नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम पियूष है.. मैं दिल्ली का रहने वाला हूँ। आज जो कहानी मैं आपको बताने जा रहा हूँ.. वो आज से लगभग 6 साल पुरानी है। हमारा घर काफी बड़ा है.. उसमें 3 फ्लोर हैं जिसमें दो फ्लोर में हम लोग रहते हैं और एक फ्लोर हम किराए पर देते हैं। अभी उस फ्लोर पर एक फैमिली रहने के लिए आई थी, उनकी दो बेटी और एक बेटा था। Horny Desi Girl Handjob
उनकी बड़ी बेटी.. जिसका नाम स्नेहा था बहुत प्यारी थी। वो उस टाइम 12वीं क्लास में पढ़ती थी.. क्या कमल का फिगर था उसका.. कसे हुए मम्मे और उठे हुए चूतड़ थे… उसे देख कर मेरे होश उड़ जाते थे.. वो खूबसूरत भी बहुत थी। उन लोगों का हमारे घर में काफी आना-जाना था.. पर जब भी मैं उनके घर जाता.. तो स्नेहा देख कर वहाँ से चली जाती।
मैं जब भी उसके पास जाने की कोशिश करता.. वो हमेशा मुझसे दूर भाग जाती थी। कुछ टाइम तक ऐसे ही चलता रहा.. फिर स्नेहा के बोर्ड के एग्जाम शुरू हो गए। जिस दिन उसका एग्जाम था.. स्नेहा के पापा मेरे पास आए और उन्होंने मुझसे कहा- बेटे.. मुझे आज ऑफिस जल्दी जाना है.. और स्नेहा का आज एग्जाम भी है.. और उसका एग्जाम सेंटर भी काफी दूर है.. तो क्या तुम उसे आज एग्जाम दिलवाने ले जा सकते हो?
तो मैंने अंकल को ‘हाँ’ कह दिया और मैं स्नेहा को एग्जाम दिलवाने ले गया। एग्जाम छूटने के बाद जब हम घर आ रहे थे.. तो मैंने स्नेहा से पूछा- तुम मुझसे इतना डरी-डरी क्यों रहती हो.. जब भी मैं तुम्हारे सामने आता हूँ.. तुम वहाँ से चली जाती हो?
तब उसने मुझसे कहा- मैं आपसे डरी नहीं हूँ.. बस मुझे थोड़ी शर्म आती है.. इसलिए मैं आपके सामने से चली जाती हूँ।
तो मैंने उससे पूछा- किस बात की शर्म आती है तुमको?
उसने मेरे सवाल का कोई जवाब नहीं दिया.. बस चुप रही.. तो मैंने भी उससे ज्यादा कुछ नहीं कहा। मैंने थोड़ा डरते-डरते उससे दोस्ती के लिए कहा.. तब भी उसने कुछ नहीं कहा। फिर में थोड़ी मस्ती के मूड में आ गया और बाइक के ब्रेक थोड़ी जोर से लगाने लगा। इससे उसके मम्मे मेरी पीठ से आकर टकराने लगे, मुझे बहुत मजा आने लगा था।
कुछ देर बाद हम दोनों घर पहुँच गए और स्नेहा अपने घर चली गई। फिर शाम को स्नेहा मेरे पास आई और दोस्ती के लिए ‘हाँ’ करके चली गई। फिर हम दोनों में बातचीत शुरू हो गई। एक दिन स्नेहा के पापा फिर से मेरे पास आए और उन्होंने मुझे अपने घर की चाभी दी और कहा- बेटे.. मैं और मेरी वाइफ हमारे एक रिलेटिव के घर जा रहे हैं.. स्नेहा का आज आखिरी एग्जाम है..
मैंने उसे एग्जाम सेंटर छोड़ दिया है.. और उसने कहा है कि वो अपनी सहेलियों के साथ वापस आ जाएगी। मेरी छोटी बेटी प्रिया और बेटा संजय भी स्कूल गए हैं.. तो वो लोग जब घर आ जाएं तो उन्हें ये चाबी दे देना और कह देना कि हम शाम तक घर वपिस आ जाएंगे।
मैंने भी कह दिया- ठीक है अंकल.. मैं उनको बता दूंगा और चाभी भी दे दूंगा।
दोपहर का टाइम था.. तो मैं सोया हुआ था। एक बजे के करीब दोनों बच्चे और स्नेहा वापिस आए.. घर पर ताला बंद देख कर स्नेहा मेरे घर आई। उस वक़्त मेरे घर में भी कोई नहीं था और मैं कमरे में अकेला सो रहा था। स्नेहा मेरे कमरे में आई.. मैं उस वक़्त तौलिया पहन कर ही सोया हुआ था।
स्नेहा ने मुझे जगाया और बोली- घर में ताला लगा हुआ है.. मम्मी-पापा कहाँ गए हैं?
मैं उठा और स्नेहा को चाबी देते हुए बोला- तुम्हारे मम्मी-पापा किसी रिलेटिव के घर गए हुए हैं शाम तक आ जाएंगे। मैंने देखा स्नेहा की नजरें मेरे तौलिये की तरफ थीं। मैं सोकर उठा था तो मेरा लण्ड बिल्कुल तन कर खड़ा हुआ था क्योंकि मेरे सिर्फ तौलिया पहने हुए होने के कारण वो कुछ ज्यादा ही बड़ा दिखाई दे रहा था।
मैं तुरंत पलट कर बिस्तर पर बैठ गया और स्नेहा से कहा- और कुछ?
वो बोली- नहीं..
और पलट कर वापिस चली गई। मैं फिर सोने के लिए लेट गया.. पर मुझे अब नींद नहीं आ रही थी। मेरा लण्ड बहुत ही ज्यादा कसमसा रहा था। उसे उस वक़्त किसी लड़की की चूत की तलाश थी। एक घंटे तक मैं अलग-अलग ख्यालों में खोया रहा। मेरा दिल स्नेहा को पटाने का कर रहा था। फिर मैंने चाय बनाई और चाय पीते हुए टीवी देखने लगा.. तभी स्नेहा फिर से आई और दरवाजे पर खड़ी हो गई।
मैंने उसे देखा और बोला- कोई काम है?
वो बोली- नहीं.. वो प्रिया और संजय सो गए थे.. और मुझे नींद नहीं आ रही थी। घर में अकेले बोर हो रही थी इसलिए आ गई।
मैंने कहा- ठीक है.. आओ बैठो।
वो मेरे पास आकर बिस्तर पर बैठ गई।
मैंने पूछा- चाय पियोगी?
वो बोली- हाँ..
मैंने कहा- ठीक है.. और बना देता हूँ।
तो स्नेहा बोली- बनाने की क्या जरूरत है.. अपनी वाली में से ही थोड़ी सी दे दो।
मैंने कहा- जूठी है।
वो बोली- कोई बात नहीं..
तो फिर मैंने कप में डालकर उसे चाय दे दी और हम बातें करने लगे। इस समय मेरा ध्यान तो उसके शरीर पर ही था.. क्या खूब लग रही थी वो.. मैं मन ही मन स्नेहा को चोदने की सोच रहा था। स्नेहा के मम्मों की झलक ऊपर से ही दिखाई दे रही थी।
उसके मम्मों के उठाव देखते ही मेरा लण्ड फिर से खड़ा होना शुरू हो गया। वो चाय का कप रखने के लिए मुड़ी.. मैंने देखा कि उसने पीछे से ज़िप वाली कुर्ती पहनी हुई थी और उसकी ज़िप आधी नीचे थी.. जिससे उसकी ब्रा साफ नज़र आ रही थी। उसको देख कर तो मेरा लण्ड पूरा खड़ा हो गया।
हमारी हँसी-मजाक अभी भी चल रही थी। फिर स्नेहा ने मजाक से मेरे कंधे पर हाथ मारा। कुछ देर बाद उसने इसी तरह 2-3 बार मेरे कंधे पर हाथ मारा.. तो मैंने भी अचानक से उसके कंधे पर हाथ मारना चाहा.. तो वो पीछे की तरफ हट गई.. जिससे मेरा हाथ उसके मम्मों पर जा कर लगा।
इससे वो रोने लगी.. मैं भी घबरा गया और उसे चुप करने की कोशिश करने लगा। इस दौरान उसे चुप कराते हुए मैंने उसके माथे पर चुम्बन ले लिए.. तो वह कहने लगी- तुमको शर्म नहीं आती.. तुमने मुझे किस क्यों किया?
तो मैंने उसको बोला- मैंने जानबूझ कर ऐसा नहीं किया है.. तुम रो रही थीं.. तो तुमको मनाने के लिए मैंने किस किया है।
तो वो कहने लगी- कमरे का दरवाजा भी खुला है.. और खिड़कियाँ भी खुली हैं.. अगर कोई देख लेता तो..
तब मेरी जान में जान आई कि वो रोने का नाटक कर रही थी और अब उसने इशारा भी दे दिया कि अगर कुछ करे तो कमरे का दरवाजा और खिड़की बंद करके करना। फिर वो उठ कर जाने लगी और मुझसे कहा- देखो तुमने मुझे किस किया.. ये बात तुम किसी को भी मत बताना।
तो मैंने कहा- फ़िक्र मत करो.. ये बात किसी को भी नहीं पता चलेगी।
मैंने उसका हाथ पकड़ लिया और उसको अपने सीने से लगा कर उसे चुम्बन कर दिया।
स्नेहा कहने लगी- छोड़ो मुझे..
पर मैंने उसे नहीं छोड़ा और फिर चुम्बन करने लगा। थोड़ी देर बाद वो भी गरम होने लगी और जवाब में अब स्नेहा भी मुझे चुम्बन करने लगी। मैंने अपने एक हाथ से उसके मम्मों को पकड़ा और दबाने लगा और दूसरा हाथ उसकी कमर पर था.. उसकी साँसें अब तेज़-तेज़ चल रही थीं। इधर मेरा लण्ड उसकी टांगों के बीच से उसकी चूत को चुम्बन करने की कोशिश कर रहा था।
फिर उसने अपने होंठ हटा दिए और बोली- बस इससे ज्यादा कुछ नहीं करना।
मैंने कहा- ठीक है.. इससे ज्यादा कुछ नहीं।
मैं उसके गरम जिस्म की गर्मी महसूस कर रहा था और स्नेहा को चोदने की सोच रहा था।
वो कहने लगी- अब मैं जा रही हूँ।
मैंने कहा- थोड़ी देर में चली जाना।
तो कहने लगी- नहीं प्रिया और संजय जग गए होंगे।
मैंने कहा- ठीक है जाओ।
स्नेहा चली गई।
शाम के टाइम स्नेहा के पापा का फ़ोन आया और उन्होंने मुझसे कहा कि मैं स्नेहा को ये बता दूँ कि वो दोनों आज नहीं आ सकते.. वो लोग कल आएंगे.. वो अपने छोटे भाई-बहन का ख्याल रखे और उन्होंने मुझसे भी कहा कि बेटा तुम भी हमारे बच्चों का ख्याल रखना.. स्नेहा को किसी चीज की जरूरत हो दो उसे लाकर दे देना। यह बात मैंने जाकर स्नेहा को बता दी।
मैं अभी भी स्नेहा को चोदने का सपना देख रहा था। फिर मैंने सोचा आज तो मेरे घर में भी कोई नहीं है और स्नेहा के घर में भी उसके मम्मी-पापा नहीं है तो आज तो रात में मैं स्नेहा को चोद कर ही रहूँगा। मैंने खाना खाया और टीवी देख रहा था कि तभी स्नेहा आई और उसने मुझसे कहा- घर में मुझे अकेले डर लग रहा है तुम भी चल कर हमारे साथ हमारे घर पर ही सो सकते हो क्या? दिन की किसिंग के बाद मुझे अब ये यकीन हो गया था कि स्नेहा भी मुझ से चुदना चाहती है। “Horny Desi Girl Handjob”
तो मैंने स्नेहा से कहा- ठीक है तुम चलो.. मैं आता हूँ।
रात में गरमी बहुत थी.. तो हम चारों यानि मैं स्नेहा.. और उसके भाई-बहन प्रिया और संजय ऊपर छत पर सोने चले गए। रात के करीब 12 बज गए। स्नेहा के भाई-बहन तो सो गए थे.. पर हम दोनों अभी भी बातें कर रहे थे। मैंने देखा कि उसके भाई-बहन सो गए हैं अब रास्ता साफ है.. तो मैंने अपने हाथ से उसके हाथ को पकड़ कर उसे अपनी तरफ खींचा.. वो एकदम से मेरे पास आ गई।
मैंने फ़ौरन ही उस को अपनी बांहों में ले कर चुम्बन करना शुरू कर दिया, वो भी मज़े ले रही थी। उसके बाद स्नेहा ने मुझसे कहा- यहाँ कुछ मत करो.. अगर प्रिया और संजय जाग गए तो दिक्कत हो सकती है। मैंने भी उसकी बात मान ली और हम दोनों वहाँ से उठ कर छत पर ही बने एक कमरे में चले गए।
वहाँ स्नेहा ने एक गद्दा बिछाया और वो उस पर लेट गई। मैं भी स्नेहा के ऊपर ही लेट गया और उसे फिर से किस करने लगा। स्नेहा भी मजे ले-ले कर मेरा साथ दे रही थी। फिर मैंने धीरे से उसकी कुर्ती को उतार दिया और उसकी चूचियों को सहलाना शुरू कर दिया। थोड़ी देर बार उसकी ब्रा भी उतार दी और उसके मम्मों को मुँह में लेकर चूसने लगा।
अब मेरा लण्ड पूरी तरह से तैयार था और अब तक वो भी गर्म हो चुकी थी। मैंने उसकी सलवार भी उतार दी और मम्मों को चूसे जा रहा था। इसी के साथ मैं एक हाथ उसकी पैन्टी के अन्दर डाल कर उसकी चूत सहला रहा था। उसके मुँह से हल्की सी आवाज़ भी आ रही थी- आआ.. आह्ह्ह्ह.. ओह्ह्ह्ह.. बस करो मेरी जान.. अआह्ह्ह.. बस करो न! “Horny Desi Girl Handjob”
मैं और तेज़ी से उसकी चूचियों को चूसने लगा। फिर उसने भी अपने हाथों से मेरे लोअर को नीचे किया और अन्डरवियर के ऊपर से ही मेरे लण्ड को सहलाने लगी। मैं उसकी चूचियों को प्यार करते हुए नीचे की तरफ आया और उसकी पैन्टी भी उतार दी। मैंने देखा कि उसकी चूत पर एक भी बाल नहीं था.. एकदम चिकनी चूत थी।
मैं उसकी चूत के चारों तरफ अपनी ज़ुबान फिराने लगा.. इससे वो और मस्त हो गई। अब मैंने अपनी ज़ुबान उसकी चूत पर फेरना शुरू की और फिर चूत को चूसना शुरू किया। वो भी पूरा मजा लेने लगी और दस मिनट बाद वो अपनी चूत चटवाते चटवाते अकड़ उठी और उसकी चूत से पानी निकल गया। उसका सारा मस्त नमकीन पानी मैं पी गया।
अब वो थोड़ी सुस्त हो गई थी.. तो मैं भी उससे थोड़ा दूर हट गया और अपनी शर्ट और बनियान उतार दी। स्नेहा ने मेरा लोअर आधा नीचे तो कर ही दिया था.. तो मैंने उसे पूरा निकाल दिया। अब मैं सिर्फ अन्डरवियर में था और स्नेहा मेरे सामने नंगी पड़ी हुई थी।
मैंने उसका हाथ पकड़ कर अपने लण्ड पर रखा.. तो उसने मुझे अन्डरवियर भी उतारने का इशारा किया। मैंने देर न करते हुए अपनी अन्डरवियर भी उतार दी। जब मेरा लण्ड बाहर आया.. तो उसे देख कर वो हैरान हो गई और कहने लगी- तुम्हारा लण्ड तो बहुत बड़ा और मोटा भी है।
मैंने कहा- ये बड़ा और मोटा है.. तभी तो मजे देगा।
स्नेहा मेरा लण्ड देख कर मुस्कुरा दी और मेरे लण्ड को अपने हाथ से दबाते हुए उस पर एक ज़ोरदार चुम्बन कर दिया, फिर उसको अपने मुँह में लेकर चूसने लगी। कुछ ही पलों में वो पूरा ज़ोर लगा कर लण्ड को अन्दर तक ले जाती। मुझको बहुत ही मज़ा आ रहा था क्योंकि यह मेरा फर्स्ट टाइम था। “Horny Desi Girl Handjob”
मेरे मुँह से भी आवाज़ निकलनी शुरू हो गई- आआ..ह्ह्ह्ह.. मेरे जान चूसो.. इसे.. और जोर से चूसो.. आअह्हहहह.. ऊऊऊऊओह.. स्नेहा और तेज़ी लण्ड को चूसते जा रही थी मानो लॉलीपॉप के जैसे लवड़े को चूस रही हो। कुछ देर बाद मेरा पानी भी स्नेहा के मुँह में ही छूट गया और वो भी मेरा सारा पानी पी गई। अब मेरा लण्ड भी छोटा हो गया था और हम दोनों लेट गए।
फिर स्नेहा कहने लगी- तुम्हारा लण्ड तो बहुत बड़ा है.. ये तो मेरी चूत को फाड़ देगा।
मैंने उससे कहा- ये तुमको मज़ा भी बहुत देगा।
वो कहने लगी- मुझे तो डर लग रहा है.. बहुत दर्द होगा तुम्हारे लण्ड से.. आज तो मेरी इस छोटी से चूत का हाल बुरा बन जाएगा।
हम दोनों नंगे ही थे.. स्नेहा उठी और नंगी ही नीचे किचन से जा कर पानी ले कर आई। मैंने पानी पिया और मैं लेट गया.. वो भी मेरे पास ही लेट गई और मेरे लण्ड को अपने हाथ में लेकर खेलने लगी। अब मेरा लण्ड भी उसको चोदने के लिए दोबारा तैयार हो गया।
मैंने उसको अपना लण्ड चूसने के लिए बोला.. तो वो इस पर झुक गई और मुँह में लेकर ऊपर-नीचे करके लण्ड चूसना शुरू कर दिया। कुछ देर चुसवाने के बाद मैंने उसको घोड़ी बनाया और उसकी चूत को थूक से गीला किया और अपने लण्ड की टोपी उसकी चूत पर फेरने लगा।
वो बोली- मेरी जान अब डाल भी दो अन्दर.. अब इंतज़ार नहीं हो रहा मुझसे।
यह सुनने के बाद मैंने अपने लण्ड को उसकी चूत में रख दिया और दोनों हाथों से उसकी कमर को पकड़ कर थोड़ा ज़ोर लगाया तो टोपी अन्दर चली गई और वो चीखने लगी- ओओ.. ओह्ह्ह्ह्ह्.. मर गई मैं तो.. ओह्ह्ह्ह्ह्.. अब मैंने और जोर लगाया.. तो आधा लण्ड स्नेहा की चूत में घुस चुका था और वो एकदम से चीखने लगी। “Horny Desi Girl Handjob”
मैंने उसका मुँह दबाया और उससे कहा- थोड़ा धीरे चिल्लाओ.. नहीं तो प्रिया और संजय जग जाएंगे। वो हल्के स्वर में चिल्लाने लगी- जल्दी से बाहर निकालो इसे.. नहीं तो मैं मर जाउंगी.. ऊऊह्ह्ह.. बहुत दर्द हो रहा है ऊऊहह.. आज तो मेरी चूत फट गई.. मुझे नहीं चुदना।
मैंने स्नेहा की एक न सुनी और एक ज़ोरदार धक्का मारा.. तो मेरा पूरा लण्ड उसकी चूत में घुसता चला गया। अब उसकी आँखों में आँसू भी थे और वो चिल्ला भी रही थी। ‘छोड़ दो मुझको.. नहीं चुदवाना है मुझे.. बहुत दर्द हो रहा है ऊऊह्ह्ह्ह्ह्.. बस करो.. मुझ पर रहम करो.. निकालो इसे बाहर..’
वो ये सब बोले जा रही थी और मैंने आधा लण्ड बाहर निकाल और उसको बोला- स्नेहा मेरी जान, दर्द अभी थोड़ी देर में खत्म हो जाएगा। मैंने एक झटका से फिर से मार दिया.. और पूरा लौड़ा चूत में अन्दर पेल दिया। कुछ देर बाद जब उसका दर्द कम होने लगा था.. तब मैंने आहिस्ता-आहिस्ता हिलना शुरू कर दिया। अब उसको भी मज़ा आने लगा और उसने भी आगे-पीछे हिलना शुरू कर दिया.. जिससे हम दोनों को ही मज़ा आने लगा।
वह कहने लगी- और ज़ोर से चोदो।
मेरी स्पीड अब और बढ़ गई। कुछ ही देर में उसका पानी छूट गया.. उसकी चूत में से पानी बाहर आने लगा.. लेकिन मैं अभी छूटने वाला नहीं था। मैंने उसको सीधे लिटा दिया और उसकी गांड के नीचे तकिया रखा और उसकी चूत में लण्ड पेल दिया।
मेरा लण्ड अब आसानी से उसकी चूत में चला गया.. उसको भी दर्द नहीं हुआ.. अब मैंने झुक कर उसके होंठों पर चुम्बन करना शुरू कर दिया और एक हाथ से उसके मम्मों को दबाने लगा। साथ ही मैं अपने लण्ड को अन्दर-बाहर भी कर रहा था.. जिससे उसको मज़ा आ रहा था। “Horny Desi Girl Handjob”
अब मैंने उसकी मैंने उसकी चूचियों को चूसना शुरू कर दिया। स्नेहा फिर से गरम होने लगी और उसकी आवाजें निकलनी शुरू हो गईं। ‘ऊऊऊह्ह्ह.. आहहह..’ वो कहने लगी- जरा तेज़-तेज़ चोदो.. बहुत मज़ा आ रहा है.. मुझे भी आज पहली बार इतना मज़ा आ रहा था। मैंने अपनी स्पीड और बढ़ा दी पूरे कमरे में हमारी आवाजें गूंज रही थीं।
स्नेहा को चोदते हुए मैंने स्नेहा से पूछा- मज़ा आया मेरी जान?
तो वो बोली- हाँ राजा.. इतना मज़ा तो पहले कभी नहीं आया था.. आज तो तुमने कमाल ही कर दिया। मैं तो झड़ चुकी हूँ.. और तुम्हारा तो अभी झड़ने का कोई इरादा भी नहीं लगता।
मैं बोला- हाँ.. अभी तो मैं तुमको और चोदना चाहता हूँ.. मेरी जान।
वो बोली- चोद लो.. जितना जी चाहे किसने मना किया है राजा तुमको..
तो मैंने फिर से उसको घोड़ी बना कर चोदना शुरू कर दिया, कुछ देर तक मैं उसको जोर-जोर से चोदता रहा, वो भी मजे से चुदवाती रही।
उसने कहा- मेरी जान अब मैं लेटता हूँ और अब तुम मुझे चोदो।
तो वो बोली- मैं तुम्हें कैसे चोद सकती हूँ?
मैंने कहा- आओ.. मैं तुमको सिखाऊं।
वो बोली- हाँ.. बताओ कैसे चोदूँ तुमको..?
मैंने बोला- देखो.. मैं सीधा लेटता हूँ और तुम मुझ पर आकर घुटनों को नीचे करके मेरे लण्ड पर बैठ जाओ और मेरे लण्ड को अपनी चूत में पूरा ले लो और फिर ऊपर-नीचे होकर मुझे चोदो।
फिर स्नेहा ने ऐसा ही किया। शुरू में तो वो डिसबैलेंस हो गई.. लेकिन बाद में उस ने अपनी पकड़ बना ली और लण्ड को अपनी चूत में लेने के बाद उसने ज़ोरदार शॉट लगाने शुरू कर दिए। वो मेरे लण्ड पर उछल रही थी.. तो उसके मम्मे भी इतनी जोर से हिल रहे थे कि मेरी पकड़ाई में नहीं आ रहे थे। मुझको भी अब और मज़ा आ रहा था।
थोड़ी देर बाद उसने मुझसे कहा- मैं थक चुकी हूँ..
मैंने उससे कहा- कुछ देर और चोदो.. बस मेरी जान.. मैं अब छूटने वाला ही हूँ।
‘ओके..’
फिर मैंने उससे पूछा- पानी कहाँ निकालूँ?
उसने बोली- तुम जहाँ चाहो.. वहाँ निकाल दो।
मैंने उसे नीचे लिटा दिया और उसके ऊपर आकर अपनी स्पीड बढ़ा दी और जब छूटने ही वाला था.. तो मैंने अपना लण्ड उसकी चूत में से निकाल लिया और मेरे लण्ड का सारा पानी उसके पूरे शरीर पर छूट गया। मेरा बड़ा बुरा हाल हो गया था और स्नेहा भी बुरी तरह थक चुकी थी। “Horny Desi Girl Handjob”
हम दोनों वहीं पर लेट गए.. आधे घंटे तक हम दोनों वैसे ही लेटे रहे.. फिर स्नेहा उठी और नीचे बाथरूम में जाकर उसने खुद को साफ किया और वापिस आकर मेरे पास लेट गई। वो मुझसे बात करने लगी.. वो कहने लगी कि उसे आज जैसा मजा पहले कभी नहीं आया।
मैंने स्नेहा से कहा- स्नेहा मैं तुम्हें और भी मजा देना चाहता हूँ।
उसने कहा- नहीं.. अभी और नहीं.. मैं बहुत थक चुकी हूँ।
हम दोनों नंगे ही एक-दूसरे से चिपक कर लेट गए। उस रात मैंने स्नेहा को दो बार चोदा और जब सुबह हुई.. तो हम दोनों नंगे ही सो रहे थे। स्नेहा ने जल्दी से अपने कपड़े पहने और अपने भाई बहन के पास जाकर लेट गई। इसके बाद तो गाहे बगाहे स्नेहा की चूत मेरे लवड़े से चुदती रही।