नमस्ते, मेरा नाम रानी है और मैं मुंबई की रहने वाली हु। मैं मुंबई में अपने पति के साथ रहती हु। मेरी उमर 28 साल है, और मेरी शादी 25 साल की उमर में हो गई थी। मेरा रंग गोरा है, और मेरा फिगर 35-26-35 है। शादी के बाद, मैं सिर्फ सारी ही पहनती हु, और अपने शादीशुदा होने के वजह से पूरा श्रृंगार करती हु। Group Hard Sex
मेरा ससुराल उत्तर प्रदेश के एक गांव का है, और मैं और मेरे पति अक्सर मेरे पति के माता पिता के घर उनसे मिलने उत्तर प्रदेश जाते है। ये उस समय की बात है, जब धुपकले के एक महीने में, मैं अपने पति के साथ उनके गांव गई थी। गांव का घर काफी पुराना हो चुका था, घर का ऊपरी माला कमज़ोर हो चुका था, और घर के निचले हिस्से के एक कमरे में सीलन लगने लगी थी।
हमारे घर पोहोचने से पहले ही, ससुरजी ने घर का काम शुरू कर दिया था। मैं अपने पति के साथ उस गांव में रविवार की पोहोचे, और रविवार को सारे मजदूर छुट्टी लेते है, तो कोई काम पर नहीं आया। पर हमारे गांव पोहोचते ही, सोमवार की सुबह 5 बजे, एक बुरी दुर्घटना हो गई, मेरे ससुरजी के बोहोत की खास दोस्त जो बगल के गांव में रहते थे, उनका दिहांत हो गया, तो उन्हे मेरी सासुमा के साथ वहा जाना था।
मेरे पति काफी जिद करने लगे की वो चाचाजी को बोहोत पसंद करते थे, और उन्हें भी ससुरजी के साथ जाना है। पर घर में किसी का रहना जरूरी है, क्युकी कल मजदूर आने वाले थे, और ऊपरी माले का पिलर ठीक करना जरूरी है। तो सबने ऐसा तय किया की मैं घर पर रुक जाऊंगी और मेरे ससुर, सासुमा, और पति चाचाजी के अंतिम यात्रा में दूसरे गांव जायेंगे।
वो सब लोग सुबह सुबह इस गांव के लिए रवाना हो गए, और मुझे बोला मजदूरों पर नजर रखना, वो खुद ही आकर अपना काम कर लेंगे, वो पीछे वाली सीढियां इस्तेमाल करते है और हम सब आज शाम तक वापस आ जायेंगे। सुबह के कुछ 9 बज रहे थे, मेरे अनुमान के मुताबिक, काम करने वाले मजदूर 11 बजे तक आ जाने चाइए, तो मैं नहाने चली गई।
और जब मैं नहा ही रही थी, तब मुझे मजदूर की आवाज सुने आने लगी। वो पिछले दरवाजे की सीढ़ी से ऊपर जाकर अपना काम शुरू कर दिए थे। घर का बाथरूम मेन कमरों से अलग था, जैसे की पुराने घरों में होता है। पर मैं अपनी साडी लाना भूल गई थी, सिर्फ पेटीकोट और ब्लाउज ही लेकर आई थी।
मैने सोचा मैं घर में अकेली ही हु, अंदर जाकर चेंज कर लूंगी। पर अब तो मजदूर भी आ गए। फिर मैने पेटीकोट पहना, ब्लाउज पहना और टॉवेल से अपना बदन थोड़ा ढका और मैं बाथरूम से निकल कर कमरे की तरफ चलने लगी।
ऊपर के माले से बॉथरूम से कमरे तक का रास्ता साफ दिखाई देता है, और उस वक्त मेरा अंग गीला था, पेटीकोट और बिना ब्रा का ब्लाउज मेरे शरीर से चिपक रहे थे, मेरे चूचे एंड गांड़ पूरी तरह दिखाई दे रही थी। मैंने ऊपर की तरफ नजर फिराई तो देखा, 5 मजदूर मुझे ही घूर रहे है।
मैं जल्दी से अन्दर चली गई और दरवाजा बंद कर दिया। ये बात मुझसे छिपी नहीं थी, की मजदूरों ने मुझे आंखों से नंगा कर दिया था। मुझे सबके चेहरों पर एक हवस की मुस्कान दिखाई दे रही थी। पर मैने साड़ी पहनी, और मैं किचन में जाकर काम करने लगी। मुझे उनकी आवाज़ साफ सुनाई दे रही थी।
वो 5 मजदूर आपस में बात कर रहे थे। “ये औरत कौन है, इतना कड़क माल़ इस घर में इस बुढ़ाउ के घर क्या कर रहा है।” “ये उसकी बहू होगी, शहर की रहने वाली है। देखा नही उसका गोरा रंग, गांव की धूप में तो।ऐसा गोरा माल़ काला पड़ जाए।” इस बात पर मुझे उन सबकी हसी की आवाज सुनाई दी।
“लगता है आज घर पर कोई नहीं है, सिर्फ बहुरानी है।” “बहुरानी की गांड़ तो बड़ी सयानी लग रही थी, मुझे उसके चूचे तो साफ दिखाई दे रहे थे। मेरा लन्ड टाइट हो चुका है।” “धीरे बोल जुनैद, उसे ये सब सुनाई दे रहा होगा।” मैं ये बात सुनकर घबरा गई, पर मेरे शरीर में एक हल्का सा करेंट जाग उठा।
मैने सोचा ये सब मजदूर ऐसे ही होते है, कोई तमीज नही, तरीका नही, इनकी बातों पर ध्यान क्या ही दे। फिर मुझे कुछ ज्यादा आवाज नही आई, सब अपने अपने काम में लग गए, दोपहर के समय, मैंने देखा कि सब मजदूर कही चले गए, और फिर कुछ समय बाद वापस आए। “Group Hard Sex”
मैने उनसे पूछा आपलोग कहा गए थे… उन्होंने जवाब दिया की वो लोग खाना खाने गए थे, अभी फिरे काम शुरू करेंगे, उन सभी के चेहरे पर एक हल्की मुस्कान थी, जैसे ये लोग आपस में ही कुछ बात करके आ रहे हो। फिर कुछ आधे घंटे बाद, एक मजदूर मुझसे पानी मांगने आया, मैने उसे पानी देने के लिए किचन में चली गई, वो कब मेरे पीछे पीछे किचन तक आ गया, मुझे पता ही नही चला।
मैं पानी देने के लिए पीछे मुड़ी तो उसे अपने सामने पाकर डर गई, इतने में उसने मुझे दबोच लिया और मेरा मुंह बंद कर दिया, और वो मुझे खींचकर मेरे ही कमरे में ले गया। वहा बाकी 4 मजदूर पहले से ही मौजूद थे। उन्होंने मेरे मुंह पर पट्टी बांध दी, और मुझसे बोले, “देख बहुरानी तुम्हारी जैसी कमसिन औरत हमने नही देखी।
हम गांव में पता लगाकर आए है, तेरे घर वाले शाम तक वापस नही आने वाले। तब तक तू हमारी अमानत है।” ये बोलते ही उन्होंने मुझे मेरे ही बिस्तर पर लिटा दिया। और एक मजदूर ने मेरे दोनो हाथ कस के पकड़ लिए। वो 5 मजदूर थे, 2 का कद छोटा था, कुछ 5.5 फीट का, और बाकी 3, 6 फीट से भी ज्यादा लंबे।
मजदूर होने के वजह से ज्यादातर लोग की मसल दिखाई दे रही थी, पर धूप में काम कर करके सारे के सारे काले पास गए थे। उसमे से एक मजदूर मिटा तगड़ा था, 6 फीट से थोड़ा ज्यादा लंबा। वो मेरी तरफ बढ़ने लगा, उसने मेरा पल्लू हटा दिया और मेरा ब्लाउज खोलने लगा, ब्रा ना पहन ने के वजह से, ब्लाउज खोलते ही मेरे गोरे बड़े चूचे हवा में झूलने लगे।
उसमे हल्के भूरे रंग के निप्पल धीरे धीरे कड़क होने शुरू हो गए। मुझे अंदर ही अंदर एक अलग सी बेचैनी होने लगी, कुछ मीठी, कुछ तीखी, कुछ गुस्सा, कुछ मजा। वही मर्द मेरे चूचे चूसने लगा, बिना कोई और कपड़ा हटाए, उसे मेरे चूचे चूसने में मज़ा आने लग और वो मेरे चूची को काटने लगा। “Group Hard Sex”
मैं जोर से चीखना चाहती थी, पर मुंह पर पट्टी होने के वजह से कुछ नही कर पाई। “सलीम नीचे जा, पेटीकोट फाड़ साली का।” ये आवाज सुनते ही मुझे समझ आ गया, ये सारे के सारे गैर मर्द है और मैं एक शादीशुदा औरत। ये कैसे हो सकता है, ये गलत है, मैं झटपटाने लगी, तो तीसरे मर्द ने आकर मेरी टांग पकड़ ली।
और बोला, “रांड़ ज्यादा नखरे मत कर, हमे पता है, तू चुदना चाहती है।” सलीम ने अपना शर्ट निकाला, और मेरा पेटीकोट खोलने लगा, मैं उन 5 मर्दों के सामने नंगी हो चुकी थी, मैने पैंटी भी नही पहनी थी। सलीम को नग्न बदन पर उसके मोटे काले शरीर पर पसीना देखकर मुझे थोड़ी अजीब फीलिंग आने लगी।
पर किसी तरह ये सब मेरे लिए रोमांचिक बनता जा रहा था। सलीम ने अपनी पैंट उतारी, और अपना टाइट लन्ड निकाला, मैं देख कर दंग रह गई। वो 7 इंच का का काला और काफी मोटा लन्ड था और वो लन्ड मेरी चूत की तरफ बढ़ रहा था। मेरे पति का लन्ड 4.5 इंच का ही था और वो मोटा नहीं था।
सलीम मेरे ऊपर आकर, मेरी टांगे उठाने लगा और मेरी चूत में अपना लन्ड डालने लगा। मैं इतनी गीली हो चुकी थी, उसके लिए मैं बोहोत ही शर्मिंदा महसूस कर रही थी। सलीम ने मेरी चुदाई शुरू कर दी, इतने में सब अपनी अपनी पैंट उतारने लग गए। एक मर्द ने उसका लन्ड मेरे मुंह में डाल दिया। “Group Hard Sex”
सभी का लन्ड मेरे पति के लन्ड से अलग था। लन्ड के सामने वाले हिस्से पर चमड़ी नही थी। सब एक एक करके मुझे चोदने लगे, कभी मुझे लिटाकर चोदा और कभी घोड़ी बनाकर चोदा। 3 घंटे तक, सब मजदूर एक एक करके मुझे बड़ी बेहेरामी से चोद रहे थे और इस दौरान मैं 6 बार झड़ चुकी थी।
हर बार, हर एक मर्द, मेरे कोख में अपना वीर्य चोद रहा था। मुझे हर जगह काट रहा था। “गोरी तेरी चूत इतनी टाइट कैसे? लगता है तेरा नामर्द पति तुझे चोद नहीं पाता।” “ये रांड ऐसेही चुदना चाहती है।” “भर दो इसकी चूत, साली मजदूरों का बच्चा पैदा करेगी।” “इसके गोरे बदन को तो मैं हर जगह काटूंगा, ऐसा गोरे चूचे मैंने अभी तक नही देखे।”
यही गाली गलाओच करते करते सबने मेरे अंदर अपना वीर्य चोद दिया, फिर सलीम ने मुझे उल्टा लिटाकर मेरी गांड़ में अपना लन्ड डाल दिया। मेरी जान निकल गई, और मैं बेहोश हो गई। जब मुझे होश आया तब मैने देखा ये 5 मजदूर अभी भी मेरे जिस्म के साथ खेल रहे है।
सबने एक और बार मेरी चुदायी की, कुल मिलाकर हर मर्द ने काम से काम 2 से 3 बार मेरी चूत और गांड़ मारी। फिर मुझे अधमरी हालत में नंगा छोड़ दिया। मैने अपने मुंह से पट्टी निकली और अपने आप को, पूरी तरह इन मजदूरों के वीर्य में डूबा हुआ पाया। “Group Hard Sex”
मैं एक शादीशुदा औरत ये कैसे कर सकती हु, इस बात की मुझे बोहोत शर्मिंदगी हुई। पर ये एक अलग एहसास था, मैं इतनी बार एक साथ कभी नही झड़ी थी, मैं खुश भी थी और निराश भी। लेकिन मेरे पति मुझे कभी इस तरह का सुख नहीं दे पाए, मुझे बस इस बात का डर था, की कही इस चुदाई की मुझे लत न लग जाए।
मजदूर मुझे घर में छोड़कर अपने अपने घर चले गए। शाम को जब मेरे परिवार वाले वापस आए तो मैने उन्हे कुछ नही बताया। अगले दिन वो मजदूर फिर आए, और जैसे ही मेरी और उनकी नजर मिली, मेरी चूत से पानी बहने लगा। और दोपहर को जब ससुरजी और पति किसी काम से बाहर गए.
तो मै पानी देने के बहाने उन सभी से मिलने ऊपरी माले पर चली गई, जहा मैं उन सब से फिर चूदी। मुझे समझ आ गया था, मैं इन्ही मजदूरों से चुदकर प्रेगनेंट बनने वाली हू। आपको मेरी कहानी कैसी लगी, प्लीज कमेंट में बताए। इसके आगे और क्या हुआ वो जान ने के लिए अगली कहानी का इंतजार करे। ये कहानी नहीं, बल्कि मेरी जिंदगी का एक कला सच है।