Bhabhi Ka Rang Roop Lund Ko Pareshan Karne Laga

Desi Bhabhi Devar Ki Chudai मेरा नाम पवन है.. मैं जयपुर का रहने वाला हूँ। शरीर से एकदम फिट और चुस्त दुरुस्त हूँ। मेरी उम्र 26 साल है व मेरा लंड का नाप 7″ लंबा और 2″ मोटा है। मैं अभी कॉलेज की पढ़ाई कर हा हूँ और इसके साथ-साथ लड़कियों और भाभियों को प्यार करना ही मेरा सबसे पहला काम है। तो बात कुछ 8 महीने पहले की है.. हमारे पड़ोस में एक फैमिली रहती है.. उस फैमिली में 4 लोग रहते हैं। Bhabhi Ka Rang Roop Lund Ko Pareshan Karne Laga.

एक 47-48 साल की महिला.. उसकी एक लड़की.. एक लड़का और लड़के की बीवी हैं। उन आंटी का लड़का सीआईएसएफ में जॉब करता है.. उसकी बहू हाउस वाइफ है और लड़की अभी पढ़ाई कर रही है। भाभी यानि सीआईएसएफ वाले की बीवी की उम्र 22 साल है.. वो देखने में एकदम बम लगती है.. उसके जिस्म का एक-एक हिस्सा ऊपर वाले ने बड़ी फ़ुर्सत से बनाया है। भाभी के वो 36 साइज़ के चूचे.. 28 की कमर और 38 साइज़ की उठी हुई गाण्ड.. उनके गोरे रंग के हुस्न की शोभा बढ़ाते हैं।

उसके साथ-साथ लंबे काले घने बाल भी भाभी की खूबसूरती में चार चाँद लगाते हैं जिससे कोई भी मर्द अगर उन्हें एक बार ठीक से देख ले.. तो वो अपना लंड निकाल कर हिलाने लगे या पैन्ट के अन्दर ही पिचकारी छोड़ दे.. भाभी और मेरी पहले मुलाकात गली की ही एक पार्टी के अवसर पर हुई थी। भाभी ने उस दिन गुलाबी रंग की साड़ी पहनी हुई थी। एक तो उनका गोरा रंग.. ऊपर से गुलाबी साड़ी.. जैसे ही मैंने एक नज़र से देखा तो मैं मुँह फाड़कर देखता ही रह गया.. वो बम लग रही थी..

सच कह रहा हूँ दोस्तों ऐसा लग रहा था.. जैसे कोई परी ज़मीन पर आ गई हो.. तो भाभी की ननद मेरे घर वालों के साथ कुछ बातें कर रही थी और परिचय करा रही थी कि ये हमारी भाभी हैं.. इतने में मैं भी वहाँ पहुँच गया। मैंने भाभी और उनकी ननद से ‘हाय-हैलो’ की.. जिस पर भाभी ने भी मेरी तरफ देखकर मुस्कुराते हुए जवाब दिया। इसके बाद मैंने भाभी और उनकी ननद को डान्स करने के लिए कहा.. तो भाभी तो जैसे इंतज़ार ही कर रही थीं कि कब कोई उनके साथ डान्स फ्लोर पर चले और डान्स करे।

बस दोस्तो.. फिर तो महफ़िल का समां रंगीन हो चुका था.. क्योंकि भाभी मेरे साथ डान्स जो कर रही थीं। भाभी का रंग-रूप देखकर मैं तो पहले ही पागल हो गया था.. ऊपर से अब हम दोनों थोड़ा करीब से या यूं कहा जाए कि बिल्कुल चिपक कर डान्स कर रहे थे। मेरा तो लंड खड़ा हो चुका था और पैन्ट से निकलने के लिए बार-बार मचल रहा था। डान्स करते हुए भाभी की गाण्ड अचानक मेरे लंड से छू गई.. जिसे भाभी ने भी खूब महसूस किया था।

मुझे तो एक पल के लिए डर सा लगा.. मगर भाभी ने मेरी तरफ देखा और मुस्कुरा कर डान्स फ्लोर से नीचे उतर कर ननद को लेकर अपने घर चली गईं। उस दिन मुझे बहुत बुरा महसूस हुआ और अब मैं भाभी से माफी माँगने के लिए उनसे बात करने का मौका ढूँढने लगा। दो दिन बाद भाभी खुद किसी काम से हमारे घर आईं.. अब मुझे लगा कि आज बात हो सकती है.. तो मैं भाभी के पास आकर बैठ गया और मौका देखते ही भाभी को ‘सॉरी’ बोल दिया। तो भाभी ने कहा- सॉरी किस लिए?

मैंने उन्हें उस शरारत के बारे में बताया तो भाभी का जवाब सुनकर मैं दंग रह गया। भाभी ने कहा- कोई बात नहीं.. इट’स ओके.. इस उम्र में ऐसा हो ही जाता है.. उस दिन मेरे मन के सारे मलाल दूर हो गए और मैंने मौका ताड़ते हुए भाभी से कह दिया- भाभी तुम भी तो एकदम माल हो… मेरा तो क्या.. तुम्हें देखकर तो किसी का भी यही हाल हो जाता होगा! इस पर भाभी ने मेरा गाल पकड़ कर हल्के से खींचा और कहा- तुम भी नादान नहीं हो, पूरे शैतानी के मूड में थे उस दिन.. उनसे कुछ देर तक हंसी-मजाक चलता रहा.. वो मुझसे खुलने लगी थीं।

अब मैंने भाभी से उनका फोन नम्बर माँगा तो भाभी ने कहा- तुम मुझे अपना नम्बर दे दो.. मैं खुद ही तुम्हें फोन कर लूँगी। मैंने अपना नम्बर दिया और वो नम्बर लेकर चली गईं। उस दिन मैंने भाभी के नाम की दो बार मुठ्ठ मारी और भाभी के फोन आने का इन्तजार करने लगा। अचानक दो दिन बाद मुझे एक फोन आया पिक करने पर किसी लड़की की आवाज़ सुनाई दी, तो मैंने भी छूटते ही कहा- भाभी आ गई याद आपको? तो भाभी का उधर से जवाब था- क्या बात है.. तुम मुझे ही याद कर रहे थे क्या? जो आवाज़ सुनते ही अपनी भाभी को पहचान लिया।

इस तरह से हम अब रोज़ ही बातें करने लगे.. वक्त के साथ-साथ पता नहीं कब.. हम दोनों में प्यार और हवस जाग गई। अब हम केवल फोन पर चूत.. लंड.. और चुदाई की ही बातें करते थे। बस.. अब इंतज़ार था तो मौका मिलने का क्योंकि आग दोनों तरफ बराबर की लगी थी। कुछ महीने बाद भाभी की ननद के पेपर थे तो उसका एक्जाम सेंटर झज्झर (हरियाणा) में पड़ा.. उसके दो पेपर दो दिन में होना थे और बाकी के पेपरों में गैप था।

एक दिन भाभी को मैंने अपने घर मम्मी से बात करते हुए देखा तो उन्हें देख कर मैं बहुत खुश हुआ.. भाभी के जाने के बाद मम्मी ने मुझे बताया कि इसकी ननद के इम्तिहान हैं और सेंटर झज्झर पड़ा है.. तो कह रही थी कि पवन को हमारे साथ भेज देना.. अब मेरे मन का लड्डू एकदम से फूटा.. फिर माँ ने कहा- तीन दिन के लिए जाना होगा.. तू अपनी पैकिंग वगैरह कर ले.. परसों तुम्हें निकलना है। मैं तो जैसे पागल ही हो चुका था.. अब मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा था.. दो रातें तो हम दोनों बात करते हुए पूरी-पूरी रात निकाल दी।

आख़िर वो दिन आ ही गया.. जिसका हम दोनों को इंतज़ार था। मैं जल्दी से अपने दोस्त की दवा की दुकान पर गया और एक कन्डोम का बड़ा वाला पैकेट और दो नींद की गोली लेकर आ गया। बस अब हम तीनों रोहिणी से झज्झर के लिए निकल गए और झज्झर पहुँच कर एक होटल में रूम ले लिया। अब भाभी और मैं दोनों चुदाई के लिए पागल हो रहे थे.. तो मैंने नींद की एक गोली कोल्डड्रिंक में मिला कर भाभी की ननद को पिला दी। ननद के सोते ही मैंने भाभी को पकड़ कर अपने पास खींचा और अपने होंठ भाभी के होठों पर रख दिए। “Bhabhi Ka Rang Roop”

हम दोनों पहले से ही बहुत गर्म हो चुके थे तो हमारी ये चूमा-चाटी का प्रोग्राम लगभग 15 मिनट तक चलता रहा और चुम्बन करते-करते पता हो नहीं चला कि कब हम दोनों के कपड़े.. हमारे जिस्मों से अलग हो गए। भाभी ने जैसे ही मेरा तना हुआ लंड देखा तो लंड को पकड़ कर सीधे अपने मुँह में लेकर चूसने लगीं। मुझे तो पता नहीं क्या हो चला था.. मेरी कमर खुद ही आगे-पीछे होने लगी थी। अब मैं भाभी के मुँह की चुदाई कर रहा था।

उत्तेजना के कारण बस 10 मिनट में ही मेरे लंड ने भाभी के मुँह में पिचकारी छोड़ दी और भाभी ने भी मेरा लंड चूस कर बिल्कुल साफ़ कर दिया था। अब बारी मेरी थी.. मैंने भाभी को चुम्बन करते हुए उनके सीने की गोलाईयों को अपने हाथों से नापते हुए हचक कर दबाना शुरू कर दिया। भाभी भी मेरा पूरा साथ दे रही थीं.. भाभी के होठों को चोदते हुए नीचे सीना.. पेट.. कमर.. जाँघों को चूमते हुए जैसे ही भाभी की चूत पर मुँह पहुँचा.. और जैसे ही मेरी जीभ भाभी की चूत पर लगी.. भाभी एकदम से उछल सी गईं।

अब मैं भाभी की चूत को अपनी जीभ से चोद रहा था और भाभी अपनी आँखें बंद किए हुए सिसक रही थीं- आह.. आआह.. आह हाय चूस लो इसे.. अच्छे से निकाल दो इसका पूरा पानी.. ओह.. अब भाभी और मैं दोनों 69 की अवस्था में आ गए थे। भाभी नीचे से ऊपर को अपनी कमर उठा रही थीं और मैं ऊपर से नीचे को मुँह में झटके लगा रहा था। भाभी ने मुँह से लंड निकाला और कहने लगीं- बस अब नहीं रहा जा रहा है.. पेल दो अपना ये लंड.. मेरी चूत में.. फाड़ दो इसे.. ये लंड खाने को बहुत भूखी है..

मैं भी अब भाभी के ऊपर आ गया और लंड को भाभी की चूत पर रगड़ने लगा। अब भाभी बार-बार चिल्लाने लगीं- टाइम क्यों खराब कर रहे हो.. डाल भी दो इसे अन्दर.. मैंने लंड के टोपे को चूत के छेद पर सैट करके जैसे ही झटका लगाया.. मेरा लंड चूत से फिसल गया। भाभी की चूत अभी नई और कसी हुई थी। थोड़ा कोशिश करने के बाद जैसे ही लंड के आगे का कुछ भाग भाभी की चूत के अन्दर घुसा.. भाभी के मुँह से चीख और आँखों से आँसू निकल गए। “Bhabhi Ka Rang Roop”

मगर भाभी फिर भी ये ही कह रही थीं- डाल दो पूरा अन्दर.. जितना भी दर्द होगा एक बार में ही सह लूँगी.. मैंने भी दो-तीन झटकों में पूरा का पूरा लंड चूत के अन्दर कर दिया और धीरे-धीरे झटके लगाने लगा। चूत का दर्द थोड़ा कम होने.. पर अब भाभी के मुँह से सिसकारिया।ँ निकलने लगीं और इसी के साथ मैंने भी चुदाई की रफ्तार बढ़ा दी। भाभी- आआहहाअ.. अह ह ह हा आ उउम्म्म ह हुउऊउ और तेज़.. और तेज़.. डाल दो.. फाड़ दो इसे.. वो इस तरह चिल्लाते हुए 15 मिनट की चुदाई के बाद अकड़ गईं.. मैं धकापेल लगा रहा।

अब वो चुदते हुए 4 बार झड़ चुकी थीं चौथी बार उनके झड़ते समय मैं भी भाभी की चूत में ही झड़ गया। हम दोनों के झड़ने के बाद मुझे याद आया कि चुदाई करने के लिए मैं तो कन्डोम भी लाया था.. मगर वो तो जेब में ही रह गया। मैंने यह बात भाभी से कही तो भाभी ने जवाब दिया- कोई बात नहीं.. तेरी भाभी शादीशुदा है.. तू डर मत.. बस ऐसे ही मेरी प्यार बुझाते रहियो।

उस दिन हमने तीन घंटों में दो बार चुदाई की और फिर शाम को सेंटर की खोज में निकल गए। हम दो दिन और उसी होटल में रुके रहे और मैं भाभी को दो दिन तक जन्नत के मज़े दिलाता रहा। उसके बाद भी हमारी चुदाई अभी तक भी चालू है। कभी मेरे घर पर.. तो कभी भाभी के घर पर लण्ड-चूत का खेल चलता रहा।

Leave a Comment

WP Twitter Auto Publish Powered By : XYZScripts.com