मेरा नाम देवराज है और मैं दिल्ली का रहने वाला हूँ। मेरे लण्ड कि लम्बाई 7 इंच है। दो साल पहले की है, जब मैं एक कोस्मेटीक की दुकान पर काम किया करता था। दुकान एक आंटी की थी और आंटी की उमर लगभग 30-35 साल के बीच की होगी। आंटी के पति की मृत्यु हो चूकी थी।
उनके घर में वो और उनकी लड़की थी, जो 19 साल की थी। उसका नाम रंजना था। दुकान के सामने एक लड़की रहती थी, जिसका नाम हर्षा था। वो दिखने में एक दम गोरी-चिट्टी थी। वह किसी परी से कम नहीं लगती थी। उसका फ़िगर 34-26-34 का था। जब वो अपनी छ्त पर आती तो वो ऊपर से मुझे देखा करती थी और जब मैं भी ऊपर देखता तो वो स्माइल देकर चली जाती और मैं ऊपर देखता रह जाता।
एक दिन मैं दुकान पर अकेला था। वो दुकान के सामने से जा रही थी तो मैंने उसे आवाज लगाई – हर्षा, इधर आओ। वो यह कह कर चली गई कि थोड़ी देर में आती हूँ, अभी मैं जल्दी में हूँ। मैंने कहा कि ठीक है पर थोड़ा जल्दी आना। वो ठीक है, कह कर चली गई।
फिर थोड़ी देर बाद वो आई और मेरी तरफ़ एक कागज फेंक कर चली गई। मैंने वो कागज उठा कर रख लिया, उस पर उसका मोबाईल नम्बर लिखा था। फिर थोड़ी देर बाद दुकान पर आंटी भी आ गईं। मैं फिर अपने काम पर लग गया। रात को मैं खाना खा कर अपने बिस्तर पर लेटने चला गया और करीब 11 बजे थे तब मैंने हर्षा के नम्बर पर फोन किया।
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हर्षा – हेलो, कौन?
मैं – देवराज।
हर्षा – हाँ बोलो, क्या कह रहे थे दोपहर में?
मैं – यही कि तुम मुझे देख कर स्माईल क्यूँ करती हो?
हर्षा – क्यूँ? मैं स्माईल करती अच्छी नहीं लगती क्या?
मैं – मैंने ऐसा तो नहीं कहा, मैं यह कह रहा हूँ कि जब मैं तुम्हारी तरफ़ देखता हूँ तो तुम वहाँ से चली क्यूँ जाती हो?
हर्षा – बस ऐसे ही, क्यूँ क्या हुआ?
मैं – कूछ नहीं, जब भी मैं तुम्हे देखता हूँ तो मेरा दिल धक-धक करने लगता है और अजीब सी बेचैनी होती है।
हर्षा – मुझे पता है कि तुम्हे क्या हुआ है।
मैं – क्या हुआ है मुझे?
हर्षा – तुम्हे मुझसे प्यार हो गया है।
मैं – तो क्या तुम्हे मुझसे प्यार नहीं हुआ?
हर्षा – पता नहीं।
मैं – पर मुझे पता है।
हर्षा – क्या पता है?
मैं – यही की तुम्हे भी मुझसे प्यार हो गया है।
हर्षा – रात बहुत हो गई है सो जाओ अब।
मैं – ओ के, गुड़ नाईट बाए, आई लव यू और मैंने फ़ोन काट दिया और फिर मैं सो गया।
इस तरह हमारी बातें शुरू हो गई। हम हर रात को बात करते और धीरे-धीरे हम सेक्सी बातें भी करने लगे। एक दिन हमने कहीं घूमने का प्लान बनाया। मैं सुबह जल्दी दुकान पर गया और आंटी से कहा कि आज मुझे घर के काम से कहीं बाहर जाना है इसलिए मैं आज दुकान पर नहीं आ पाऊँगा।
आंटी ने मुझे कहा – जा, लेकिन शाम को दुकान पर जरुर आ जाना।
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मैं ठीक है कह कर निकल गया। मैंने हर्षा को फोन कर के कहा कि आगे मिले, मैं घर से बाईक लेकर निकला। मैंने उसे देखा और बाईक उसके पास रोक कर मैं उसे देखता ही रह गया। उसने नीले रंग की जिन्स और काले रंग का टॉप पहना था और थोड़ा-बहुत मेकअप किया हुआ था।
मैंने उसे कहा कि अगर डर लग रहा है तो वो मुझे पकड़ सकती है, उसने मुझे कस कर पकड़ लिया। पीछे से उसके चूचे मेरी पीठ पर इस तरह चिपके थे कि बीच से हवा भी निकल नहीं पा रही थी। थोड़ी देर में हम जेपनिश पार्क में पहुंच गए, वहाँ पर हम एकांत में जाकर बैठ गए।
थोड़ी देर हम बस एक-दूसरे को देखते रहे। फिर मैंने अपने हाथों को उसके हाथों पर रख दिया और उसे किस करने लगा। वो भी किस करने मे मेरा साथ देने लगी। धीरे-धीरे मैंने उसकी जांघों पर हाथ फेरना शुरू कर दिया। उसके मना ना करने पर मेरी हिम्मत और बड़ गई।
मेरा हाथ धीरे-धीरे उसकी चूत तक जा पहुंचा। जैसे ही मेरा हाथ उसकी चूत से टच हुआ उसने मुझे अपनी बाहों मैं भर लिया और उसके मुँह से निकली सी… आह… की आवाज़ें मेरे कानों में गुजानें लगीं जो मुझे पागल बना रही थी। मैंने देर ना करते हुए उसकी चूत में उंगली अंदर ड़ालने लगा तो उस ने मेरा हाथ पकड़ कर बाहर कर दिया।
फिर मैंने उसका हाथ पकड़ कर अपने लण्ड पर रख दिया। वो धीरे-धीरे अपना हाथ मेरे लण्ड पर चलाने लगी। मैंने अपनी पैंट की चेन खोल कर लण्ड बाहर निकाल कर उसके हाथ में दे दिया। इतने में उसके फोन पर उसके पापा का फोन आ गया।
उसने कहा – पापा दोस्त के घर पर हूँ आधे घंटे में आ रही हूँ।
फोन पर बात ख़त्म करने के बाद उसने कहा – हमें चलना चाहिए।
जाते-जाते उसने कहा – आज मम्मी-पापा कहीं जाने वाले है।
मैंने कहा – ठीक है। फिर हम वहाँ से निकल गए।
मैंने उसे छोड़ कर अपने घर पर जा कर सो गया। शाम को मैं 5 बजे उठ कर दुकान पर चला गया। मैंने देखा कि हर्षा के घर पर ताला लगा है। उसके घर पर ताला देख कर मैं मायूस हो गया। दुकान पर आज सामान आया था तो मैं सामान को लगाने लग गया। सामान लगाते-लगाते मुझे 7 बज गए।
आंटी ने कहा – आज मेरी तबियत थोड़ी खराब है तो दुकान जल्दी बंद कर देना और चाबी ऊपर दे जाना।
मैने कहा – ठीक है, आप जाओ मैं दुकान बंद करके ऊपर आ रहा हूँ।
आंटी फिर ऊपर चली गईं और मैं दुकान बंद करके ऊपर चाबी देने चला गया। मैंने रंजना को चाबी दी और आंटी के बारे मे पूछने लगा जब मेरी नजर हर्षा के घर पर पड़ी। हर्षा सामने से मुझे देख रही थी। मैं वहाँ से चला आया। रात के करीब 9:30 पर हर्षा का फोन आया और कहने लगी कि घर पर कोई नहीं है। मुझे बहुत ड़र लग रहा है। मम्मी-पापा और भाई तीनों गाँव गए है वहाँ किसी की मृत्यु हो गई है।
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मैंने मजाक में कह दिया – मैं आ जाऊँ क्या?
इस पर वो कहने लगी – तुम कैसे आओगे? कोई देख लेगा तो?
मैंने कहा – कोई नहीं देखेगा, जब मैं कहूँ तब दरवाजा खोल देना, ठीक है।
अब मैं घर से निकल कर दुकान के पास जाकर बैठ गया। थोड़ी देर बाद मैंने उसे फोन किया कि मैं नीचे बैठा हूँ जब कहूँ तो दरवाजा खोल देना, ठीक है। रात के करीब 11 बजे थे चारो तरफ सन्नाटा था। मैंने हर्षा को फोन किया कि दरवाजा खोल कर अन्दर चली जाओ और वो दरवाजा खोल कर अन्दर चली गई।
मैंने इधर-उधर देखा और सीधा हर्षा के घर में घुस गया। जाते ही मैंने उसे अपनी बाहों में भर लिया और उसे बेतहाशा चूमने लगा। चूमते-चूमते मैंने उसे बिस्तर पर गिरा दिया और उसकी छाती पर हाथ रख कर दोनों हाथों से उसकी चुचियाँ दबाने लगा। उसने अपनी आँखें बंद कर ली।
मैंने उसके हाथ ऊपर करके उसका सूट उतार दिया, उसने काले रंग की ब्रा पहनी थी। उसके चूचे ब्रा से बाहर आने के लिए बेकाबू हो रहे थे। मैंने देर ना करते हुए उसकी ब्रा का हूक खोल दिया और मेरी आँखों के सामने उसके चूचे आ गए। फिर मैं उसके हाथों पर हाथ लगा कर उसकी चुचियों को दबाने लगा।
मेरी पैंट में लण्ड नाग कि तरह फन उठाए खड़ा था। मैंने उसकी दाईं चुची को अपने मुँह में ले लिया और उसे चूसने लगा, अब हर्षा धीरे-धीरे गरम होने लगी और उसके मुँह से अजीब सी आवाज़ें आने लगीं और उसके हाथ मेरी पीठ पर चलने लगे। अब मैं सलवार के ऊपर से ही उसकी चूत को सहलाने लगा।
उसकी चूत गीली हो चूकी थी। मैंने उसकी सलवार भी उतार दी। वो अब केवल पैंटी में थी। मैंने भी अपने सारे कपड़े उतार दिए और हर्षा के ऊपर आ गया। मैंने हर्षा की चूची को मुँह मे लेकर उसकी चूत को सहलाने लगा। वो पागल हुए जा रही थी, फिर मैंने उसकी पैंटी भी उतार दी।
अब उसकी नंगी चूत मेरे सामने थी। उसकी चूत पर एक भी बाल नहीं थे शायद उसने आज ही बाल साफ किए थे। मैंने उसकी चिकनी चूत पर अपना मुँह लगा दिया और उसकी चूत को चाटने लगा। वो मेरा सिर अपने दोनों हाथो से पकड़ कर चूत पर दबा रही थी। एक अजीब सी खूशबू आ रही थी उसकी चूत में।
मैं जोर से उसकी चूत मे अपनी जीभ को चलाने लगा और थोड़ी देर में उसने आह… आह… उई… आहहह… ससससस… सीसीसीसी… करते हुए पानी छोड़ दिया और मैं उसका सारा पानी पी गया। फिर मैंने उसे अपना लण्ड चूसने को कहा तो उसने मना कर दिया पर मेरे जोर देने पर वो मान गई और वो मेरे लण्ड पर जीभ फिराने लगी।
थोड़ी देर जीभ फिराने के बाद उसने मेरा लण्ड अपने मुँह मे ले लिया। मैं मानो उस समय जन्नत की सेर कर रहा था। वो मेरे लण्ड को इस तरह चूस रही थी जैसे कोई बच्चा लोलीपोप चूसता है। मैं अपनी चरमसीमा पर पहुंच गया था। मैंने हर्षा से कहा कि मैं आने वाला हूँ.
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पर वो लण्ड चूसने में इतनी मगन थी की उसे मेरी बात सुनाई ही नहीं दी और मैं उसके मुँह में ही खाली हो गया और वो सारा का सारा वीर्य पी गई। अब हम दोनो बेड़ पर लेट गए। थोड़ी देर बाद मैंने उसे दुबारा चूमना शूरू कर दिया, वो भी मेरा साथ देने लगी।
थोड़ी देर किस करने के बाद उसने मेरा लण्ड फिर से अपने मुँह में ले लिया और वो उसे चूसने लगी। लण्ड धीरे-धीरे फिर तैयार होने लगा। फिर हम 69 की अवस्था में आ गए। थोड़ी देर में हर्षा कहने लगी कि देवराज अब रहा नहीं जाता, ड़ाल दो अन्दर।
मैंने उसे बेड़ पर लिटा दिया और उसकी टांगों के बीच मे आ कर उसकी चूत पर लण्ड को रख कर हल्का सा झटका मारा तो हर्षा के मुँह से चीख निकल गई। मुझे लगा शायद वो पहले से चुदी होगी पर मैं गलत था। मैंने हर्षा से कहा कि घर पर तेल है तो ले आओ।
वो नारियल का तेल ले आई। मैंने तेल अच्छी तरह चूत और लण्ड पर लगाया फिर मैंने उसकी चूत पर लण्ड रख कर उसे किस करने लगा। इसी दौरान मैंने नीचे से एक जोर से झटका मारा लण्ड एक ही झटके मे पूरा अन्दर तक समा गया। हर्षा की चीख निकल गई वो मूझसे छूटने की नाकाम कोशिश करने लगी।
मैं थोड़ी देर उसे किस करता रहा और उसकी चूची दबाता रहा। जब वो नीचे से उचकने लगी तो मैं समझ गया की अब हर्षा को भी मज़ा आने लगा है। अब मैंने ज़ोर से झटके मारने शुरू कर दिए। हर्षा के मुँह से आवाज़ें आनी शुरू हो गई – और करो, जोर-जोर से करो… बहुत खुजली होती है मेरी चूत में, चोद-चोद कर इसका भर्ता बना दे आज।
उसकी आवाज़ों से मुझे और जोश आ रहा था, मैं उसे और तेज़ी से चोदने लगा। उसकी बेशर्मी देख कर मैने भी सारी शरम छोड़ दी और अब मैं भी बोलने लगा – साली, मैं तो तुझे कब से चोदने के चक्कर में था, ले झेल मेरा लण्ड आज, इतना चोदूंगा तुझे आज की तेरी चूत में चबूतरा बन जाएगा और लण्ड बैठ कर हुक्का पिएँगे। और ज़ोर से देवराज, और जोर से, मैं जाने वाली हूँ।
मैंने अपनी स्पीड़ और तेज कर दी और हर्षा – और चोदो… चोदो… फाड़ दो… बना दो ना चबूतरा, कहते हुए ड़िसचार्ज हो गई। मैं लगातार झटके मार रहा था। कुछ ही देर में हर्षा दुबारा तैयार हो गई, अब मैंने हर्षा को घोड़ी बनने को कहा। वो घोड़ी बन गई।
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मैंने उसके पीछे से लण्ड उसकी चूत मे घूसा दिया कर जोर-जोर से झटके मारने शुरू कर दिया। मेरे हर झटके पर हर्षा के मुँह से आह की आवाज निकलती और मैं और जोर से झटके मारता। मैंने हर्षा से कहा कि मैं जाने वाला हूँ, उसने कहा – मैं भी। मैंने उसे जल्दी से सीधा लिटाया और लण्ड घूसा कर झटके मारने शूरू कर दिए।
30-35 जोरदार झटको के बाद मैं और हर्षा एक साथ झड़ गए और मैं उसके ऊपर ही लेट गया। लेटे-लेटे हमारी आँख लग गई। जब मेरी आँख खुली तो सुबह के 7 बज चूके थे। मैंने जल्दी से हर्षा को जगाया। वो बेहद ड़र गई कि अब तुम जाओगे कैसे? घर पर कोई आ गया तो क्या होगा? हमने जल्दी से अपने कपड़े पहने और इतने में किसी ने दरवाजा खटखटा दिया। आगे की कहानी का इंतेज़ार कीजिए।
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