प्रेमांन्दम पारिवारिक चुदाई की संस्था

हमारी एक संस्था है – प्रेमांन्दम, जिसका मूल मंत्र है – – परम् आनंद, परम सु़खम्, स्वर्गानंदम। मूल मंत्र – परम सु़खम्, स्वर्गानंदम,परम् आनंद्, यानि केवल आनंद, जीवन में आनंद ही सब कुछ है, यही सुख है, यही स्वर्ग है। ये शरीर कुछ नहीं है, आत्मा ही सब कुछ है। सभी रिस्ते शरीर से कारण होते हैं। Desi Incest Sex Society

आनंन्द जीवन का ध्येय है और शरीर उसका माध्यम। इसलिए परम आत्मा को जानने के लिए शरीर को जानना जरूरी है। परम आनन्द की अनुभूति शरीर के द्वारा अनुभव किये ये आनंन्द से ही होती है। इस लिए इस शरीर के द्वारा हमें आनन्द के उच्चतम् से उच्चम् शिखर को प्राप्त करना चाहिए जहां स्वर्गानंद की अंतिम ऊँचाई को प्राप्त करना चाहिए.

ये शरीर कुछ नहीं है, आत्मा ही सब कुछ है। सभी रिस्ते शरीर से कारण होते हैं। आनंन्द जीवन का ध्येय है और शरीर उसका माध्यम। इसलिए परम आत्मा को जानने के लिए शरीर को जानना जरूरी है। परम आनन्द की अनुभूति शरीर के द्वारा अनुभव किये ये आनंन्द से ही होती है।

इस लिए इस शरीर के द्वारा हमें आनन्द के उच्चतम् से उच्चम् शिखर को प्राप्त करना चाहिए जहां स्वर्गानंद की अंतिम ऊँचाई को प्राप्त करना चाहिए, इसलिए आत्मा की परम आनंन्द की प्राप्ति के लिए शरीर के सभी रिस्तों को भूल कर हमारा लक्ष्य केवल और केवल शरीर के परम सुख और आंनंद की प्राप्ति के परम आनंन्द और परम मोक्ष के लिए हमें अपने शरीर को सौंप देना चाहिए।

क्योंकि शरीर केवल एक माध्यम मात्र है इससे जुड़े किसी रिस्ते किसी बंधन का कोई अर्थ नहीं है। इस संस्था का मूल तत्व परिवारिक संभोग है और जो सबसे सही और सबसे आवश्यक है। परिवार में हर किसी को हर किसी से संभोग करना चाहिए और संभोगानंद से बढ़कर कुछ भी नहीं है।

किस भाई का मन बहन के भरे पूरे गोल गोल सुन्दर सुन्दर चुचियों और सुन्दर और प्यारी बुर को देखकर ललचता नहीं है? किस भाई का मन बहन के भरे पूरे गोल गोल सुन्दर सुन्दर चुचियों को देखकर उसे दबाने और चूसने का मन नहीं करता है।

किस भाई को बहन की सुन्दर और प्यारी बुर देखने मन नहीं करता है ? किस भाई को बहन की बुर को चाटने और चूसने मन नहीं करता है। सबका मन करता है लेकिन वह इसे प्रकट नहीं कर सकता है। वहीं बहन दूसरे लड़के से संभोग कर बरबाद होते रहती है।

मतलब स्वादिष्ट गोल गोल और सुन्दर चुचियों और बुर वाली मिठाई से भरी तुम्हारी ही थाली दूसरा कोई खा रहा और शान भी दिखा रहा है तुम्हारी बहन को रंडी और बदचलन कह रहा है और तुम्हें भड़वा। लेकिन तुम उसे खाने की दूर देखने और छुने की इच्छा भी नहीं कर सकते हो। जीव किसी भी बुर में जन्म ले ले लेकिन इसकी इच्छा तीव्रता के बनी हुई रहती है।

यह जीव की मूल प्रवृति है और इसका दमन करना खुद के शरीर, मन और आत्मा के साथ अत्याचार करना है और यह सबसे बड़ी मूर्खता है। इसलिए शरीर के इस स्वाभाविक प्रवृति का अनंत प्रवाह मुक्त रूप से बिना किसी प्रतिरोध के होते रहने देना चाहिए यह शरीर, मन और आत्मा के लिए अति आवश्यक है और परिवार में इसकी पूर्ति मूल और आवश्यक रूप से होनी चाहिए।

हमारी संस्था का प्रत्येक स्त्री पुरूष सबसे पहले ये प्रण लेता है कि — परम सु़खम्, स्वर्गानंदम,परम् आनंद.

अत: मैं अपनी आत्मा को साक्षी मानकर यह प्रण करता/ करती हूं कि शरीर से जुड़े किसी भी सांसरिक रिस्तों का को मैं त्याग कर इस शरीर को केवल एक माध्यम मानते हुए केवल परम आनन्द की उच्चम शिखर को प्राप्ति को अपना लक्ष्य मानते हुए अपने आप को और अपने शरीर को समर्पित करता/करती हूँ। संसार के किसी भी रिस्ते के बंधन और रिस्ते के निषेध का मैं त्याग करते हुए केवल और केवल कामानन्द की प्राप्ति की ओर अग्रसर होते हुए कामानुभूति और संभोग से प्रेमानंद जीवन का सम्पूर्ण उद्देश्य होगा। आज से सभी सांसरिक रिस्तों और बंधनों का परित्याग कर सम्पूर्ण कामानुभुति को ग्रहण करते हुए हर गम्यागमन और अगम्यागमन संभोग साधना में स्वंय को अर्पित करते हुए बिना किसी भेद भाव के कामक्रिया के हर ग्रहतित अग्रहित पथ्य को ग्रहण करते हुए खुद को समर्पित करता/करती हूँ।

मैं प्रण लेता हूँ कि सर्वप्रथम मैं सम्पूर्ण नारित्व का अनुभव अपने मातृ योनि, भगिनी(बहन) योनि, पुत्री योनि में लंड प्रवेश कर योनि भेदन करते हुए संभोग कर प्राप्त करूँगा और अपने परिवार की प्रत्येक स्त्री से संभोग करूंगा और मातृ योनि, भगिनी (बहन) योनि, पुत्री योनि का योनि पान करूँगा और यह प्रतिदिन अनिवार्य से करूँगा। मैं प्रतिदिन अपने मातृ योनि, भगिनी (बहन) योनि, पुत्री योनि से संभोग करते हुए जो संभोग रस प्राप्त होगा उस रस को अपने भोजन के रूप में या भोजन के साथ मिश्रित करके ही अपने सम्पूर्ण परिवार के साथ भोजन करूँगा।

मैं प्रण लेती हूँ कि सर्वप्रथम मैं सम्पूर्ण पुरूत्व का अनुभव अपने पिता, भ्राता, और पुत्र लिंग को अपनी योनि में प्रवेश करवाकर अपनी योनि भेदन करते हुए संभोगसुख और संभोग करते हुए प्राप्त करूँगी और अपने पिता, भ्राता, और पुत्र लिंग से वीर्य पान करूँगी और यह प्रतिदिन अनिवार्य रूप से करूँगी। संभोग करते हुए जो संभोग रस प्राप्त होगा उस रस को अपने भोजन के रूप में या भोजन के साथ मिश्रित करके ही अपने सम्पूर्ण परिवार के साथ भोजन करूँगी। मैं इन सबकी पूर्ण गोपनीयता की शपथ लेता/लेती हुँ।

हमारी संस्था के पूरी दुनिया में नब्बे लाख से ज्यादा परिवार इसके अनुयायी हैं। यहाँ ही तीस लाख से ज्यादा परिवार इसके सदस्य हैं जो एक साल पहले मात्र पांच लाख थी। जब यह संस्था की शुरूवात हुई थी तो मात्र दो सौ परिवार थे। इसके अनुयायियों की संख्या इतनी तेजी से बढ़ रही है कि विश्वास ही नहीं होता है।

इससे सिद्ध होता है लोग उपर से कुछ भी दिखाये लेकिन परिवारिक संभोग की तीव्र इच्छा, चाहत और प्रवृति हरेक व्यक्ति के मन में होती है। लेकिन समाज के भय से इसे प्रकट नहीं करता है। भारत में ही हर 100 परिवार में कम से कम 30 से 40 परिवारों में परिवारिक संभोग किसी ना किसी रूप में मौजुद रहता है और गुप्त रहता है।

लेकिन यहाँ हमारी संस्था में उन्हें खुल कर जीने का मौका मिलता है। इसलिए तो इसकी संख्या काफी तेजी से बढ़ती ही जा रही है। विदेशों के तो साठ लाख से ज्यादा इस संस्था के सदस्य हैं। विदेशों में तो यह एकदम स्वाभाविक सामान्य है। लेकिन हमारे देश में यह गुप्त रूप से होता है।

लेकिन हमारी संस्था की सबसे बड़ी विशेषता है इसकी परम गोपनीयता। कोई भूल कर भी इसके बारे में या अपने घर के परिवारिक संभोग के बारे में कहीं मुंह नहीं खोल सकता है। वरना उसे बहुत कड़ा दंड देने का नियम है। यह अलग बात है कि आज तक किसी ने किसी बाहरी व्यक्ति को कभी कुछ नहीं बताया है।

इसलिए किसी को दंड देने की जरूरत ही नहीं पड़ी है। वैसे भी कौन किसी बाहरी व्यकि को इस सबके में बताकर अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मार लेगा। बच्चों को भी शुरू से बाहर किसी को ये सब ना बताने की इतनी सख्त ताकिद कर जाती है इतना डरा दिया जाता है कि अगर वे अपना मुंह कहीं नहीं खोलते हैं तो उनके साथ बहुत बुरा होगा।

थोड़े बड़े होने के बाद तो वे खुद समझदार हो जाते हैं। उन्हे यह बता दी जाती है कि अगर तुमने किसी को इस सब के बारे में बताया तो तुम जिससे सबसे ज्यादा प्यार करते हो वो तुम्हारे घर के सभी लोग मर जाएंगें। हमारे सभी घनिष्ठ मित्र और रिस्तेदार, हमारी दी और दी की सभी बहनें और उनके पति, उनकी बहनें और सभी रिस्तेदार इस संस्था के सदस्य हैं।

इसमें हम लोग एक दूसरे को परिवार में संभोग करने कराने में हर तरह सहायता करते हैं और हमारी एक वेवसाईट है जिसमें परिवारिक संभोग से संबंधी हर प्रकार की जानकारी, सुझाव, समाधान आदि मिलते हैं और इसमें इस तरह के हर समस्या का सामाधान करते हैं।

इसमें रोज हजारों लाखों प्रश्न पूछे जाते हैं, जिसमें आधे से ज्यादा महिलाएं और 80 % से ज्यादा लड़कियाँ होती है। लाखों महिलाएं तो ये पूछती है वे घर में नग्नता को कैसे बढ़ावा दें ? यानि घर में खुद भी पूरी नंगी रहना चाहना चाहती है और बच्चों को भी पूरा नंगी रखना चाहती है, वो कैसे करें ? लाखों लड़कियाँ घर में पूरी नंगी रहना चाहती है।

लाखों महिलाएं घर में अपने बच्चों के साथ मुख मैथुन को बढ़ावा देना चाहती हैं। रोज लाखों लोग ये बताते है कि वे अपने घर में अपनी बहनों के साथ संभोग करना चाहते हैं। दरअसल दुनिया के लगभग सभी भाई अपनी बहनों के साथ संभोग करना चाहते हैं।

रोज हजारों लोग अपनी बेटियों के साथ संभोग करना चाहते हैं। रोज सबसे ज्यादा करीब लाखो महिलाएं और पुरूष घर में अपने परिवार के साथ सामुहिक संभोग करना चाहते हैं। रोज लाखों लोग इसमें परिवारिक संभोग के अपने अनुभव शेयर करते हैं। किस प्रकार उसने अपनी बहनों के साथ संभोग किया।

बहनों की संभोग करने से भाई बहनों के बीच प्यार घनिष्ट हुआ और उन्हें जीवन का सबसे ज्यादा आनंद आया। अब तो बहुत सारे लोग एक ही बिस्तर पर अपनी पत्नी और अपनी बहन दोनों के साथ सोते हैं और एक ही बिस्तर पर एक ही साथ दोनों की संभोग करते हैं।

तो बहुत सारे लोग एक ही बिस्तर पर अपनी पत्नी और अपनी बेटियों दोनों के साथ सोते हैं और एक ही बिस्तर पर एक ही साथ सबके साथ संभोग करते हैं। वे बताते है कि अपनी बहन और पत्नी को साथ चोदकर उन्हें जीवन का उन्हें एक खुशनुमा अनुभव मिला।

घर में अब एक दम खुला माहौल है। अब तो सभी घर में एकदम नंगे रहते हैं। वहीं उनकी पत्नी सोफे पर बैठकर टीवी देखते रहती है और वहीं बिस्तर पर वे अपनी बहन के साथ संभोग करते रहते हैं। इतना मजा कभी नहीं आया था। दुनिया में लाखो करोड़ो भाई हैं जो एक ही घर में रहते हुए जीवन भरे अपनी बहन की बुर तक नहीं देख पाते ना सुन्दर सुन्दर गोल गोल चुचियों को खुला देख पाते।

वे इतना भी नहीं देख पाते कि उसकी बहन की दोनो चुची और बुर कैसी हैं ? मैं बहुत सौभाग्यशाली हूँ कि मैं अपनी बहनों के साथ संभोग कर रहा हूँ। काश यह सौभाग्य दुनिया के हर भाई को मिले। दुनिया में हर भाई अपनी बहन के साथ संभोग करना चाहता है। लेकिन तरस कर रह जाता है।

सभी बताते हैं कि अब उनके मन में परिवारिक संभोग को लेकर कोई कुंठा नहीं है और घर के सभी लोग सामूहिक रूप से फैमली संभोग कर रहें हैं और उन्हें जीवन का बहुत ही सुन्दर अनुभव और सुख मिला और सभी बहुत खुश है। साथ ही परिवार में उनका आपस का प्यार बहुत बढ़ गया है।

परिवार के सदस्यों का आपस में इतना घनिष्ट सबंध कभी नहीं बना था जो परिवारिक संभोग से बना। लाखों परिवारों की बहन बेटियां जो घर के बाहर संभोग सबंध बनाती थी और बदनामी और ब्लैकमेंलिग का शिकार बनती थी वे अब घर में ही अपने भाईयों से खुब संभोग कर रही है और बहुत खुश है कि जो खुशी बाहर वो दुष्ट लोगों को देती थी वही संभोग और खुशी अपने भाईयों को देकर भाईयों का असीम प्यार पा रहीं है।

उसके मम्मी पापा भी साथ दे रहें हैं। क्योंकि इससे बाहर कहीं बदनामी नहीं होती है और घर की बात घर में ही रहती है और सबको मजा मिलते भी रहता है और घर में भी सब खुश रहते हैं। वे सभी मानने लगी है कि उसकी बुर पर सबसे ज्यादा और पहला हक उसके भाई का होना चाहिए और है।

इसलिए शादी के पहले हर लड़की को अपने भाईयों से जम के संभोग करना चाहिए और भाईयों को भरपुर सुख देना चाहिए और वे अब दे रहीं हैं। इसका मतलब है कि परिवारिक संभोग सभी चाहते हैं लेकिन समाज के डर से छुपना चाहते हैं। इससे पता चलता है कि दुनिया में हजारों लाखों लोग परिवारिक संभोग करना करना चाहते हैं, परिवारिक संभोग के प्रति लोगों के मन में हद से ज्यादा दिवानगी है।

इसलिए इन्टरनेट में सबसे ज्यादा भाई बहन के बीच संभोग की कहानियां सर्च की जाती हैं। सबके मन में इसकी तीव्र प्यास रहती और इसे स्वाभाविक अति जरूरी मानती हैं। वैसे तो हम लोग इसे एकदम स्वाभाविक क्रिया के रूप में मान कर चलते हैं। लेकिन खुलकर नहीं आ पाते हैं।

हमारी संस्था में दो तरह के सदस्य हैं – एक सामान्य सदस्य और दुसरा मूल सदस्य। सामान्य वाले सदस्यों को हम, ग्रुप चेट, WhatsApp, फोन पर, या बातचीत के जरिये या आपस में मिल कर परिवारिक यौन सबंध बनाने में हर तरह की मदद करते है। दूसरे हैं मूल सदस्य वो हैं जो हमारी संस्था में होने वाले हर उत्सवों में भाग ले सकते है और लेते हैं।

वैसे हम अपनी संस्था के सदस्य भी इतनी आसानी से सबको नहीं बनाते हैं। कई स्टेज की परीक्षा और जांच करने के बाद जब संस्था को लगता है कि यह पूरी तरह से संस्था के प्रति समर्पित हो गया है तब ही हम उसे अपनी संस्था के सदस्य बनाते हैं। इसके लिए उस व्यक्ति की जांच पड़ताल करने के लिए हमारी एक तेज तरार और सशक्त जासूसी टीम भी है। जिसकी कई स्तर पर जांच और रिपोर्ट प्राप्त होने पर ही हम सदस्य बनाते हैं।

यह हुई संस्था के सदस्य बनाने की बात। अब तुम्हें संस्था के होने वाले उत्सव के बारे में भी बतातें हैं। इसमें कई महत्वपूर्ण उत्सव होते हैं। ये उत्सव हर सप्ताह कम से कम तीन से चार बार होेते हैं —

योनि पूजन उत्सव,पवित्र संभोग उत्सव,योनि छेदन उत्सवसम सखा भाव संभोग उत्सव.

हमारे आचार्य संभोगानंद जी महाराज बुर पूजन उत्सव में अपनी बेटियों और बहनों की सुन्दर और प्यारी बुर की पूजा कर सुन्दर और प्यारी बुर का पान करते हैं यानी अपनी बहनों और अपनी बेटियों की सुन्दर और प्यारी बुर को चाटते और चूसते हैं और स्वंय सबके सामने अपनी बेटियों और अपनी बहनों से संभोग करते हैं। हमारे आचार्य संभोगानंद जी महाराज ने अपनी तीनो़ संगी बहनों से ही शादी की है और सबकी एक एक बेटियाँ हैं। इस प्रकार हमारे आचार्य जी की तीन पत्नियाँ यानी बहनें और तीन बेटियाँ हैं।

योनि पूजन उत्सव : – इसमें सभी वैसी लड़कियाँ जिनका प्रथम बार ऋतुस्राव यानी मासिक धर्म हुआ है वे अपने परिवार के साथ आती है। सर्वप्रथम परिवार के सभी लोग पूरे नंगे होकर साथ स्नान करते हैं। उसके बाद उसी तरह नग्न अवस्था में ही पूजा कक्ष में सभी लोग एकत्र होते हैं।

सबसे पहले आचार्य अपनी तीनों बहनें और बेटियों के साथ आते हैं देवी को सष्टांग प्रणाम करते अपने सारे वस्त्र उतार कर बिल्कुल नंगे हो जाते हैं और उनकी तीनों बेटियाँ और बहनें भी पूरी नंगी हो जाती हैं। आचार्य एक व्याध्र चर्म आसन पर विराजमान होते हैं और सबका कल्याण हो ऐसा कहकर मंत्र जाप करते हुए सबको अपने वस्त्र उतार कर नग्न हो जाने का आदेश देते हैं।

सभी लोग अपने सभी वस्त्र उतार कर एक बड़े से घड़े में डाल देते और सभी लोग बिल्कुल नग्न हो जाते हैं। आचार्य की सभी पुत्रियाँ पूर्णत नंगी होकर आचार्य के साथ बैठती है। इसमें सबसे पहले देवी की पूजा होने के बाद प्रत्यक्ष सुन्दर और प्यारी योनि की पूजा होती है।

उसके बाद उन सभी कुवांरी लड़कियों को पूजा पटल पर पीठ के बल पैरों को मोड़कर इस तरह लिटाया जाता है कि उसकी बुर पूरी तरह से खुलकर सामने आ जाए। उसके बाद आचार्य उन सभी विधि विधान पूर्वक उन सभी योनियों की पूजा करते हैं।

उसके बाद उन पर काफी मात्रा में लगातार शहद उडेला जाता है। जिसको चाटते हुए और बुर को एकदम अंदर तक चूसते हुए और भरे पूरे गोल गोल सुन्दर सुन्दर चुचियों मर्दन करते हुए प्रसाद स्वरूप उसके परिवार के सभी लोग उस लड़की की सुन्दर और प्यारी बुर से प्रसाद ग्रहण करते रहते हैं।

उसके बाद परिवार के सभी सदस्य परिवार के सभी बुरयों में शहद डालकर योनि (बुर) से योनिपान करके प्रसाद ग्रहण करते हैं। यानि माता की बुर से योनिपान करते हुए पुत्र, बहन की बुर से योनि पान करते हुए भाई प्रसाद ग्रहण करते हैं। पूजा कक्ष में किसी के शरीर में वस्त्र का कोई अंश रहना वर्जित है सभी लोग पूर्ण नग्न अवस्था में ही होते हैं।

इसके बाद इसी तरह परिवार के सभी पुरूष सदस्यों के लंड पर शहद डाला जाता है और परिवार की सभी स्रियां अपने परिवार सभी लिंग का लिंगपान करते हुए प्रसाद ग्रहण करती हैं। यानी पिता का लिंगपान करते हुए बेटी, भाई का लिंगपान करते हुए बहन। इस तरह परिवार के सभी सदस्य आपस में लिंगपान और लिंगपान करते हुए प्रसाद ग्रहण करते हैं।

उसके बाद आचार्य देवी की मूर्ति को सैक्स उत्तेजक शरबत और शराब चढ़ाते हैं और वह सैक्स उत्तेजक शरबत और शराब आचार्य द्वारा जूठा कर लेने के बाद सबको एक बड़े ग्लास में सैक्स उत्तेजक शरबत में थोड़ी थोड़ी शराब मिलाकर सबको दी जाती है। ताकि सबको शुरूर बना रहे। उसके बाद शुरू होता है, पवित्र संभोग साधना उत्सव। “Desi Incest Sex Society”

पवित्र संभोग साधना उत्सव – इसमें परिवार के सभी सदस्य आपस में हर तरह की संभोग करते हैं। लेकिन उस लड़की के साथ संभोग नहीं करते हैं जो कुंवारी होती है। इसमें कोई भी किसी के साथ संभोग कर सकता है। लेकिन अगम्यागमन आवश्यक है।

यानी भाई – बहन, माता – पुत्र, पिता – बेटी संभोग जरूर होना चाहिए। सबसे पहले आचार्य अपने बेटियों और बहनों के सुन्दर और प्यारी बुर को नमन कर उसकी पूजा करके उक्त मंत्र का उच्चारण करते हैं – परम सु़खम्, परम् आनंद, स्वर्गानंदम…

उसके बाद अपनी सभी बहनों और बेटियों का चुची मर्दन करते हुए, भरे पूरे गोल गोल सुन्दर सुन्दर चुचियों को चूसते और मसलते, सहलाते हुए अपने बहनों और बेटियों के साथ संभोग शुरू करते हैं। बाकी लोग भी अपनी बेटियों और अपनी बहनों और परिवार के अन्य स्त्रियों का भरे पूरे गोल गोल सुन्दर सुन्दर चुचियों मर्दन करते हुए संभोग करना शुरू कर देतें हैं।

निर्लज्ज भाव से सभी खुलकर सबके सामने संभोग करते हैं। यह संभोग कई चरणों में चलती है, लेकिन हर बार जोड़ा बदल जाता है। यह क्रम तब तक चलते रहता है जब तक परिवार के सभी पुरूष अपने परिवार की सभी स्त्रियों से संभोग नहीं कर लेते हैं।

संभोग क्रिया सम्पन्न हो जाने के बाद सभी स्त्रियों की बुर से टपकते संभोगरस को जमा कर लिया जाता है और उसे भोजन में मिला दिया जाता है। संभोग क्रिया सम्पन्न हो जाने के बाद सभी स्त्रियों के बुर से टपकते संभोग रस को जमा कर लिया जाता है और उसे भोजन में मिला दिया जाता है। “Desi Incest Sex Society”

सभी लोग छक्क कर भरे पेट उस भोजन को करते हैं। भोजन में मांस, मछली अनिवार्य रूप से रहता है और एक निश्चित मात्रा थोड़ी थोड़ी शराब दी जाती है। भोजन करने के बाद सभी देवी और आचार्य को सष्टांग प्रणाम करके विदा हो जाते हैं।

उसके बाद यह आवश्यक और जरूरी नियम है कि कम से कम एक महिने तक या उस लड़की के अगले महिने के मासिक स्त्राव तक घर में वह लड़की बिल्कुल ही नंगी रहेगी और परिवार के सभी सदस्य भी बिलकुल ही नंगें रहेगें और रात को सभी सदस्य एक साथ बिल्कुल ही नंगें सोयेगें।

इस दिन के बाद से उस घर के पुरूष जन यानी उस लड़की के भाई या पिता उस लड़की को पूर्णत नंगी करके स्नान करवायेगा और खुद भी नंगा रहेगा और घर के सभी लोग अपने घर की उस कुंवारी लड़की के पवित्र सुन्दर और प्यारी बुर की पूजा करके उस पवित्र बुर से चाट चूसकर प्रसाद ग्रहण करेंगें।

योनि छेदन उत्सव :- इस उत्सव में कुंवारी कन्याएं अपने परिवार के साथ लायी जाती है जो कुंवारी होती है यानि उनका सुन्दर और प्यारी बुर का छेदन नहीं हुआ है यानी बुर की सील नहीं टूटी है यानि अभी तक उसके साथ संभोग नहीं किया है। सर्वप्रथम परिवार के सभी लोग पूर्ण नग्न होकर एक साथ स्नान करते हैं। “Desi Incest Sex Society”

उसके बाद उसी तरह नग्न अवस्था में ही पूजा कक्ष में सभी लोग एकत्र होते हैं। आचार्य देवी की मूर्ति को सैक्स उत्तेजक शरबत और शराब चढ़ाते हैं और वह सैक्स उत्तेजक शरबत और शराब आचार्य द्वारा जूठा कर लेने के बाद सबको एक बड़े ग्लास में सैक्स उत्तेजक शरबत में थोड़ी सी शराब मिलाकर सबको दी जाती है।

उसके बाद उन सभी लड़कियों को पूजा पटल पर पीठ के बल पैरों को मोड़कर इस तरह लिटाया जाता है कि उसकी बुर पूरी तरह से खुलकर सामने आ जाए और बुर अंदर तक खुल कर सामने आ जाए। उसके बाद आचार्य उन सभी विधि विधान पूर्वक उन सभी बुर यों की पूजा करते हैं।

उसके बाद उन पर काफी मात्रा में लगातार शहद उडेला जाता है। जिसको चाटते हुए और बुर को एकदम अंदर तक चूसते हुए और भरे पूरे गोल गोल सुन्दर सुन्दर चुचियों मर्दन करते हुए प्रसाद स्वरूप उसके परिवार के सभी लोग उस लड़की की बुर से प्रसाद ग्रहण करते रहते हैं।

यह संभोग उत्तेजक शरबत और शराब आचार्य द्वारा जूठा कर लेने के बाद सबको एक बड़े ग्लास में संभोग उत्तेजक शरबत में शराब मिलाकर सबको दी जाती है। शरूर और उत्तेजना चरम शिखर पर हो जाती है और सबका लंड खड़ा होकर लोहे के रड के समान टाईट हो जाता है तब उस लड़की के भाई को अपने उत्तेजित लंड से अपनी बहन के साथ संभोग कर उस लड़की के सुन्दर और प्यारी योनि का छेदन करने की आज्ञा देते हैं। “Desi Incest Sex Society”

उसमें घर की अन्य स्त्रियां भाई को अपनी बहन की बुर का छेदन करने में सहायता करती है। भाई अपने उत्तेजित लंड को अपनी बहन की बुर में प्रवेश कराता है और अपनी बहन का सुन्दर और प्यारी बुर का छेदन करता है यानि बुर की सील तोड़ता है।

संभोग कर उस लड़की का सुन्दर और प्यारी बुर का छेदन कर देने के बाद लड़की का भाई कई बार अपनी बहन के साथ खुब संभोग करता है। अंत में उस लड़की बुर से टपकते रक्त मिश्रित संभोग रस के एक भाग को देवी को चढ़ाकर उस संभोगरस को उस लड़की को और संभोग करने वाले भाई को पिला दिया जाता है और बाकि बचे संभोगरस को भोजन में मिलाकर परिवार के सभी लोग उस भोजन को ग्रहण करते हैं।

भोजन में मांस, मछली अनिवार्य रूप से रहता है, भोजन करने के बाद सभी देवी और आचार्य को सष्टांग प्रणाम करके विदा हो जाते हैं। उसके बाद वह लड़की अपने भाई और पिता के अलावे अपने परिवार किसी के साथ संभोग कर सकती है। वैसे बहन की बुर पर भाई का पहला अधिकार माना जाता है उसके बाद पिता का। उसके बाद ही लड़की अपने परिवार के अन्य पुरूषों के साथ संभोगकर सकती है।

सम सखा भाव संभोग :- इसमें सभी स्त्री पुरूष को परिवार से बाहर के अपनी पसंद के लोगों से संभोग करना रहता है। लेकिन इसमें पुरूष नहीं स्त्रियों की पसंद को मान्यता दी जाती है यानि प्रत्येक स्त्री को ऐसे पुरूष के साथ संभोग करना रहता है जो उसकी पसंद का हो और और वह परिवार से बाहर का हो। “Desi Incest Sex Society”

यह संभोग करने वाला पार्टनर स्त्री की पसंद से तय होता है। हाँ पुरूष चाहे तो उससे संभोग करने से मना कर सकता है और दूसरी स्त्री को पसंद कर उसकी महिला की सहमति से उस संभोग कर सकता है। किसी को कोई जोर जबरजस्ती नहीं रहती है।

सम्पूर्ण संभोग क्रिया सम्पन्न हो जाने के बाद स्त्री की बुर से टपकते संभोगरस को जमा कर लिया जाता है। उसे देवी को अर्पित करने के बाद दोनो स्त्री पुरूष मधु और थोड़ी शराब के साथ उसका संभोगरस को पीते हैं। स्त्री जिस पुरूष के साथ संभोग करती है शादी भी उसी से करती है। यह परिवार के पसंद का भी होता है। लेकिन ऐसा कोई बंधन नहीं होता है।

सामूहिक सह आनंद उत्सव – इस उत्सव में कोई भी स्त्री पुरूष सहमति से किसी भी स्त्री पुरूष के साथ संभोग करतेहैं। फिर कभी कभी इसमें घट केंचुकी का खेल भी होता है। सभी स्त्रियां अपना अंगवस्त्र या चोली खोल कर एक घट (घड़े) में डाल देती है। उसके बाद एक एक पुरूष उस घड़े में हाथ डालता है।

जिस पुरूष की हाथ में जिस स्त्री की चोली निकलती है वह पुरूष सहमति से उस स्त्री के साथ वहीं सबके सामने ही संभोग करता है। फिर इसके बाद सभी स्त्री के बुरसे टपकते चुदाई रस को प्याले में छानकर भोजन में मिला दिया जाता है। सभी लोग छक्क कर भरे पेट उस भोजन को करते हैं। “Desi Incest Sex Society”

भोजन में मांस, मछली अनिवार्य रूप से रहता है और एक निश्चित मात्रा थोड़ी थोड़ी शराब दी जाती है। भोजन करने के बाद सभी देवी और आचार्य को सष्टांग प्रणाम करके विदा हो जाते हैं। हमारे यहाँ बचपन से ही लंड और बुर को एक खेल, मनोरंजन और आनंद लेने की तरह लिया जाता है। एक खेल की तरह बचपन से ही बच्चों को लंड चुसना और बुर चाटना चुसना सिखाया जाता है।

बचपन से मां अपने बेटे का लंड चुसती रहती है और अपनी बुर चटवाते चुसवाते रहती है। साथ ही अपनी बेटियों की भी बुर उसके पिता चाटते चूसते रहते हैं और अपना लंड भी चुसवाते रहते हैं। उसी तरह भाई भी बचपन से बहन की बुर चाटते चुसते रहता है और बहन भी भाई का लंड चूसते रहती है।

पति पत्नी पूर्ण नंगी होकर संभोग भी अपने बच्चों के सामने ही करते हैं। ताकि वे सब कुछ सिख सके और वे बच्चों को भी तरह तरह से संभोग करना सिखाते हैं। खुद अपनी पत्नी से संभोग करते हुए अपने बेटे बेटियों को भी अपने सामने ही हर तरह से संभोग करवाते है यानि भाई बहन संभोग करवाते हैं और संभोग करने के तरह तरह की कला और हर तरह के आसन से खुद संभोग करते हैं और भाई बहनों को भी करवाते हैं। “Desi Incest Sex Society”

इस संस्था सभी लड़कियां और लड़के ज्यादातर अपने घर में पूरी नंगी ही रहती है और संभोग की हर क्रिया को खुल कर इंजोय करती हैं। हम लोग बचपन से ही अपने लंड, बुर, भरे पूरे गोल गोल सुन्दर सुन्दर चुचियों आदि का खुब ध्यान रखते हैं और इसकी खुब सेवा करते हैं।

इसी कारण हम सब लड़कियों के भरे पूरे गोल गोल सुन्दर सुन्दर चुचियों बड़े बड़े और सुन्दर सुन्दर होते हैं और हमारी बुर भी मक्खन की तरह मुलायम सुन्दर और एकदम चिकनी होती है। जब हम जन्म लेती हैं तभी हमारी मांए हमारी बुर और कांख को बैगन को पानी में उबाल कर उस पानी से खुब धोती है जिसके कारण हमारी बुर और कांखों में बाल निकलता ही नहीं है और हमारी बुर एकदम सुन्दर और मक्खन की तरह मुलायम और एकदम चिकनी हो जाती है।

बाहर के लड़के हमें देख कर ठंडी आहें भरे ते रहते हैं। क्योंकि हमारी सभी लड़कियां अप्सरा की तरह सुन्दर और भरे पूरे बदन वाली मस्त और सुन्दर होती हैं और इन सब का कारण है हमें बचपन से मिलने वाला स्पर्म का पोषण और स्पर्म थैरेपी। जो बाहर किसी को नहीं मालुम है।

साथ ही हम सभी लड़कियां अपने शरीर का पूरा ध्यान रखती हैं। हमारे भाई और पिता बचपन से हमारे पूरे शरीर की पूरी सेवा करते हैं। हमें नहलाना, हमारे पूरे शरीर की मालिश और भरे पूरे गोल गोल सुन्दर सुन्दर चुचियों और बुर की मसाज करना सब कुछ हमारे भाई या पिता ही बचपन से जवानी तक करते हैं। “Desi Incest Sex Society”

उसी तरह भाई के पूरे शरीर और लंड की मालिश और सेवा बचपन से लेकर जवानी तक उसकी मां या बहनें करती है। यही कारण है कि हमारे लड़के भी एक दम सुदर्शन यानि बहुत सुन्दर होते हैं और लड़कियां उनपर जान निच्छावर करती हैं साथ ही लड़कों का लंड भी एकदम खुब लम्बा, मोटा, तगड़ा और दमदार होता है।

कोई भी लड़का लगतार एक डेढ़ घंटा चुदाई तो आराम से करता है जब तक कि लड़की की बुर से दो तीन बार बुर के पानी की बौछार ना निकलने लगे वह पूरे दमखम से संभोग करते रहता है। क्योंकि उसे बचपन से संभोग और हर तरह के संभोग क्रिया की इतनी ट्रेनिंग दी हुई रहती है कि वह संभोग और संभोग और काम क्रिया में एकदम माहिर ही नहीं सुपर माहिर हो जाता है।

अगर एक बार किसी बाहर की लड़की की संभोग कर दे तो वह लड़की चीखने चिल्लाते हुए बेहाल होकर पस्त हो जाएगी। इसलिए लड़कियां इनसे चुदावाने के लिए व्याकुल रहती है। दरअसल शुरू से ही अपनी माँ और सभी बहनों और परिवार के अन्य महिलाओं के साथ संभोग करते कई महिलाओं को संभोग कर संतुष्ट करने, कई महिलाओं के साथ सामूहिक संभोग करने और सबको संतुष्ट करने में इतने निपुण हो जाते हैं कि मत पूछो। “Desi Incest Sex Society”

वह भी वे एक दिन में तीन चार बार। दरअसल जैसे मसलस को मजबुत बनाने के लिए ल़ड़के जीम में कसरत करते हैं उसी प्रकार लंड को मजबुत बनाने के लिए ये शुरू से ही अपनी मां और बहनों की बुर में संभोगकर एक तरह से कसरत ही करते हैं।

अब तुम अपने जीजाजी को ही देखो। ये अपने ऑफिस की सारी लड़कियों को चोद चुके हैं। इनके ऑफिस में ज्यादर बीस से पैतीस साल की लड़कियां ही हैं। इनकी लेडी बॉस जो मात्र पच्चीस वर्ष की है वह खुद भी तो हमेशा इनसे संभोग करती रहती है।

इसलिए इनका प्रोमोशन इतना जल्दी होता है कि मत पूछो। तीन साल के अंदर ही ये जनरल मैनेजर हो गये हैं। सच पूछो तो इनका लंड ही इनकी योग्यता और खासियत है। हमारी संस्था के लड़के जहां काम करते हैं उनकी बॉस की बीबीयां तो इनसे संभोग करने के लिए बेताब रहती हैं।

आनन्दम् विधालय : – यहां हमारी क्लॉनी में रहने वाले सभी 2500 परिवार सभी इस संस्था के सदस्य हैं इसलिए हमने अपना एक स्कुल भी खोल लिया है। आनन्दम् विधालय जिसमें हम सभी के बच्चे पढ़ते हैं यहाँ उच्च मानक और स्तर की स्नातक लेवल तक पढ़ाई होती है।

यहाँ के 80 प्रतिशत बच्चे बड़ी बड़ी कम्पनियों में उच्च उच्चे पदों पर हैं उसमें आधा से ज्यादा तो विदेश में हैं। लोग हमारे विधालय को ललचाई नजरों से देखते हैं लेकिन इसमें हम अपनी संस्था के परिवार के अलावे किसी भी बच्चे का एडमिशन नहीं लेते हैं। “Desi Incest Sex Society”

हमारे बच्चों की सारी शिक्षा नर्सरी से बारहवीं तक की शिक्षा तो हमारे अपने ही स्कुल में होती है। जिसमें बच्चों से लेकर, टीचर, स्टाफ सब हमारी ही संस्था के सदस्य होते हैं और सभी अपने यहाँ परिवारिक संभोग करते हैं।

इस स्कुल की विशेषता यह भी है कि इस स्कूल के सभी टीचर और स्टाफ संस्था की ही काफी सुन्दर सुन्दर काफी उच्च शिक्षित लड़कियां होती है और सभी बिना वेतन के समर्पित भाव से संस्था की लोगों की सेवा हेतु बच्चों को पढ़ाती है, क्योंकि वे भी इसी स्कुल से पढ़ी हुई होती है और उस स्कुल की भी पूरी तरह निशुल्क है।

यहां पढ़ने की भी फीस नहीं ली जाती है। इसमे प्रत्येक दिन एक पीरियड जीव विज्ञान और सैक्स का भी होता है जिसमें टीचर पूरी तरह नंगी होकर बच्चों को पढ़ाती है और बच्चे भी पूरा नंगें हो जाते हैं और वह सैक्स और मानव अंगों, जीव विज्ञान पढ़ाती है वह भी प्रैक्ट्रीकल भी करके दिखाती है।

वे क्लास में ही अपने स्टुडेन्ट के साथ संभोग और मुख मैथुन करके भी बच्चों को दिखाती भी हैं कैसे ज्यादा से ज्यादा मजा आएगा यह बताती है। हाँ इसमें पढ़ाने वाली सारी लड़कियां और स्टाफ सभी बाहर किसी ना किसी कम्पनी में उच्च पदों पर कार्यरत भी हैं।

इसलिए इस स्कुल की शिक्षा इतने उच्च स्तर की होती है कि स्कुली शिक्षा खत्म होते ही तुरंत इनका मैडिकल या इंजीयरिंग में हो जाता है और वहां से ये बहुत अच्छे नम्बरों से पास कर बड़ी बड़ी कम्पनियों में उच्च पदों पर आसीन हो जाते हैं और वे वहाँ से संस्था के लिए भी काम करते हैं। “Desi Incest Sex Society”

मसलन स्कुल और कॉलोनी को सारी सुविधाएं उपलब्ध कराना आदि। हमारा एक ऐसा मान्यता प्राप्त कॉलेज भी है। जिसमें इंजिनियरिग मैडिकल और मैनैजमेट की पढ़ाई की सुविधा एक ही कॉलेज में है और काफी उच्च स्तर की पढ़ाई होती है।

क्योकिं सभी जगह उच्च पदों पर हमारी संस्था के सदस्य हैं। चूकिं हमारे कॉलेज में थ्योरी से ज्यादा प्रेक्ट्रीकल पर ध्यान दिया जाता है। इसलिए हमारे कॉलेज से निलने वाले सभी अपने क्षेत्र में इतने कुशल होते हैं तुरंत बड़ी बड़ी कम्पनियाँ खुशामद करके अपने यहां नौकरी का ऑफर देती है।

लड़कियों में 40% बड़े बड़े शहरों की नामी नामी डॉक्टर हैं। 60 % ने बड़े बड़े ब्यूटी स्पा और पार्लर खोल रखें हैं। सभी पुरूष जिनके पति डॉक्टर इंजीनीयर हैं सबकी पत्नियों ने भी ब़डे बड़े ब्यूटी पार्लर और स्पा खोल रखें। सबकी महिने की कमाई 20 लाख से उपर की है।

इन ब्यूटी पार्लरों में सबसे प्रमुख सुविधा है बॉडी मसाज, बुर मसाज और स्पर्म थैरेपी और संभोग थैरेपी है जिसके लिए बड़े बड़े धनी धनी घर की लड़कियां और महिलाएं हजारों लाखों रूपये लुटाने को तैयार रहती है। यही कारण हैं कि हमारे पास पैसों की कभी कोई कमी नहीं रहती है और हम सभी मौज मस्ती के साथ अपना शानदार जीवन जीते हैं और हमारी संस्था को सभी दिल खोल कर चंदा देते हैं। हमारी सामान्य सदस्यों द्वारा ही इतना चंदा दिया जाता है हमें अपने स्कुल और कॉलेज दोनों जगहों पर एक एक बैंक की शाखा खोलनी पड़ गयी है ताकि रूपये पैसों का सही हिसाब किताब जा सके।

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