हेलो दोस्तों, मेरा नाम रवि है. मैं दिल्ली का रहने वाला हूँ ये मेरी सच्ची कहानी है, ये घटना मेरी और एक अनजान आंटी के साथ है. ये मेरा पहला सेक्स अनुभव था. मेरी उम्र उस समय 22 साल थी. एक बार मुझे किसी काम से गुजरात जाना पड़ा. Bus Me Chudai Kahani
मुझे रात को निकलना था तो मैंने बस से जाने का फैसला किया. रात को मैं बस पकड़ने के लिए पहुंचा. लम्बा सफर था तो मैंने स्लीपर बुक करने का सोचा लेकिन कोई भी सिंगल स्लीपर सीट खाली नहीं थी. काफी देर के इंतज़ार के बाद वहा एक महिला आई.
देखने में मस्त लग रही थी. बड़े बड़े स्तन उसके डीप ब्लाउज से झाँक रहे थे. मोटी गांड, कसा हुआ बदन, सांवला रंग था उसका, वो साडी में बहुत खूबसूरत लग रही थी, काउंटर पर उसने सिंगल स्लीपर की टिकट मांगी, लेकिन काउंटर पे खड़े व्यक्ति ने उससे कहा के कोई भी सिंगल स्लीपर खाली नहीं है.
मैं भी वही खड़ा था और काफी देर से इन्जार कर रहा था दूसरी बस का, आंटी भी इंतज़ार करने लगी, ११ बज गए लेकिन कोई भी बस खली नहीं मिली, ११:१५ पे एक बस आई उसमे भी सीट खाली नहीं थी,सिर्फ एक डबल स्लीपर खाली थी, काउंटर पे खड़े व्यक्ति ने कहा ये आखिरी बस है डबल स्लीपर लेलो नहीं तो सुबह तक कोई बस नहीं है.
आंटी ने मेरी तरफ देखा और कहा तुम्हे कोई ऐतराज़ ना तो क्या हम ये स्लीपर टिकट लेले, मेरे मन में तो लड्डू फूटने लगे, लेकिन मासूम बनते हुए मैंने कहा इसके अलावा कोई रास्ता भी नहीं है, और हमने टिकट लेली, और बैठ गए, थोड़ी देर में बस भी चल दी.
थोड़ी देर बाद बस की लाइट भी ऑफ हो गयी, रोड लाइट की वजह से बाहर से थोड़ी बोहोत रौशनी आ रही थी,उसमे आंटी और भी ज्यादा खूबसूरत लग रही थी, अब मैं आंटी को पटाने को कैसे पटाऊ सोचने लगा लेकिन बात कैसे शुरू करू समझ नहीं आ रहा था.
तभी आंटी ने मेरा नाम पूछा, घर वालो के बारे में पूछने लगी, अब हमारी बातें शुरू हो गयी, उन्होंने बताया के वो गुजरात एक शादी अटेंड करने जा रही हैं, मैंने पूछा आपके पति और बच्चे नहीं जा रहे, वो बोली वो तो पहले ही पहुंच चुके हैं, मुझे कुछ काम था इसलिए लेट जा रही हूँ.
कुछ ही देर में हम एक दूसरे को काफी जान गए थे, वो एक घरेलु महिला थी उसने बताया उसका एक बेटा है जोकि मेरी ही उम्र का है, बातो बातो में काफी देर हो चुकी थी, बस एक ढाबे पर रुकि कंडक्टर ने कहा यहाँ बस सिर्फ १५ मिनट के लिए रुकेगी जिसको टॉयलेट जाना हो जा सकता है.
ढाबे पे खाने पीने की व्यवस्था भी थी हमने खाना खाया और अपनी सीट पर आकर बैठ गए, अब आंटी को नींद आने लगी थी, पर मुझे नहीं मेरी आँखों के सामने तो आंटी का गदराया हुआ बदन था, जो मुझे सोने नहीं दे रहा था, अब आंटी ने कहा रात बहुत हो गयी है हमें थोड़ा आराम कर लेना चाहिए.
अब हम लेट गए आंटी के पांव मेरे सर की तरफ थे, और मेरे पांव उनके सर की तरफ, बस की लाइट बंद हो चुकी थी, थोड़ी देर बाद आंटी गहरी नींद में सो चुकी थी, मैंने उनको आवाज़ देके चेक किया उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया.
मैं समझ गया के वो सो चुकी हैं फिर मैंने धीरे से अपना एक हाथ उनकी साडी के अंदर डाला, और घुटनो से नीचे पांव पर हाथ फिराने लगा उनके पांव बहुत मुलायम और चिकने लग रहे थे मुझे बहुत मज़ा आ रहा था साथ में डर भी लग रहा था, कंही आंटी जाग ना जाए.
कुछ देर ऐसे हे हाथ फेरने के बाद मेरी हिम्मत और बढ़ी, हाथ और अंदर जांघो तक ले गया और फेरने लगा वाह क्या मुलायम जाँघे थी एक दम सॉफ्ट और मोटी, वो थोड़ा हिली मैं डर गया और अपना हाथ एकदम से हटा लिया और सोने का नाटक करने लगा उन्होंने इधर उधर देखा.
शायद उन्हें ठण्ड लग रही थी और उनके पास चादर भी नहीं थी, वो ऐसे हे बैठी रही थोड़ी देर बाद मैंने नींद से जागने का नाटक किया और आंटी से पूछा क्या हुआ, उन्होंने बताया मुझे ठण्ड लग रही है और चादर नहीं है, तो मैंने बैग से चादर निकाली और उनकी तरफ बढ़ाई लेकिन उन्होंने लेने से मना कर दिया वो बोली तुम्हे भी तो ठण्ड लग रही होगी तुम ओढ़ लो.
मैंने कहा कोई बात नहीं आप लेलो थोड़ी हाँ ना करने के बाद वो राज़ी हो गयी और शायद मुझसे इम्प्रेस भी वो मुझे अच्छा लड़का समझने लगी, लेकिन वो मेरे इरादे नहीं समझ पा रही थी, चादर लेते वक़्त उन्होंने कहा तुम भी चादर में आ जाओ मेरी तो जैसे लाटरी लग गयी.
अब हम दोनों एक ही चादर में थे, चादर थोड़ी छोटी थी हम एक दूसरे के काफी करीब थे, आंटी सो चुकी थी ठण्ड के कारण वो मुझसे बिलकुल चिपक कर सो रही थी, उसकी पीठ मेरी तरफ थी, अब धीरे धीरे मैंने उसकी साडी को ऊपर करना शुरू किया, उसकी सॉफ्ट जांघो को मसलने लगा.
मेरे शरीर से निकलने वाली गर्मी पाकर वो बेसुध सो रही थी, रात काफी हो चुकी थी लेकिन मुझे नींद नहीं आ रही थी, अब मैंने हाथ उसकी पैंटी पर रख दिया, उसकी चूत की गर्मी मुझे मदहोश कर रही थी, पैंटी के साइड से ऊँगली उसकी चूत के पास ले जाने लगा.
उसकी चूत के पास बड़े बड़े बाल थे, मैं उसकी चूत पर ऊँगली फेरने लगा, वो गरम होने लगी धीरे धीरे उसकी छूट गीली और चिप चिपि हो गयी, जैसे ही मैंने ऊँगली छेद पे लगाई वो कुस मसाने लगी मैं डर गया और अपना हाथ हटा लिया आंख बंद करके लेट गया कब नींद आ गयी पता ही नहीं चला. “Bus Me Chudai Kahani”
जब मैं उठा तो देखा आंटी मुझसे चिपक कर सो रही थी, ठण्ड की वजह से वो मुझसे लिपटी हुई थी, मेरी टांग उसकी टांगो के बीच थी उसका चेहरा मेरी तरफ था वो सोते हुए काफी क्यूट लग रही थी, उसके लिप्स मेरे लिप्स से आधा इंच की दूरी पर थे.
मैंने हिम्मत करके उसके होठों पर अपने होंठ रख दिए, थोड़ी देर बाद वो जाग गयी मैं ऑंखें बंद करके लेटा रहा और थोड़ी देर बाद मैंने भी उठकर देखा तो आंटी अपनी साडी ठीक कर रही थी उनकी लिपस्टिक मेरे होठों पर भी लग गयी थी.
वो मुझसे माफ़ी मांगने लगी कहने लगी बेटा पता नहीं ये कैसे हुआ मैं नहीं जानती तुम तो मेरे बेटे जैसे हो अगर किसी को पता लग गया तो वो क्या सोचेगा और रोने लगी मैंने कहा कोई बात नहीं जो होगया उसमे आपकी कोई गलती नहीं है और किसी को कुछ पता लगेगा उन्होंने खुद को संभाला और मुझे गले से लगाया और बोली तुम कितने अच्छे ho हो.
अब हमारा स्टैंड आने वाला था, उन्होंने मेरा नंबर लिया हम बस से उतरे उतर कर एक दूसरे को अलविदा कहकर अपने अपने रास्ते चल दिए आगे की कहानी जल्द ही लिखूंगा अगर आपको कहानी पसंद आई तो ज़रूर मेल करे धन्यवाद जारी है…………