मेरा यौन जीवन भी काफ़ी स्वछन्द रहा है। मैं जब 18 साल की थी और बारहवीं में पढ़ती थी तब मैंने अपने प्रथम सहवास का आनन्द लिया था। वही घटना मैं आपको आगे बताने जा रही हूँ। हमारे परिवार में सिर्फ़ चार लोग थे, मैं, मेरी बड़ी बहन दीपिका और मेरे मम्मी-पापा। हमारे घर में एक ड्राइंग रूम और दो बेडरूम थे। Free Threesome Porn Story
एक बेडरूम में मम्मी-पापा और दूसरे में हम दोनों बहनें सोती थी। इसके अलावा ऊपर की मंजिल पर एक कमरा था जिसमें अंशुल रहा करता था। पापा मुकेश सरकारी नौकरी में थे और मम्मी भी एक स्कूल में अध्यापन कार्य करती थी। उस समय हम पुणे में रहते थे।
हम चारों के अतिरिक्त एक सजीला युवक अंशुल हमारे घर में घर के सभी काम करने के लिए रहता था। अंशुल पूरा दिन घर में रह कर सारा काम करता था। एक दिन मैं स्कूल से ग्यारह बजे ही आ गई और सीधे अपने कमरे में जाने लगी तो मैंने देखा कि दीपिका अंशुल के साथ कमरे में थी.
दोनों पूरे नंगे थे, अंशुल बेड पर लेटा था और दीपिका उसके ऊपर बैठ कर आगे की ओर झुकी हुई धीरे धीरे हिल रही थी, अंशुल के मुँह में दीपिका का एक चुचूक था। दोनों में से किसी ने मुझे नहीं देखा पर मेरे मुख से चीख सी निकली- दीपिका, यह क्या हो रहा है?
और मैं वहाँ से सीधे मम्मी-पापा के कमरे में भाग आई। मैंने देखा ही नहीं कि मेरे चीखने के बाद उन दोनों ने क्या किया। कोई पांच मिनट बाद वो दोनों मेरे पास आए और दीपिका मेरे सामने बैठ कर मेरे कन्धों पर अपने दोनों हाथ रख कर मुझे कहने लगी- देख रिचा, तूने जो भी देखा, मम्मी को मत बताना!
अंशुल मेरे पीछे बैठ गया और मेरी पीठ पर हाथ रख कर सहलाने लगा। उस समय दीपिका ने सिर्फ़ टॉप और पैंटी और मुकेश ने सिर्फ़ अन्डरवीयर पहना था। दीपिका की गोरी नंगी जांघें मेरे सामने थी और उसे देख कर मेरे मन में कुछ कुछ होने लगा था।
दीपिका मुझे मनाते मनाते अपने हाथ मेरे गालों पर ले आई और उसने अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए। इससे पहले मुझे ऐसा कोई अनुभव नहीं था, मुझे दीपिका का चुम्बन बहुत भाया और मेरे बदन में आग सी भर गई। अंशुल मेरी पीठ सहलाते सहलाते अपने हाथ मेरे वक्ष पर ले आया और धीरे धीरे मेरी चूचियाँ सहलाने लगा।
मुझे यह सब काफ़ी अजीब सा लग रहा था लेकिन मज़ा भी आ रहा था। दीपिका ने चूमते चूमते मुझे पीछे की तरफ़ झुका कर अंशुल के ऊपर गिरा दिया और खुद मेरे ऊपर आकर मेरा कमीज ऊपर उठा कर मेरी चूचियों पर ब्रा के ऊपर ही अपने होंठ रगड़ने लगी।
पीछे से अंशुल ने धीरे धीरे मेरा कमीज ऊपर सरका कर उसे मेरे गले से निकाल कर मेरे बदन से बिल्कुल जुदा कर दिया। मैं चाह कर भी उन दोनों का विरोध नहीं कर पा रही थी। कमीज़ उतरने के बाद दीपिका मे मेरी एक चूची मेरी ब्रा से बाहर खींच ली और चूसने लगी।
इसी बीच अंशुल ने मेरी ब्रा का हुक खोल दिया और ब्रा भी मेरी चूचियों का साथ छोड़ कर एक तरफ़ पड़ी मेरा मुँह चिड़ा रही थी। इसके बाद अंशुल के हाथ मेरी चूचियों को मसलने लगे और दीपिका कई उंगलियाँ मेरी सलवार के नाड़े तक पहुंच चुकी थी। अंशुल मेरी कमर के नीचे से निकल कर मेरे ऊपर झुक गया और मेरे होंठ उसके होंठों की गिरफ़्त में आ गए।
वो मुझे पूरे जोर से चूम-चाट रहा था। दीपिका मेरी सलवार मेरी टांगों से अलग करने में लगी थी। अंशुल मुझे चूमते चूमते मेरी चुचूक को चूसने लगा और दूसरी चूची को मसलने लगा। अब चूंकि मेरा चेहरा अंशुल की जांघों के पास था तो मुझे उसकी जांघों के बीच से उसके पसीने, वीर्य और पेशाब की सी मिलीजुली गन्ध आ रही थी जिससे मुझे और ज्यादा उत्तेजना होने लगी।
मेरे मन में यह विचार भी आ रहा था कि मैं इनका विरोध क्यों नहीं कर रही हूँ। दीपिका मेरी सलवार उतारने के बाद मेरी गोरी, नर्म, मक्खन सी जांघों को चूम रही थी और जीभ से चाट भी रही थी। मेरी योनि से जैसे रिसाव सा हो रहा था बिल्कुल वैसा महसूस हो रहा था जैसे मासिक धर्म में होता है।
मैं बिल्कुल बेजान गुड़िया की भान्ति बिस्तर पर पड़ी थी और अंशुल और दीपिका मेरे बदन से मनचाहे ढंग से खेल रहे थे, पैंटी के अतिरिक्त मेरे शरीर पर कोई कपड़ा नहीं था। अंशुल मेरी चूचियों को चूसते चूसते मेरे नंगे पेट की और बढ़ा और मेरी नाभि छिद्र में अपनी जीभ घुसा दी।
उसका एक हाथ पैंटी के ऊपर से ही मेरी योनि का जायजा लेने लगा था। अब दीपिका ने मेरे बदन को पूर्णतया अंशुल के हवाले कर दिया और उसने बिस्तर से उठ कर अंशुल के अन्डरवीयर को उसकी टांगों से सरका कर उतार दिया। अंशुल का उत्थित लिंग मेरे गालों पर टकरा रहा था और उसकी गंध मुझे कभी अच्छी लगती तो कभी बुरी।
दीपिका ने अंशुल के लिंग को अपने हाथ में लिया और उसे मेरे गालों, होंठों पर रगड़ने लगी। जब लिंग गालों पर आता तो मुझे बहुत अच्छा लगता लेकिन जब होंठों पर आता तो मुझे घिन सी होती और मैं उससे बचने की कोशिश में अपना चेहरा इधर-उधर घुमाने लगती।
उधर अंशुल का एक हाथ मेरी पैंटी सुरक्षा को तोड़ते हुए उसके अन्दर घुस चुका था और दूसरा हाथ मेरी पैंटी को सरकाने की जी तोड़ कोशिश में लगा था लेकिन मेरे भारी कूल्हों के नीचे मेरी पैंटी दबी होने के कारण उसे सफ़लता नहीं मिल रही थी।
तभी अंशुल ने जबरन मेरी टांगें ऊपर हवा में उठाई और एक ही झटके से मेरी पैंटी मेरे टखनों तक सरका दी। मेरी चूत के आसपास छोटे छोटे मखमली बाल थे क्योंकि एक हफ़्ते पहले ही मैंने हेयर रिमूवर प्रयोग किया था। अब अंशुल ने अपने होंठ मेरी अनछुई चूत के द्वार पर रखे और अपनी जीभ अन्दर घुसेड़ने की कोशिश करने लगा। “Free Threesome Porn Story”
दीपिका अब अंशुल के लण्ड का अग्र भाग मेरे स्तनाग्रों पर रगड़ रही थी और बीच बीच में कभी लण्ड तो कभी मेरे चुचूक चूस लेती। उत्तेजना के मारे मेरे कूल्हे अपने आप उछल उछल कर मेरी योनि को अंशुल के मुख पर पटक रहे थे। अंशुल और दीपिका दोनों समझ चुके थे कि अब मैं चुदने के लिए पूरी तरह से तैयार हूँ।
दीपिका ने अंशुल से कहा- अंशुल! चोद दे साली को! खोल दे इसकी चूत! इसे भी दिखा दे कि चुदने में कितना मज़ा है।
अंशुल मेरे ऊपर से उठा, मेरी जांघों के बीच आया, दीपिका ने मेरी एक टांग पकड़ी, दूसरे हाथ से अंशुल का लण्ड पकड़ कर मेरी योनि-छिद्र पर लगाया और बोली- लगा धक्का अंशुल!
और मेरी चीख निकल गई- हाय मम्मी! मर गई मैं!
इतने में दीपिका का हाथ मेरे मुँह पर जम गया और मेरी आवाज घुट कर रह गई। बस उसके बाद वही सब! धीरे धीरे मेरा दर्द गायब होने लगा, मुझे मज़ा आने लगा और अंशुल धक्के पर धक्का लगाने लगा। जब अंशुल का छुटने को था तो दीपिका पहले ही बोल पड़ी- अंशुल, अन्दर मत करना !
काफ़ी देर लगी अंशुल को छुटने में! जैसे ही अंशुल मेरी चूत से अपना लौड़ा निकाल कर मुठ मारने लगा, दीपिका ने मेरी चूत से निकले खून से सने अंशुल के लण्ड को अपने मुँह में ले लिया और जोर जोर से चूसने लगी। अंशुल दीपिका दीदी के मुँह के अन्दर ही झड़ गया। इसके बाद काफ़ी देर हम ऐसे ही लेटे रहे और फ़िर दीपिका ने अंशुल से एक बार अपनी चुदाई कराई हालांकि अंशुल की बिल्कुल इच्छा नहीं थी और ना ही उसमें तीसरी चुदाई की हिम्मत थी।