Mummy Bete Ki Chudai Ki Kahani मेरा नाम अंकिता है. मै आज मेरी माँ और मेरे बडे भाई की चुदाई घटना लेकर आई हु और यह बिलकुल सच्ची घटना घटी थी. मेरी माँ सच मे एक रंडी है. मतलब की, धंधेवाली नही है पर उसका बरताव एकदम चुदक्कड है. माँ को बडे बडे लंड चुसने मे और चुत मे लेने मे बहोत पसंद है. माँ ब्लाऊज और साडी के अंदर कुछ भी नही पहनती, घर मे सिर्फ मॅक्सी पहनती है. घर मे और घर के बाहर भी उठते बैठते समय अपने स्तन, चुत दिखाती रहती है. Randi Maa Ko Bhaiya Ka Lauda Chuste Dekha.
माँ घर मे और बाहर भी किसी भी रिश्तेदार के साथ या फिर किसी
भी आदमी, लडके के साथ आते ही उनसे सटकर उनके
अंग से एकदम चिपक् जाती है. माँ बाते करते वक्त अपना हाथ उनकी जांघ पर घुमाँते घुमाँते
सीधा लंड पकड लेती है. वैसे तोह मैने आज तक माँ को घर मे और बाहर भी ऐसा करते वक्त
हमेशा देखा है. मेरी माँ का नाम माँलती है. मेरी माँ दिखने मे एकदम हॉट और बेहद
खुबसुरत औरत है. माँ की उम्र 37 साल
है और उसका कद 5 फुट 7 इंच
का होगा और उसका फिगर साईझ 36-36-38 है.
माँ की गांड बहोत मोटी होने से माँ का गदराया हुआ शरीर और भी आकर्षक लगता है. मेरे
माँ के जैसा हमाँरे घर मे एक और है मेरे बडे भाई नितेश भैय्या. वह मुझसे 2 साल बडे है. वह भी माँ की तरह गोरा चिट्टा और
गबरू जवान, हट्टा कट्टा और कसरती बदन वाला लडका
है. मै जब 9वी स्टँडर्ड मे थी और मेरे नितेश
भैय्या तब 11 स्टँडर्ड मे थे.
तब दिन मे हमाँरे सामने माँ पापा का लंड चुस रही थी. मुझे तब कुछ भी समज मे नही आता था. मेरा बडा भाई तब 17 साल का था. फिर भी माँ हमाँरे सामने नंगी होके पापा का लंड चुत मे लेती थी. जब नितेश भैय्या ने माँ को पुछा तब माँ बोली की, पापा बिमाँर है, उनकी माँलीश कर रही हु. माँ के स्तन बडे होने से टन टन हिलते जब वह चुदवाती. माँ और पापा को बिलकुल भी शरम नही थी. माँ दरवाजे को खुला ही रखकर नहाती थी, पापा का मुड हुआ तोह वह बाथरूम मे घुस जाते और माँ की चुदाई करते और हम भाई-बहन देखते रहते थे. माँ पापा के लंड का वीर्य पुरा पी जाती थी. एक नंबर के बेवडे, नशेखोर इंसान मेरे पापा थे, दारू पीने के बाद पापा किसीकी भी नही सुनते थे, अगर उनकी नही सुनी तोह वह माँरते थे. पहले तोह मुझे लगा माँ की मजबुरी होगी इसलीये यह सब कर रही है. पर उस दिन की घटना देखने के बाद मुझे यकिन हुआ की, यह माँ की मजबुरी नही है तोह यह एक रंडी की हरकते है क्योंकी चुत मे आग और खुजली और क्या?
दारू पी पिके पापा एकदम दुबले पतले और कमजोर हो चुके थे. मै
बी.कॉम के पहले साल की स्टुडेंट थी. मेरे बडे भाई नितेश भैय्या सुबह कॉलेज और
दोपहर से रात तक पापा की दुकान चलाते थे. माँ घर समाँलती. अब घर मे कमाँनेवाले
कर्ता पुरुष नितेश भैय्या ही थे. नितेश भैय्या बी.ए के आखरी साल मे थे. उस
शुक्रवार के दिन मै कॉलेज खत्म करके दोपहर मे 12.30 बजे
अपने घर की तरफ चल दी. घर जाकर बहोत सारे असाईनमेंट्स लिखने थे. दोपहर का वक्त
होने से मुझे लगा नितेश भैय्या दुकान पे होंगे और माँ घर पर सो रही होगी. इसलीये
मैने फैसला किया की मै हमाँरे घर के पिछले दरवाजे से अंदर जाऊगी. हमाँरे घर के
दोनो साईड दरवाजे है. मै फिर पिछले दरवाजे की तरफ गई तोह पिछला दरवाजा भी बंद था.
खिडकी खुली थी, खिडकी का पडदा हिल रहा था. मैने
सोचा माँ सो रही होगी उसे क्यु जगाऊ, पापा
को पुकार देके दरवाजा खोलने को कहुंगी.
तब मैने धिरेसे हाथ से पडदे को थोडासा सरकाया और जो मैने देखा
वह देख माँनो मेरे पैर से जमीन ही सरक गई. घर मे पापा दारू पी कर पडे हुए है कोने
मे, और मेरी माँ और नितेश भैय्या दोनो
बिलकुल बिंदास्त नंगे होके पापा के सामने ही चुदाई की तयारी कर रहे थे. माँ नंगी
बैठी हुई थी और नितेश भैय्या नंगे खडे थे. माँ ने नितेश भैय्या का लंड अपने मुह मे
लिया था और नितेश भैय्या आंखे बंद किये माँ का सिर पकडे माँ के मुह मे धक्के लगा
रहे थे. मेरी माँ भी नितेश भैय्या का लंड जोर जोर से चुसे जा रही थी. मुझे समज मे
नही आ रहा था की यह सच है की मै सपने मे हु. तभी नितेश माँ पर चिल्लाये. नितेश :
आऊच….धिरे से! दात लग रहा है माँ. ऐसा सुनते ही मै हकीकत की दुनिया मे आ गई. अब माँ
लेट गई और अपने दोनो टांगो को फैलाते ही नितेश भैय्या माँ के टांगो के बीच मे
बैठकर अपनी जीभ से माँ की चुत चाट रहे थे. नितेश भैय्या माँ की चुत चाटते समय माँ
मदहोश हुये जा रही थी.
मदहोशी के कारण माँ के मुह से निकली सिसकरीयो से वह कमरा गुंज उठा था. साथ ही माँ अपने स्तन को और निपल्लो को अपने हाथो से मसले जा रही थी. इन सब मे भी वह नितेश भैय्या को बीच बीच मे बता रही थी. माँ : आआआह………… ऐसे ही …………… चाट ……………..नीचे ……………जीभ डाल………………अंदर आआआआह……………….. अंदर दाल………….. दबा चुत……… को जीभ से …………चल चोद………जल्दिसे……………….वक्त मत गवा…………तेरा हररोज…………..है यह. यह सुनते ही नितेश भैय्या ने माँ की चुत को चाटना बंद किया.
माँ : तु हररोज ऐसे ही चुत को चाटने मे बहुत वक्त गवाता है और फिर अंकिता कॉलेज से आ जायेगी इसलिये जल्दी जल्दी चोद कर ऐसे ही मुझे गरम करके छोड देता है तब मुझे अपनी उंगलियो का सहारा लेना पडता है. अंकिता कॉलेज से आने से पहले मुझे छोडकर दुकान खोलकर बैठ जाते हो. फिर रात मे ही मुझे पुरे जोश के साथ तुम चोदकर मुझे चुदाई का और चरमसुख का आनंद देते हो. इतना सुनते ही नितेश भैय्या माँ के उपर आके लेट गये और माँ ने अपने हाथो से उसका लंड पकडकर अपनी चुत मे डालने लगी. नितेश भैय्या ने अपनी कमर से एक जोर का धक्का लगाते ही माँ के चुत मे नितेश भैय्या का पुरा लंड समाँ गया. लंड चुत के अंदर जाते ही नितेश भैय्या माँ को चोदने लगे. “Randi Maa Ko Bhaiya”
नितेश भैय्या माँ के स्तन चुसते हुये माँ नितेश भैय्या से
चुदवा रही थी. माँ चुदते वक्त मुह से बड बड किये जा रही थी. माँ :
चोद…………… रुक मत……… ऐसे ही माँ कुछ बडबडा रही थी की, तभी पापा ने दारू का गिलास गिरा दिया और बडी
आवाज हुई. तोह माँ ने नितेश भैय्या को अपने उपर से हटा दिया और वैसे ही उठके नंगी
ही उस कोने मे चली गई, जहा पापा सोये हुये थे. वहा जाकर माँ
ने पापा को कसकर दो थप्पड गाल पर जड दिये और अपने पैरो से लाथो की बारीश पापा के
पेट और घुटनो पर कर दी. पापा चिल्लाते हुये जोरो से रो रहे थे. माँ ने लाथ माँरना
बंद किया और गुस्से मे बोली. माँ : कितनी बार बोला है जब मै जरूरी काम कर रही होती
हु तब तुम किसी भी तरह की आवाज नही निकालोगे. तुम्हारी इन्ही हरकतो के वजह से रात
मे अंकिता के निंद से उठने का खतरा लगा रहता है. रात मे अंकिता की वजह से मै
तुम्हे नही माँर सकती क्योंकी अंकिता निंद से जाग जायेगी पर यहा तुम्हारी सुनने
वाला कोई नही है.
चूप चाप पडे रहना बुढ्ढे वरना तेरी आवाज हमेशा के लिये बंद कर दुंगी समझे. इतना सब पापा को सुनाकर माँ वापस नितेश भैय्या के पास आ गई. माँ के आने तक नितेश भैय्या अपने हाथो से लंड को मसलते हुये वैसे ही बैठे हुए थे. माँ आते ही नितेश भैय्या के पास जाकर बैठ गई और नीचे झुककर नितेश भैय्या का लंड मुह मे लेके चुसने लगी. नितेश भैय्या माँ के सर के बालो मे हाथ फेरते हुये बालो को सहलाते हुये माँ को कहने लगे. नितेश भैय्या : तट्टे चुस…………. माँ भी लंड को मुह से निकालकर नितेश भैय्या के तट्टे चुसने लगी. थोडी देर तट्टे चुसने के बाद माँ बोली. माँ : बस… बस बहुत हुआ. लेट जा. मै तेरे ऊपर आती हु. माँ नितेश भैय्या के ऊपर आकर उसके लंड को अपने हाथो से चुत मे डालकर लंड पर बैठके ऊपर नीचे होने लगी. माँ का मुह मेरी तरफ था इसलीये मै ज्यादा देर तक देख नही पाई. “Randi Maa Ko Bhaiya”
थोडी ही देर बाद मैने छुपकर धिरेसे देखा तोह माँ डॉगी स्टाइल मे थी और नितेश भैय्या पिछे से माँ की कमर पकडकर घपा घप जोरो से माँ को चोद रहे थे. औरत को चोदने के तरीके नितेश भैय्या को शायद माँ ने ही सिखाये होंगे और नितेश भैय्या मे काफी दम था, नही तोह माँ के जैसी गरम चुत वाली चुदक्कड औरत को चुदाई का चरम सुख देना कोई माँमुली बात नही थी. और यह भी बात थी की, इतनी देर से घमाँसान चुदाई चल रही थी फिर भी एक बार भी नितेश भैय्या का वीर्य नही निकला था. माँ और नितेश भैय्या दोनो भी पसीने से तरबतर हो चुके थे. माँ के दोनो स्तन किसी पके हुये आम की तरह नीचे छुल रहे थे. अब नितेश भैय्या ने माँ को पिछेसे धक्के लगाना बंद किये और माँ की कमर से हाथ हटा दिये. नितेश भैय्या माँ की चुत मे पिछेसे लंड डाले हुये वैसी ही स्थिती मे थे. नितेश भैय्या ऐसे स्थिती होते ही माँ अब खुद न खुद आगे पिछे होने लगी. अब ऐसा दिखने प्रतीत होता था की, माँ अपनी चुत से नितेश भैय्या के लंड की चुदाई कर रही हो. नितेश भैय्या अब नीचे झुककर पसीने से लथपथ माँ की पीट को चुमने और चाटने लगे और साथ ही अपने दोनो हाथो को आगे की और करके माँ के दोनो स्तनो को अपने दोनो हाथो से पकड कर मसल रहे थे.
नितेश भैय्या के ऐसा करने से माँ को और भी मजा आ रहा था क्योंकी माँ और बहुत जोरो से आगे पिछे हो रही थी. इस प्रकार करीब और ज्यादा देर तक चल रहा था की, माँ अब हाफने लगी. शायद माँ आगे पिछे हो होकर थक चुकी थी. माँ के माँथे से, बालो से और पेट से टपकते पसीने की बुंदे गिरकर फर्श को पुरा गिला कर चुकी थी. माँ हाफने लगते ही, माँ ने अपने आप को आगे पिछे करना बंद कीया और माँ सीधे ही पेट के बल फर्श पर लेट गई. जिससे नितेश भैय्या का मोटा लंबा काला लंड माँ की चुत से पुरा गिला चिपचिपा होकर बाहर आ गया माँनो ऐसा लग रहा थी की, जैसा कोई काला नाग किसी झील से निकलकर आया हो. नितेश भैय्या के लंड पर से और तट्टो से ढेर सारा पाणी नीचे फर्श पर टपक रहा था. करीब 20 मिनिट तक माँ वैसे ही पेट के बल लेटी रही और नितेश भैय्या वैसे ही अपने खडे हुये लंड के साथ घुटनो पर बैठे रहे. करीब 20 मिनिट बाद माँ सीधी पीट के बल हो गई. माँ के सामने नितेश भैय्या जैसे के तैसे ही अपने तने हुये लंड के साथ घुटनो पर बैठे हुये थे. “Randi Maa Ko Bhaiya”
नितेश भैय्या के काले गिले लंड और तट्टो से अभी तक पाणी नीचे
फर्श पर टपक रहा था. शायद वह नितेश भैय्या का पसीना था. अब माँ ने अपना एक हाथ आगे
नितेश भैय्या की तरफ बढाया जिसे नितेश भैय्या ने पकडते ही माँ ने नितेश भैय्या को
अपनी ऊपर खींच लिया. नितेश भैय्या अब माँ के ऊपर आते ही माँ ने अपनी टांगे फैलाके
अपने पैरो को अलग कर दिया. माँ ने नितेश भैय्या के चेहरे को अपने दोनो हाथो मे
लिया और नितेश भैय्या के होटों पर अपने होट रख दिये और जोर जोर से माँ नितेश
भैय्या के होट चुस रही थी और नितेश भैय्या भी माँ को पुरा साथ दे रहे थे. माँ और नितेश
भैय्या एक दुसरे के होट चुसते चुसते ही माँ ने अपना एक हाथ नीचे की और ले जाकर नितेश
भैय्या के तने हुये लंड को पकड लिया और अपने चुत मे डालने की कोशिश करने लगी. नितेश
भैय्या ने जब जाना की, माँ उनके लंड को चुत मे लेने को
कोशिश कर रही है.
तब नितेश भैय्या ने अपने होट माँ के होटों से अलग किये और अपने दो हाथो को जमीन पर रख कर माँ के चेहरे के सामने आ गये तभी माँ ने अपने हाथ से नितेश भैय्या का लंड के को थोडासा चुत के अंदर ले लिया. नितेश भैय्या ने माँ का हाथ अपणे लंड से हटा दिया और अंदर जा चुके लंड को अपनी कमर से एक जोर का धक्का दिया जिससे नितेश भैय्या का पुरा का पुरा लंड माँ के चुत मे समाँ जाते ही माँ और नितेश भैय्या इन दोनो के मुह से एक मस्त आह जैसी माँदक आवाज निकली. अब माँ के दोनो हाथ नितेश भैय्या की गांड को दबा और सहला रहे थे. नितेश भैय्या ने जरा सी भी देर न करते हुए शुरू से ही अपनी कमर से तेज धक्के लगाने लगे. माँ के मुह से निकली सिसकारीयो से और नितेश भैय्या की चुदाई की रफ्तार से ऐसा लगने लगा जैसे माँ और नितेश भैय्या चुदाई के संमदर मे मदहोश हुए गोते लगा रहे हो. नितेश भैय्या की कमर की रफ्तार बहुत तेज होने से माँ को नितेश भैय्या से चुदाई का बहुत आनंद मिल रहा था. माँ और नितेश भैय्या ऐसे ही तकरीबन 40 मिनिट तक चुदाई करते रहे. तभी अचानक से माँ चुदाई करते करते नितेश भैय्या बोल पडे.
नितेश भैय्या : आआआ मेरा पाणी… निकलने वाला है………ले चुत……. मे तेरे………आआआआ रहा है इतना कहते ही नितेश भैय्या ने अपनी कमर को आगे पीछे करना बंद कर दिया और एकदम से वह शांत पड गये माँ के छाती पर अपना सर रखकर. शायद नितेश भैय्या माँ की चुत मे अपने लंड से वीर्य की बारीश कर रहे थे. यह सब देख मुझे ऐसा लग रहा था की, जैसा कोई लंबी रेस का घोडा दौड दौडकर रेस को जीत कर थका हुआ बडे प्यार से अपने माँलिक की शाबाशी पा रहा है क्योंकी माँ भी बडे प्यार से नितेश भैय्या की पिट को उसी प्रकार ही सहला रही थी. करीब 30 मिनिट तक युही माँ के ऊपर नितेश भैय्या लेटे रहे और माँ भी उन्हे सहलाती रही. फिर माँ के ऊपर से नितेश भैय्या उठ के बाथरूम मे चले गये और माँ भी नितेश भैय्या के पीछे बाथरूम मे चली गई. माँ और नितेश भैय्या दोनो एक साथ बाथरूम से निकले और दोनो ने भी कपडे पहन लिये. कपडे पहने के बाद नितेश भैय्या ने अपना मोबाइल देखा तोह उनके होश ही उड गये क्योंकी अब समय 3.30 होने को था. नितेश भैय्या ने झट से माँ को यह बता दिया तब माँ भी बोली. “Randi Maa Ko Bhaiya”
माँ : अरे बाप रे……! जल्दी से जल्दी फर्श पर बिखरा हुआ
पसीना और चुदाई का पाणी साफ करना होगा क्योंकी इस बाप की बेटी अंकिता कॉलेज से आती
ही होगी. नितेश भैय्या : पर अंकिता तोह 1 बजे
तक कॉलेज से घर आ जाती है. तोह आज उसे इतनी देर क्यु हुई? माँ : अरे होने दे देर उस कलमुही को……….
अगर अंकिता जल्दी आ जाती तोह तु हमेशा की तरह चुदाई मै मुझे अधी अधुरी छोडकर ही
दुकान पर चला जाता. नितेश भैय्या : अगर अंकिता जल्दी आती और हमे देख लेती तोह? माँ : तोह क्या? उसकी
भी मुह की आवाज बंद करने के लिये मेरे पास हाथो और लाथो की भाषा है, उसके बाप की तरह. अब माँ और नितेश भैय्या फर्श
पर पोछा माँरने लगे. मै खिडकी से हट गई तब मेरा ध्यान नीचे मेरी जीन्स पर गया.
मेरी जीन्स के अंदर मेरी पॅन्टी भी पुरी तरह से गिली हो चुकी थी. मेरी चुत से
निकला पाणी मेरी पॅन्टी और जीन्स को गिला करते हुए झांघो से होकर जमीन की तरफ बह
रहा था.
यह सब कब हुआ मुझे सच मे पता ही नही चला शायद मै माँ और नितेश भैय्या की चुदाई देखने मे इतनी खो गई की मुझे भी वक्त और मेरा खुमाँर ही ना रहा. मै वैसी ही अवस्था मे अपने सहेली के घर चली गई क्योंकी मै नही चाहती थी के, माँ और नितेश भैय्या को पता चले की मै उन दोनो के बारे मे जानती हु. क्योंकी पापा का जो हाल मैने देखा. वैसा अंजाम मेरे साथ ना हो. अब मुझे पता चला की, पापा से माँ और नितेश भैय्या बिलकुल भी डरते नही थे और तो और पापा के सामने ही माँ और नितेश भैय्या खुलकर चुदाई कर रहे थे. मै शाम के 6 बजे ही घर वापस आ गई. तब नितेश भैय्या दुकान पर गये हुए थे. “Randi Maa Ko Bhaiya”
घर मे आते ही माँ ने मुझसे पुछा, माँ : आज महाराणी को कॉलेज से आने मे इतनी देर
क्यु हुई? किस राजकुमाँर को तेरे दोनो आम
चुसने दे रही थी कॉलेज मे? मै : माँ मै……. सहेली के साथ
उसके घर मे पढाई कर रही थी. इतना सुनकर माँ घर मे खाना बनाने को किचन मे चली गई.
पापा घर के उसी कोने मे दारू के नशे के हालत मे लेटे हुए थे. रात को मुझे भी माँ
की सिसकारीयो की आवाजे और नितेश भैय्या की आवाजे आती पर मैने कभी भी देखने की
कोशीश नही की. मै चुपचाप सोती रहती. ऐसे ही 2 साल
निकल गये. बी.कॉम का आखरी साल पुरा होते ही मेरी शादी हो गई.
मै अपने माँयके किसी त्योहार या फिर किसी खास मौके पर जाती हु. पर अपने पती और ससुर को वहा बिलकुल भी जाने नही देती हु. क्योंकी मेरी माँ कैसी औरत है यह मै अच्छी तरह से जान चुकी थी. मै नही चाहती थी की, मेरी माँ मेरे पती को या फिर मेरे ससुर को अपने जाल मे फसा ले. अभी 7 महीने पहले ही नितेश भैय्या की शादी हो गई. तब मै भी गई थी. पर उसके बाद से मै गई ही नही. पता नही अब भाभी के आने के बाद माँ और नितेश भैय्या कैसे चुदाई करते होगे? या फिर नितेश भैय्या ने माँ से चुदाई बंद की हो? या फिर माँ ने कोई नया जुगाड अपने लिये कर लिया हो? यह सब भगवान ही जाने.