भाभी का पल्लू बार बार गिर रहा था

मेरा नाम राजाराम है और मैं रायपुर में रहता हूं और मैं चुदाई का कितना बड़ा शौकीन हूँ. तो दोस्तो अब आप लोगो को और बोर न करते हुए कहानी पर आता हूं. उससे पहले मैं आप लोगो को बता दु ये मेरी रियल सेक्स कहानी है. Train Me Sexy Bhabhi

ये बात आज से करीब 2 साल पहले की है जब मैं जॉब की तलाश में इधर उधर भटक रहा था और कोई जॉब नही मिल रही थी. एक दिन मेरे पास दिल्ली की एक कंपनी से कॉल आयी.

उन्होंने बताया कि आपने जो जॉब के लिए आवेदन किया था. उसमें आप की जॉब लग गयी आप को 2 दिन बाद दिल्ली आना होगा. उन्होंने कंपनी का पूरा पता मेरे नंबर पर सेंड कर दिया. मैंने तुरंत रायपुर से दिल्ली के लिये ऎसी के दो टिकट बुक करा दिया.

क्योंकि सफर लंबा था इसलिए मैं सुकून से जाना चाहता था. मैं समय से पहले स्टेशन पर आ गया ट्रैन शाम के समय थी. तो मैं वेटिंग रूम में आकर ट्रैन का इंतजार करने लगा. उस रूम में मेरे अलावा एक परिवार और था.

जिसमे एक आदमी और एक औरत और एक छोटा बच्चा था. सबसे पहले मेरी नजर उस औरत पर पड़ी. उसकी उम्र करीब 29 के आस पास होगी उसने पिंक कलर की साड़ी पहन रखी थी. जिसमे वो काफी सेक्सी लग रही थी.

वो ठीक मेरे सामने बैठी थी और कोई बुक पढ़ रही थी. जिस कारण उसकी साड़ी का पल्लू बार बार उसके सीने से नीचे गिर जाए रहा था. और ब्लाउज़ का गला बड़ा होने के कारण मुझको उसके बूब्स दिख रहे थे.

जिनको देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया और पेंट से बाहर आने को बेताब होने लगा. मैंने खुद पर कंट्रोल किया और मैं सिर्फ उस भाभी को देखता रहा. उसकी लंबी और गोल गोल आंखे उसके गुलाबी होठ उसके लाल लाल गाल और उसके मोटे मोठे बूब्स हर किसी को पागल कर सकते थे.

मेरा मन तो अब बस ये सोच रहा था कि काश इस भाभी की चुदाई का एक बार मौका मिल जाये. ये सोचते सोचते मेरी ट्रैन आ गयी और मैं बेमन के ट्रैन में अपनी सीट पर आकर बैठ गया. थोड़ी देर बाद मैंने देखा कि वही भाभी मेरे सामने वाली सीट पर आकर बैठ गयी.

मेरे तो दिल की धड़कने तेज हो गयी और मैं उनको ही देखता रहा. थोड़ी देर बाद हमारी ट्रेन चल दी और हम लोगो मे आपस मे बाते होने लगी. तो भाभी के हस्बैंड ने बताया कि संध्या के पापा की तबियत खराब है हम लोग उन्ही को देखने जा रहे है.

तब मुझको पता चला कि उस भाभी का नाम संध्या है धीरे धीरे हुम् लोग आपस मे काफी घुल मिल गए. ऐसे ही बातों बातो में वो मेरी दूर की रिश्तेदार निकले और वो रिश्ते में मेरी भाभी निकली. मैने सोचा कि अब इनके घर आना जाना करूँगा.

लेकिन मुझको क्या पता था कि आगे मेरी किस्मत में क्या है. रात को हम लोगो ने साथ खाना खाया और फिर हम सोने के लिए लेट गए. संध्या भाभी मेरे सामने वाली सीट पर लेट गयी और उनके हस्बैंड ऊपर वाली सीट पर लेट गए.

हमने अपनी बर्थ के गेट बंद कर लिए. जब संध्या भाभी मेरे सामने लेती तो मैं तो उसको ही देख रहा था. जब वो सो गई तब उसकी साड़ी का पल्लू उसके सीने से हटकर नीचे गिर गया. जिस कारण उसके बूब्स मुझको दिखने लगे.

और उसकी साड़ी उसकी नाभि से 4 इंच नीचे बंधी थी. जिस कारण उसका चिकना पेट बिल्कुल साफ दिख रहा था. उसकी नाभी के पास जो तिल था वो उसकी नाभी को और ज्यादा सेक्सी बना रहा था.

अचनाक उसने अपनी एक टांग मोड़ ली जिससे उसकी साड़ी ऊपर घुटनो तक हो गयी और उसकी नंगी और चिकनी टांगे एकदम साफ दिख रही थी. मेरा मन कर रहा था कि मैं अभी संध्या भाभी की चूत में अपना लंड डाल दु और तब तक चोदू जब तक मेरा मन ना भर जाए.

मन कर रहा था कि संध्या के बूब्स के बीच मे लंड डाल कर उसके मुंह मे अपना माल निकल दु. ये सब देखकर और सोच कर मेरा लंड पेंट को फाड़ कर बाहर आने को तड़प रहा था. मैंने धीरे से अपना लंड पेंट से बाहर निकला और मुठ मारने लगा.

और अपने लंड का माल उसके साड़ी के पल्लू पर निकल दिया. थोड़ी देर बाद संध्या के हस्बैंड का फ़ोन बोला, उसने फ़ोन उठाया और बोला कि मैं बस एक घंटे में आ जाऊंगा. इसी बीच संध्या की भी नींद खुल गयी और वो पुछने लगी कि क्या हुआ.

तो उन्होंने बताया कि मेरे आफिस से फ़ोन आया था कुछ बहुत जरुरी काम आ गया है,मुझको आफिस जाना होगा. तो संध्या बोली कि मैं भी वापस चलूंगी, पर उसके हस्बैंड ने मना किया लेकिन वो नही मानी.

काफी देर बाद वो मान गयी और उसका हस्बैंड मुझसे बोलै की संध्या का खयाल रखना. मैंने कहा ठीक है और अगले स्टेशन पर उसका हस्बैंड ट्रैन से उतार गया. अब बर्थ में सिर्फ मैं संध्या और उसका बच्चा था.

मैंने बर्थ का गेट बंद किया और फिर संध्या सो गई. मैंने सोचा कि मौका अच्छा है और इतना सोच कर मेरा लंड फिर खड़ा हो गया और मेरे अंदर का शैतान जाग गया. और मैं अपनी सीट से उठा संध्या गहरी नींद में सो रही थी.

मैं उसके पैरों के पास आकर बैठ गया और धीरे धीरे उसकी साड़ी ऊपर करके किश करने लगा. मेरे छूने का एहसास पाकर वो सोते सोते आहे भरने लगी. अब मैं धीरे धीरे उसकी चूत के पास आ गया और उसकी चूत की खुशबू सूंघकर मैं पागल हो गया.

और संध्या नींद में ही आहे भरने लगी, अब मैं उसकी चूत को सहलाने लगा. तभी अचानक उसकी आंख खुल गयी और मेरे को अपने ऊपर देख कर वो चौक गयी. और मुझको धक्का देकर मुझको अपने से अलग कर दिया.

वो बोली कि क्या कर रहे हो तुमको शर्म नही आती. मैंने कहा संध्या बस एक बार मेरे साथ सेक्स कर लो जबसे तुमको देखा है मैं पागल हो गया हूं. मैंने फिर संध्या को पकड़ा और उसको सीधा करके लेता दिया.

और उसकी पेंटी को नीचे उतार दिया और अपना लंड उसकी चूत में डाल दिया. मेरा लंड मोटा होने की वजह से उसकी चीख निकल गयी. और वो मुझसे छूटने की कोशिश कर रही थी और बोल रही थी कि मैं तुम्हारी शिकायत करूँगी.

लेकिन मैं कहाँ रुकने वाला था और मैं जोर जोर से उसकी चूत को चोदने लगा और उसका ब्लाउज़ खोल कर उसके बूब्स को दवाने लगा. कुछ देर बाद मैंने अपने लंड का माल उसकी चूत में निकल दिया और अब संध्या रो रही थी.

मैंने उसको काफी समझाया तो उसने जो बोला वो सुनकर मैं दंग रह गया. वो बोली कि तुमने मुझको चोदा मैं इसलिए नही रो रही हूँ मैं इस तरह चुदूँगी इस लिए रो रही हूँ. मैने कहा क्या मतलब?

वो बोली कि मेरे हस्बैंड मेरे साथ सप्ताह में सिर्फ एक बार सेक्स करते है और जब उनका हो जाता है तब हट जाते है और मैं भूखी रह जाती हूँ और उनका लंड भी इतना लंबा और मोटा नही है.

मैंने कहा मेरी जान तू रो मत आज मैं तेरी जमकर चुदाई करूँगा और तेरी प्यास मिटाऊंगा. इतना कह कर मैंने उसको अपनी बाहो में ले लिया और उसको किश करने लगा और संध्या की साड़ी उत्तर दी.

अब वो मेरे सामने ब्रा और पेंटी में थी, मैंने कहा कि मेरा लंड मुह में लो, वो पहले तो माना किया. लेकिन फिर मेरा लंड को मुह में ले लिया और उसको चूसने लगी. फिर मैंने अपना लंड उसके बूब्स के बीच मे रखा और अपने लंड को रगड़ने लगा. “Train Me Sexy Bhabhi”

संध्या बोली कि मुझको चोद दो मेरी आग बुझा दो मेरी चूत को फाड़ दो. फिर हम 69 में आ गए और मैं अपनी जीभ से संध्या की चूत को चोदने लगा. और फिर मैंने संध्या को डोगी बनाया और उसकी चुत में अपना लंड डाल दिया और उसकी चूत को चोदने लगा.

वो भी चुदाई का मजा लेने लगी, मैंने कहा संध्या तेरी गांड में भी डालना है पहले तो उसने मना किया. लेकिन बाद में वो तैयार हो गयी, मैंने उसकी गांड पर अपना लंड लगाया और एक धक्का मार पहली बार मे लंड अंदर नही गया.

फिर मैंने लंड पर धूक लगाया और एक जोरदार धक्का मार मेरा आधा लंड उसकी गांड में चला गया और इतने में उसकी चीख निकल गयी. मैं थोड़ी देर ऐसे ही रुका. मैंने फिर थोड़ी देर बाद एक धक्का मार और मेरा पूरा लंड उसकी गांड में था.

अब मैं जोर जोर से उसकी गांड मारने लगा और चुदाई के मजे लेने लगा. अब संध्या बोली कि दर्द हो रहा है आगे मेरी चुत में डालो. मैंने अपना लंड उसकी चुत में डाल दिया और उस रात मैंने संध्या को 6 बार चौदा.

जब हम दिल्ली आ गए तब संध्या बोली कि तुम वापस कब जाओगे? मैंने कहा दो दिन बाद, तो संध्या बोली कि मैं तुम्हारे साथ वापस चलूंगी और चुदाई का मजा लुंगी. मैंने कहा ठीक उसने मेरे सामने अपने हस्बैंड को फ़ोन किया और आने को मना कर दिया बोली कि मैं राजाराम के साथ वापस आ जाउंगी. “Train Me Sexy Bhabhi”

मैंने दिल्ली के होटल में भी संध्या को खूब चौदा और दो दिन में मैंने उसकी जन्मो की प्यास बुझा दी. अब जब भी संध्या का सेक्स करने का मन होता है संध्या मुझको सेक्स के लिए बुला लेती है.

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