मुझमे भी चुदवाने की प्यास जग गई 3

हेल्लो दोस्तों, मैं आपकी दोस्त आरजू आप सभी का फिर से स्वागत करती हूँ. मेरी जवानी की कहानी के पिछले भाग मुझमे भी चुदवाने की प्यास जग गई 2 में अब तक आपने पढ़ा कि मुझ पर अंकल से चुदने का भूत सवार हो गया था. उन्होंने मुझे शुक्रवार को चोदने का कार्यक्रम बना लिया था. अब आगे: Virgin Pussy Pahli Chudai

मैंने मेरे घर का दरवाजा खोला, बाहर कोई नहीं देख कर खुशी से मैंने अपने घर का दरवाजा लॉक किया और अंकल के घर की तरफ भागी. अंकल के घर के सामने खड़ी होकर मैंने डोर बेल बजायी, अंकल ने दरवाजा खोला, अंकल सिर्फ लुंगी और बनियान पहने थे.

मुझे देख कर उनकी आंखें खुशी से चमक उठीं, मेरा हाथ पकड़ कर मुझे घर के अन्दर खींचा और किसी ने देखा नहीं, इसकी तसल्ली करके दरवाजा अन्दर से लॉक कर दिया. मैं वहीं पर खड़ी थी, अंकल मुझे देख कर मुस्कुराए.

“आंटी घर पर नहीं हैं ना?” डर के मारे मैंने बेवकूफी भरा सवाल पूछा.

अंकल ने कुछ भी जवाब नहीं दिया, वो सीधा मेरे करीब आ गए. क्या हो रहा है समझ में आने से पहले ही अंकल ने बड़ी आसानी से मुझे अपनी गोद में उठा लिया और मुझे लेकर बेडरूम की तरफ जाने लगे. बेडरूम मैं जाकर उन्होंने मुझे बेड के नजदीक खड़ा किया और अपने होंठ मेरे होंठों पर रखकर चूमने लगे.

उनका लुंगी में खड़ा हो रहा लंड मेरे पेट पर चुभने लगा था. मैंने भी अपने बदन को उनके लंड पर दबाते हुए मेरी सहमति दर्शायी. अंकल मेरे नितम्ब मसलने में व्यस्त थे, वो बड़ी बेहरहमी से मेरे नितम्ब मसले जा रहे थे. मैंने भी अंकल को कस कर गले लगाया हुआ था और अपने स्तन उनके सीने में गड़ा दिए थे.

अचानक से अंकल पीछे हट गए, मुझे ऊपर से नीचे देखते हुए बोले- आरज़ू… आज पहली बार तुम्हें नंगी देखूंगा. कब से मैं इस पल का इंतजार कर रहा था.

उनकी बातें सुनकर मैं शर्मा गयी.

“ईशश… अंकल… कुछ भी बोलते हो… जाओ मैं नहीं करती.”

पर अंकल कहां मानने वाले थे. उन्होंने मेरी सलवार का नाडा खोल दिया और सलवार नीचे खींचने लगे. मैं सलवार को पकड़े रख कर विरोध करने लगी, पर अंकल मुझसे ज्यादा ताक़तवर थे. उन्होंने एक झटके में मेरी सलवार को मेरे बदन से अलग कर दिया.

फिर एका एक कर के मेरा सूट नीचे से पकड़ ऊपर खींचा और मेरे बदन से निकाल कर सूट दूर फेंक दिया. मैंने भागने की कोशिश की, तो उन्होंने मुझे पीछे से दबोच लिया. उन्होंने अपना हाथ मेरी ब्रा के अन्दर डाल दिया और मेरे स्तन दबाने लगे.

उनका लंड पीछे से मेरी पीठ में धक्के दे रहा था. अंकल मेरी गर्दन पर अपने होंठों का जादू चला रहे थे. मेरे स्तन आंटी से तो छोटे ही थे, पर उनसे ज्यादा कड़े थे और मेरी ब्रा से आधे से ज्यादा बाहर निकले हुए थे.

“आरज़ू… तुम्हारे नीचे बाल हैं क्या?” अंकल ने पूछा.

“ईशश… कुछ भी पूछते हो आप.” मैंने शर्माते हुए अपने हाथों से चेहरे को ढक लिया.

“शर्मा क्यों रही हो… बताओ ना?” ये कहकर अपना हाथ मेरी पैंटी के अन्दर घुसाने लगे.

मैंने झट से अपने दोनों हाथों से उनके पैंटी में घुस रहे हाथ को पकड़ लिया. इस झटपट में उनकी पकड़ ढीली हो गई और मैं आगे की ओर भागी. पर एक दो कदम आगे गयी थी कि नीचे पैरों में पड़ी सलवार में मेरा पैर फंसा और मैं बेड पर गिर गई.

अब मैं उनके बेड पर लेटी थी, जिस पर कुछ दिन पहले अंकल और आंटी को चुदाई करते हुए देखा था. मुझे बहुत शर्म महसूस हो रही थी. मैं अपने पैरों को अपने सीने तक लाकर गोल हो गयी और चेहरे को घुटनों के बीच छुपा लिया. पर मुझे यह नहीं पता था कि मेरी इस पोजीशन का अंकल को फायदा ही होने वाला है. उन्होंने शांति से जाकर बेडरूम का दरवाजा लॉक कर दिया और धीरे धीरे बेड के पास आ गए.

अंकल मुस्कुराते हुए फिर से मुझे पूछने लगे- बताओ ना आरज़ू… बाल है क्या तुम्हारे नीचे?

“अंकल… कुछ भी… मुझे नहीं मालूम..” मैं अपने हाथ से मेरा बदन ढंकने का प्रयास करते हुए बोली.

“बस… इतनी सी बात… अभी चैक करते हैं.” बोलकर उन्होंने मेरे पैरों को पकड़ कर बेड के किनारे तक खींचा.

इस तेज झटके की वजह से मेरी चीख निकल गई. जब तक मैं विरोध कर पाती, मेरी पैंटी मेरी कमर से निकल कर उनके हाथ में थी. मेरा सबसे गुप्त अंग अंकल के सामने नंगा हो गया था. मेरी चुत पर बालों का रूवां था, मैंने सहेलियों से सुना था कि वो सब वहां पर उगे हुए बाल साफ़ करती हैं, पर मैंने कभी प्रयास नहीं किया था.

मैंने अब अंकल का विरोध करना छोड़ दिया और हार मान कर हाथों से अपना चेहरा छुपाकर लेटी रही. पर अंकल क्या करेंगे, मुझे उसकी उत्सुकता थी. इसलिए दो उंगलियों के बीच से मैं छुप कर देख भी रही थी. अंकल मेरी पैंटी को ध्यान से देख रहे थे उसके ऊपर मेरी चुत के रस का बहुत बड़ा गीला दाग था. अंकल उसे देख रहे हैं.

ये देखकर मैं और भी शर्मा गयी- अंकल, ये क्या कर रहे हो… मेरी… पैं..टी… वापस करो..” मैं चेहरे पर हाथ रख कर बोली.

अंकल ने मेरी तरफ देखा और मेरी पैंटी नाक के पास ले गए और उसे सूंघने लगे.

“उई… अंकल क्या कर रहे हो… गंदे.” मैं शर्माते हुए बोली.

“क्या कर रहा हूँ मतलब, तुम्हारी चुत के रस की खुशबू सूंघ रहा हूँ… आह… क्या खुशबू है… कच्ची चुत की खुशबू का मजा ही कुछ और है.”

“ई… अंकल कितनी गंदी बातें करते हो.”

मुझे इतनी गंदी बातें सुनने की आदत नहीं थी, पर मन ही मन मुझे अच्छा लग रहा था.

“अरे कौन सी गंदी बात… इसे चुत ही तो कहते हैं.” ये बोलकर उन्होंने अपना हाथ मेरी चुत पर रख दिया और मेरे पूरे बदन में बिजली सी दौड़ गई.

“सस्स… मत करो.”

अंकल अपनी पहली चढ़ाई कर चुके थे, उन्होंने मेरी कमर को पकड़ के मुझे बेड के किनारे पर एकदम करीब खींचा और मेरी चुत में किस की बारिश शुरू कर दी.

“आह… सश्स… ऊई अम्मी… अंकल..” मैं तो जैसे हवा में उड़ रही थी. अंकल कामक्रीड़ा में भारी एक्सपर्ट लग रहे थे, उन्होंने धीरे से एक उंगली मेरी चुत में डाली और अन्दर बाहर करने लगे. अंकल की उंगली से मेरी चुत की खुजली कुछ कम होने लगी तो मेरी कमर अपने आप हिलने लगी.

अंकल अपनी उंगली अन्दर बाहर करते समय चुत से निकल रहा रस अपनी जीभ से चाट रहे थे, कभी कभी उनकी जीभ मेरी चुत के दाने को टकरा जाती, तो मेरे पूरे बदन में बिजली दौड़ जाती. अचानक उन्होंने उंगली चुत से बाहर निकाली, तो मैं व्याकुल हो गयी और नाराजगी से उनकी ओर देखा. अंकल ने मेरी आंखों में देखते हुए मेरे कामरस से सनी उंगली अपने मुँह में डाल ली.

“ईइय… अंकल… कुछ भी…”

“ईस्स्स क्यों?… बड़ा मस्त टेस्ट है… तुम्हें चाहिए क्या?” उन्होंने उंगली मेरी तरफ घुमाते हुए कहा.

“अम्म्म… मुझे नहीं चाहिए.” मैं मुँह फेरते हुए बोली.

“रुको… तुमको दूसरी चीज का टेस्ट देता हूँ..” कहकर अंकल खड़े हुए.

मैं सोच मैं पड़ गयी कि ये और कौन से टेस्ट की बात कर रहे हैं. अंकल ने अपनी बनियान उतारी, उनके बालों से भरे सीने को देख कर मैं फिर से शर्मा गयी. उसके बाद उन्होंने अपनी लुंगी की गांठ खोल दी, उन्होंने अन्दर कुछ भी नहीं पहना था.

उनका वो लंबा काला लंड फन निकालकर खड़ा था, उनके लंड के इर्द गिर्द घने घुंघराले बाल थे. अब अंकल आगे हुए और मेरे दोनों हाथ पकड़ कर मुझे खड़ा कर दिया. मैं किसी रोबोट की तरह उनकी हर बात मान रही थी. उठ कर बैठने पर उनका लंड सीधा मेरे चेहरे के सामने आ गया था.

अंकल अपना लंड मेरे गाल पर घिसते हुए बोले- मेरे लंड का टेस्ट तो लेकर देखो. उनके लंड से उग्र गंध आ रही थी, मुझे अजीब लगने लगा था. मेरे कुछ बोलने से पहले अंकल अपना लंड मेरे होंठों पर घिसने लगे और फिर जबरन मेरा मुँह खोल कर लंड को अन्दर घुसा दिया.

मुझे सिर्फ उल्टी होनी बाकी थी, पर अंकल ने मेरे सिर को कस कर पकड़ा हुआ था. उनका लंड मेरे मुँह में और फूल गया था. एक हाथ से अंकल ने मेरे सिर को पकड़ा और लंड को अन्दर बाहर करने लगे. अंकल ने दूसरा हाथ मेरी पीठ पर ले जाकर मेरी ब्रा का हुक खोला और उसे उतार दिया.

अब मेरे स्तन अंकल के सामने नंगे हो गए. अंकल बड़े मजे से उन्हें मसलने लगे और अपनी कमर हिलाते हुए लंड को मुँह के और अन्दर घुसाने लगे. एक दो मिनट ऐसा ही चलता रहा, फिर मैंने ही अंकल को जोर से पीछे धकेला और खांसने लगी.

“उफ्फ… अंकल… मेरी तो सांस ही थम गई थी… बस और नहीं.”

अंकल ने भी ज्यादा फ़ोर्स नहीं किया और मुझे बेड पर लिटाकर मेरे पास लेट गए. मेरे स्तनों से खेलते हुए मेरे गालों पर और होंठों पर किस करने लगे.

“ठीक है… अब बस करते हैं… पर चूत के अन्दर तो करने दोगी ना?” कहकर अंकल मेरी चुत को सहलाने लगे.

“ईशश… अंकल.” मैंने शर्माते हुए उनके सीने में अपना मुँह छुपा लिया.

“चलो तुम्हें स्वर्ग की सैर कराता हूँ..” बोलकर अंकल ने मुझे पीठ के बल लिटाया, मेरे पैर घुटनों में फोल्ड करके फैला दिए और मेरी टांगों के बीच आ गए. डर से और शर्म से मैंने आंखें बंद कर लीं. अंकल ने अपना लंड दो तीन बार चुत की दरार पर रगड़ कर अंदाजा लिया- आरज़ू मेरी रानी… तैयार हो ना?

“तैयार… किस चीज… के लिए… आहआ आहह.” मुझे बातों में उलझाये रखकर उन्होंने अपना विशाल लंड मेरी कमसिन चुत में पेल दिया था. मुझे बहुत दर्द हो रहा था और मेरी चीख निकल गयी. अंकल ने अपने हाथों से मेरा मुँह ढक लिया- अशश… आरज़ू… सारे मोहल्ले को पता चल जाएगा… थोड़ी देर सहन करो, फिर देखो कैसा मजा आता है. बोलते हुए ही उन्होंने अपना लंड बाहर खींचा और फिर जोर से अन्दर पेल दिया. मैं फिर से चिल्लाने लगी. “Virgin Pussy Pahli Chudai”

“उम्म्ह… अहह… हय… याह… मम्मी… अंकल… मेरी चुत… अल्ला… फट गईई.” अंकल ने फिर से मेरे मुँह को हाथों से पकड़ कर बंद किया, मेरी चुत में मानो कोई गर्म लोहे की रॉड घुसी थी. मैं छटपटा कर उनको मुझसे दूर धकेलने का प्रयास कर रही थी, पर उसकी वजह से उनका मूसल और अन्दर घुस रहा था. आखिरकार मैंने छटपटाना छोड़ दिया और शांत पड़ी रही.

“बस… हो गया… मेरा अच्छा बच्चा… ” अंकल मुझे किस करकर बहला रहे थे.

अब अंकल ने धक्के देना बंद किया था. एक तरफ वे मेरे गालों पर किस कर रहे थे, तो दूसरे हाथ से मेरा स्तन दबा रहे थे और निप्पल भी सहला रहे थे. मुझे थोड़ा आराम मिला, तो मैंने इशारे से मुँह पर से हाथ हटाने को बोला.

“ठीक है हाथ हटाता हूँ… पर चिल्लाना नहीं… किसी ने सुन लिया, तो आफत आ जाएगी..” कहकर उन्होंने अपना हाथ हटा दिया. अंकल के हाथ हटते ही मैंने जोर की सांस ली और अंकल के ऊपर चिल्लाने लगी- अंकल… आप बहुत बुरे हो… मुझे कितना दर्द हो रहा है. मैं यह कह कर उनके सीने पर हाथों से मारने लगी.

पर उनको कुछ फर्क नहीं पड़ा, वे मेरे दोनों हाथों को मेरे सर के ऊपर ले आये और अपने एक हाथ से पकड़ लिया, दूसरे हाथ से मेरा स्तन मसलते हुए हल्के हल्के धक्के देना शुरू कर दिया. मुझे अब वेदना और सुख दोनों का अहसास हो रहा था और धीरे धीरे मजा आने लगा था. “Virgin Pussy Pahli Chudai”

अंकल मेरे स्तन मसल रहे थे और मुझे किस कर रहे थे, इस वजह से मेरी कामवासना भड़कने लगी थी. मुझे अब उनके धक्कों से मजा आने लगा था. मैं भी नीचे से कमर हिलाकर उनका साथ देने लगी और उनके सीने को दाँतों से काटने लगी.

अंकल को पता चल गया कि मुझे अब मजा आ रहा है. उन्होंने अपने धक्कों की गति कम कर दी और मेरे स्तन को मुँह में लेकर चूसने लगे. अंकल मेरे निपल्स को अपने दाँतों से काटते हुए मेरा पूरा स्तन मुँह के अन्दर लेने की कोशिश करने लगे.

मैं भी उनके सिर के बालों में और उनके कूल्हों पर हाथ फिराकर उनको प्रोत्साहित कर रही थी. मेरी सीत्कारियां उनके अन्दर जोश भर रही थीं- “सश्स… आहह… अंकल… कितना सता रहे हो… उम्म… आह… काटो मत… चूसो परर… प्लीज… काटो मत.

अंकल ने मेरा मुँह अपने होंठों से बंद किया और अपने धक्कों की गति बढ़ा दी. तूफानी स्पीड से उनका लंड मेरी चुत के अन्दर बाहर होने लगा. मेरी चुत का बुरा हाल हो गया था, पर हम दोनों कामवासना के वश में खो चुके थे.

पता नहीं… कितनी देर से अंकल मुझे चोद रहे थे, मेरी चुत ने तीन चार बार अपना पानी छोड़ दिया था, पर अंकल रुकने का नाम नहीं ले रहे थे. आखिरकार अपनी टॉप स्पीड पकड़ते हुए अंकल चिल्लाने लगे- आह… आरजू… कितनी टाइट चुत है तेरी… मेरा लंड पूरा छिल गया… अब सब्र नहीं हो रहा… आह… मैं आ रहा हूँ.

अपना लंड चुत की जड़ तक घुसाकर अंकल एक के बाद एक वीर्य की पिचकारी मेरी चुत में छोड़ने लगे. उनकी पिचकारी किसी चाबुक की तरह चुत में अन्दर तक गरमागरम वार कर रही थी. एक वार… फिर एक वार… अंकल रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे. पहली दो तीन पिचकारियों में ही मैं होश खो बैठी थी. “Virgin Pussy Pahli Chudai”

जब मुझे होश आया, तब अंकल मेरे पास ही लेटे थे और मेरे चुचे चूस रहे थे. मैंने उनकी तरफ मुड़ने की कोशिश की, तो मेरे पेट में तेज दर्द उठा. मैं फिर से उसी पोजीशन में बेहोश हो गयी. थोड़ी देर बाद जब होश आया, तो अंकल नैपकिन गर्म पानी में गर्म कर कर के मेरी चुत की सिकाई कर रहे थे.

मेरी आंखें खुली देख कर उन्होंने पूछा- मेरी रानी आरज़ू… अब कैसा लग रहा है.? मैं सिर्फ हां में सिर हिलाकर वैसे ही पड़ी रही. थोड़ी देर की सिकाई के बाद ही मैं खड़ी हो पाई. मैंने उठकर देखा तो चादर पर खून के धब्बे थे.

“अंकल… खून?” मैंने डर कर अंकल से पूछा.

“आरज़ू… डरो मत… पहली बार ऐसा होता है… मैं तुम्हें दवाई ला दूंगा… फिर सब ठीक हो जाएगा.”

अंकल मुझे बाथरूम ले गए और मेरी चुत को अच्छे से साफ किया और किचन में ले जाकर दूध के साथ एक गोली दी. मैंने उसे बिना कोई सवाल किए गटक ली. मुझे अब भी बहुत दर्द हो रहा था, जैसे तैसे मैं अपने घर गयी और बेड पर लेट गयी.

शाम को मम्मी और भाई दोनों घर पर आ गए. मम्मी को मैंने दोपहर को ही बोला था कि मेरी तबियत खराब है, इसलिए मम्मी ने मुझे आराम करने दिया. अगले दो दिन शनिवार रविवार वैसे ही मेरे कॉलेज की छुट्टी थी. अंकल ने चुपके से मुझे और गोलियां लाकर दीं, जिसे मैं दो दिन छुप छुप कर लेती रही.

दो दिन मिले आराम और अंकल की दी हुई गोलियों की वजह से मैं ठीक ठाक होकर सोमवार से कॉलेज जाने लगी. पर एक बार किसी चीज की आदत लग जाती है, तो फिर जल्दी से छूटती नहीं, कॉलेज में रहकर भी मन अंकल के ख्यालों में ही डूबा रहता.

अंकल ने किस तरह मेरे बदन को मसला था, किस तरह मेरे होंठों की चुसाई की थी, कितनी बेदर्दी से मेरे स्तनों को रगड़ा था और आखिर में किस तरह उन्होंने अपना विशाल लंड मेरी कमसिन चुत में घुसाकर मेरी चुदाई की… ये सभी प्रसंग याद आते ही मेरी चुत पानी छोड़ने लगती है. मेरे निप्पल खड़े हो जाते हैं. “Virgin Pussy Pahli Chudai”

हमारी कामक्रीड़ा के एक हफ्ते बाद ही मुझे पीरियड्स हुए और मेरा बहुत बड़ा टेंशन चला गया. अंकल से चुदते वक्त पेट से रहने का ख्याल मेरे दिमाग में नहीं आया, पर दो तीन दिन बाद उसका डर मुझे सताने लगा था. वो डर भी अब चला गया. एक बार चोरी करने के बाद अगर पकड़ा न जाए, तो चोर रिलैक्स हो जाता है… वैसे ही मैं रिलैक्स हो गयी थी. उस दिन के बाद मैं फिर से बिंदास हो कर अंकल के नजदीक जाने लगी.

एक दिन अंकल ने मुझे अकेले में पूछा भी- क्यों आरज़ू… सब ठीक है ना?

उनकी आवाज से ही पता चल रहा था कि वो भी टेंशन में हैं.

“हां अंकल… मुझे कहां कुछ हुआ है..” मैं मजाकिया अंदाज में बोली.

“नहीं… तुम्हारे… पीरि..य..ड्स… सब कुछ टाइम से है ना?”

उनका चेहरा देखकर मुझे हंसी कंट्रोल नहीं हो रही थी. मैं उनके कान के नजदीक अपना चेहरा ले जाकर बोली- आज चौथा दिन है. यह कह कर मैंने उनके कान को काटा. मेरी बात सुनकर अंकल इतने खुश हुए कि उन्होंने मुझे गोद में उठाकर एक जबरदस्त किस किया.

अब मैं और अंकल मौका ढूंढते रहते हैं. मेरे जिद करने पर उन्होंने अपने साथ कंडोम रखना शुरू कर दिया. उनके उस लंबे हथियार को तीन चार बार चुत में लेने के बाद अब दर्द होना बंद हो गया. अंकल की वजह से अम्मी और आंटी अब हर हफ्ते फ़िल्म देखने जाने लगी हैं. “Virgin Pussy Pahli Chudai”

और मेरे पीरियड्स बंद होने के बाद दूसरी बार तो उन्होंने मुझे ऐसा चोदा कि पूछो मत. वे बेडरूम में भी नहीं गए, गैलरी के पास वाले रूम में ही मुझे जमीन पर लिटाया और दनादन धक्के देने लगे. अंकल करीब आधे घंटे तक मुझे उसी पोजीशन में चोदते रहे, चुत में वीर्य की सात आठ पिचकारी मारने के बाद ही वो शांत हुए और दस पंद्रह मिनट वो वैसे ही मेरे बदन पर पड़े रहे.

बाद में अंकल सोसाइटी के चेयरमैन बन गए, फिर तो शाम को सेक्युरिटी को किसी काम के लिए बाहर भेज कर पार्किंग के पास एक बंद कमरे में हमारा चुदाई का कार्यक्रम चलने लगा. अगले तीन साल पार्किंग की लाइट रिपेयर ही नहीं हुई… और वो रूम खाली ही पड़ा रहा.

उधर हम दोनों का चुदाई का खेल खूब मस्ती से चलता रहता था. अंकल ने मुझे चुदाई की कला में एक्सपर्ट बना दिया था. मेरी कमसिन जवानी और उनकी अनुभवी वासना हर बार हमें एक नए शिखर पर ले जाती थी. वैसे तो मुझे लंड चूसना पहले अच्छा नहीं लगता था, पर अब अच्छा लगने लगा था.

अब तो जब अंकल ढीले पड़ जाते थे, तो मैं उनका लंड चूस कर उनके ऊपर घुड़सवारी करती थी. अंकल ने मुझे सेक्स के बहुत से गंदे शब्द भी सिखा दिए थे. हम दोनों को जब भी मौका मिलता था, हम तूफान मचा देते थे. अब अंकल मेरी गांड खोलने की फिराक में थे.

इसके लिए वे मेरी चूत में लंड पेलने के समय अपनी उंगली को थूक से गीला करके मेरी गांड में चलाते रहते हैं. इससे अंकल मेरी गांड को ढीला कर रहे थे. और फिर एक दिन गांड भी मारने लायक हो गई, तो मेरी गांड भी अंकल ने अपने लंड से खोल ही डाली थी… मेरी कमसिन चूत की चुदाई की कहानी कैसी लगी, मुझे मेल करके जरूर बताइएगा. [email protected]

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