दी और अब में ब्रा और पेंटी में मेरे प्यारे देवर के सामने खड़ी थी. अब में तड़प रही थी कि कब संतोष मुझको चोदेगा? फिर उसने मुझे पूरा नंगा कर दिया और खुद भी नंगा हो गया, अब उसका लंड देखकर में बहुत खुश हो रही थी. फिर मैंने उसके लंड को अपने हाथ में लिया, तो उसका लंड मेरे पति के लंड से डबल बड़ा और मोटा था.
अब संतोष मेरी चूत को बेरहमी से चाट रहा था और अब मेरे लंड का पानी निकल रहा था और संतोष उसे पी रहा था और बोला कि भाभी आपका नमकीन पानी बड़ा टेस्टी है. फिर वो मेरे बूब्स को चूसने लगा तो मैंने कहा कि संतोष प्लीज अब रहा नहीं जा रहा है, प्लीज अपने लंड को मेरो चूत में डालो और चोद डालो मुझे. फिर उसने मेरी चूत में अपने बड़े से लंड को डाला और हल्का सा धक्का दिया तो मुझे हल्का सा दर्द हुआ और जैसे ही उसका पूरा लंड मेरी चूत में घुस गया, तो मेरी चीख निकल गई.
अब वो ज़ोर-ज़ोर से धक्का लगाने लगा था और अब तो में सातवें आसमान पर थी. अब संतोष मुझे मस्त होकर चोद रहा था, अब मेरे मुँह से आवाज़े निकल रही थी ऊऊहह में मर गई रे संतोष, अपनी भाभी का क्या कर डाला रे? ज़ोर से चोद, आज तेरी इस भाभी को जिंदगी का सारा मज़ा दे दे, अब इस दौरान में 3 बार झड़ गई थी.
मैंने कहा कि देवर जी अब मेरी इस प्यासी चूत में अपनी पिचकारी छोड़ दो और मुझे अपने बच्चे की माँ बना दो, ओह ज़ोर से संतोष जोर से, आआआआहहहहह और फिर उसने अपनी पिचकारी मेरे अंदर ही छोड़ दी. फिर तो ये सिलसिला कई दिनों तक चलता रहा और मैंने एक सुंदर से बच्चे को जन्म दिया, जो कि मेरे देवर की निशानी है. अब मेरे देवर की शादी हो गई है और अब मुझे सेक्स की बहुत ज़रूरत है.