भाई से चूत चुदवाने वाली कामुक बहन

मुझे अपने घर में नंगी रहने का बहुत मन करता था। मुझसे बड़े तीन भाई थे, इसलिए यह संभव नहीं था। मैं जब भी बाहर जाती थी उपर से नीचे तक ढकी हुई सलवार समीज के सिवा कुछ नहीं पहन कर जाती थी। बहुत ढकी ढकी और सिमटी सिमटी रहती थी। फिर वह एक दिन अपने दोस्तों साथ गयी और एक टी शर्ट ले आयी। Gharelu Bhai Bahan Sambhog

उसकी मम्मी ने डांटा तो वह बोली – घर के अंदर पहनुंगी, बाहर थोड़े ही रही हूँ।

माँ बोली – शर्म नहीं आती है, घर में तीन तीन जवान भाई है और टी शर्ट पहन कर तुम उसको अपनी बड़ी बड़ी चुचियां दिखाओगी।

वह बोली – अरे ! बाहर सभी लड़कियां पहनती है।

फिर भी मैं केवल घर में पहन रही हूँ। क्या हुआ घर में भैया सब ही हैं। घर में नहीं पहनुंगीं तो कहाँ पहनुंगी? थोड़ा बहुत विरोध के बाद उसकी मां ने बोलना छोड़ दिया। वह घर में टी शर्ट पहने लगी। कोई आने पर दुपटा ले लेती, घर वालों ने कोई एतराज नहीं किया।

फिर घर में धीरे धीरे बड़े गले वाला ढीला ढाला टी शर्ट पहनने लगी। झुकने पर दोनों चुची दिखने लगते थे। उसके भाईयों को भी देखने में मजा आने लगा। दरअसल प्रत्येक भाई यह चाहता है कि उसकी बहन बाहर सर से पैर तक पूरा ढक कर निकले, बाहर वाले के।

घर में चाहे जैसे भी रहे, कपड़ों में रहे या बिना कपड़ो में कोई फर्क नहीं पड़ता है। इसलिए मां कभी विरोध जताती तो भाई लोग बहन का स्पोर्ट करने लगते कि यह पहनकर बाहर तो नहीं जाती है न? अब घर में भी अपने शौक पूरा नहीं करेगी तो कहां करेगी?

मां भी टोकना छोड़ दी और बोली – कि ठीक है घर में जैसे रहना है रहो।

फिर वह घर में नाईटी भी बड़े गले वाला ऐसा पहने लगी। चूंकि मैं घर में ब्रा और पैंटी कभी नहीं पहनती हूँ इसलिए झुकने पर नाईटी के गले से उसके दोनों बड़े बड़े खुले चुची, चुचियों के बीच नीचे बुर तक दिखने लगती और वह जान बुझकर अपने भाईयो के सामने जाने पर देर तक इतना झुककर चाय खाना आदि देती कि उसके दोनो खुले चुची भाई के आँखों के सामने आ जाते और बुर तक झांकने लगती।

सभी भाई मेरे बड़े बड़े चुचियों को और उनके बीच सपाट पेट, नीचे बुर को आँखे फाड़ फाड़ कर देखते। मैं देखती कि देखते ही उनका मुंह और गला सुखने लगता। मुझे भी अपने बड़े बड़े गोल गोल सुन्दर चुचियों और नीचे झांकती बुर को दिखाने में बहुत मजा आता।

उनकी हालत देखकर मैं मन ही मन खुब मुस्कुराती और देर तक उनको अपने चुचियों और बुर के दर्शन कराती रहती। चूंकि अब तक मैं अपने भाईयों को अपने चुचियों और बुर के इतने दर्शन करा चुकी थी कि तीनो भाई मेरे दिवाने हो चुके थे और तीनों मुझे बहुत प्यार करने लगे थे।

मैं जानबुझकर पीछे से उनके लगे लगकर अपने बड़े बड़े चुचियों को उनके पीठ में दबाती तो कभी सामने से गले लगकर उनके बांहों में समा जाती और अपने बड़े बड़े चुचियों को देर तक उनके सीने में दबाये रखती। फिर मैने धीरे धीरे घर में हाफ पैंट भी पहनना शुरू कर दिया और फिर धीरे धीरे माईक्रो पैंट जो मुश्किल ले आधा नितंब ही ढक पाते थे।

बड़े गले वाला ढिला ढाला एकदम पतला टी – शर्ट और नीचे ढीला ढाला एकदम मुलायम हाफ पैंट। मेरे गोरी गोरी सुन्दर मांसल जांघे भी ओपन रहने लगी। उपर से दोनो चुची को दिखते ही थे और नीचे पूरा ओपन जांघे और ढीले ढाले पैंट का साईड के छेद से बुर की झलक।

अब तो सभी भाई मेरे इतने दिवाने हो गये, मुझे इतना प्यार करने लगे कि मत पूछो। मैं प्यार से उनकी गोद में भी बैठ जाती। तो वो मुझे कसकर दबोच लेते। मैं अपने बुर में और अपने नितंबों के छेद में उनको उत्तेजित लंड का पूरा दबाब अनुभव करती। मुझे भी खुब मजा आता।

अकसर मैं बिस्तर पर लेट कर अपने भाईयों से बातें करती और उनके लगे लग जाती। मैं हमेशा जब लेटती या सोती हूँ तो अपने उपर एक पतला चादर डाल लेती हूँ। भाई के साथ लेटने पर वही चादर उसे भी ओढ़ा देती हूं, जिससे हम दोनों चादर के अंदर आ जाते।

मैं उनसे इतना सटे रहती और अपना भार उसपर दिये रहती कि मेरे चुचियों का दबाब उनके सीने के उपर होता और मेरा एक जांघ उनकी जांघ के उपर रहता। मुझे बहुत मजा आता। चुकिं मेरे भाई लोग भी घर में हाफ पैंट ही पहनते थे तो उनका भी जांघ ओपेन ही रहता तो मेरे ओपन जांघ और उनके ओपेन जांघ का सीधा स्किन स्पर्श होता और मैं देखती कि उनका लंड 90° के कोण पर खड़ा होकर टाईट हो जाता जो मेरी बुर में रगड़ खाते रहता।

मुझे बहुत मजा आता। मैं देखती की उनको बर्दाश्त करना बहुत मुश्किल हो रहा है और उनकी हालत खराब होने लगती तो मैं उनके होठों को प्यार से चुम लेती। वे मुझे कसकर लगे लगा लेते और भींच लेते। फिर मैं अभी दूसरी ओर मुंह फेरकर सोती तो अपने निंतंब उनके शरीर से इतना सटा लेटी कि मैं अपने नितंबों के बीच उनके उत्तेजित लंड का दबाब पूरा महसुस करती और पूरा उनसे चिपक जाती।

वे भी मुझे दबोचकर अपने आप से एकदम चिपका लेते तो मैं उनका हाथ लेकर अपने चुचियों के पास रख लेती और बहुत जल्दी ही गहरी नींद में सोंने का नाटक करती। मैं देखती कि यह जानकर कि मैं गहरी नींद में सो रही हूँ वे मेरे चुचियों को सहलाना और दबाना शुरू कर देते मैं जान बुझकर और चिपक जाती और उनको अपने चुचियों बहुत देर तक दबाने का और सहलाने का भरपूर मौका देती।

उसके बाद धीरे धीरे नींद टुटने का नाटक करने लगती जिससे वो अपने हाथ मेरे चुचियों से हटा सके। अपने भाईयों से मुझे वो सभी उपरी मजा मिल रहा था जिसे पाने के लिए मैं बाहर कहीं मुंह मारती और बदनाम होती। इससे अच्छा था घर में ही मजा लिया जाए वह भी तीन तीन भाईयों से।

तीनों भाई मेरे बिना मोल के गुलाम बन चुके थे। मेरे मुंह से फरमाईश निकलती नहीं और सामान हाजिर। अब मैं भी उनसे घर में पहनने के लिए एक दो ऐसे ड्रेस मंगवा ली जिसमें शरीर ज्यादा से ज्यादा ओपेन रहे। आखिर मजा भी तो उन्हीं के साथ लेना था।

थ्री पीस वाला साटन का नाईट ड्रैस – इसमें तीन पीस होते हैं – पहला ब्रा पैंटी, जो घर में मैं कभी नहीं पहनती थी। दूसरा पतली डोरी वाला मिनी नाईट शूट जिसमें आगे बांधने वाला डोरी रहता है और यह नाईट शूट केवल कमर से थोड़ा सा ही नीचे ही रहता है.

जिसमें नितंबों का आधा भाग ओपेन ही रहता है और थोड़ा सा झुकने पर पूरी बुर दिखने लगती है और उपर भी आधा से ज्यादा चुची दिखते रहता है और तिसरा रहता है फुल गाउन जो मैं किसी बाहरी व्यक्ति के आने पर पहन लेती थी, क्योकिं उपर से नीचे तक पूरा शरीर ढका रहता था।

वैसे भी मम्मी की अब मैं परवाह नहीं करती थी इसलिए मम्मी ने टोकना भी छोड़ दिया था। मैं हमेशा जब लेटती या सोती हूँ तो अपने उपर एक पतला चादर डाल लेती हूँ। भाई के साथ लेटने पर वही चादर उसे भी ओढ़ा देती हूं, जिससे हम दोनों चादर के अंदर आ जाते।

मैं भी अब ज्यादातर पतली डोरी वाला मिनी नाईट शूट पहन कर ही घर में रहने लगी थी। अपने किसी भाई के साथ लेटती तो जान बुझकर उपर डोरी को खोल लेती और गहरी नींद में सोने का नाटक करने लगती। दो मिनट में ही मेरे चुची और बुर चादर के नीचे ओपेन हो जाते।

चूंकि उनके हाथ मेरे चुचियों के पास रहते तो वो मेरे खुले चुचियों को सहलाने और दबाने लगते और कभी कभी तो अपने उत्तेजित लंड को मेरे निंतबो के बीच दबाकर हल्का हल्का रगड़ने लगते। फिर अपना हाथ मेरी बुर के उपर रख देते और मेरी बुर को सहलाने लगते।

मैं भी आंखें बंद किये आनंद लेते हुए पड़ी रहती बहुत मजा आता। कभी कभी वे अपनी अंगुली भी मेरी बुर में घुसा देते मेरी बुर पूरा गीली हो जाती मैं जानबुझ कर अपने पैरो को फैला लेती थी ताकि वो अच्छे से मेरे बुर को सहला सके और मेरी बुर में अंगुली कर सके।

फिर मैं जान बुझकर थोड़ा उपर उचक जाती थी और उसकी तरफ मुंह करके उससे चिपक जाती थी इस तरह कि मेरे चुची उसके मुंह में घुस जाए। बस वे मेरे चुचियों को चूसने लगते थे और मैं भी मजे से खुब चुसवाती रहती थी। मुझे भी इस खेल मे बड़ा मजा आ रहा था।

मेरे तो मौज ही मौज थे। अब तो मैं रानी बनकर तीनों भाईयों से अपनी सेवा कराने लगी थी। तीनों भाई मेरी सेवा करने को तत्पर रहते। इंतजार करते कि मुझ कुछ बोलूं। अब तो बस मजा ही मजा था और सेवा अलग से। मैं तीनो भाईयों की लाड़ली बहन बन गयी थी।

तीनों एक से एक ड्रेस मुझे खरीद कर देते और मैं उनसे उतना ही ज्यादा लाड़ और प्यार जताती। उन तीनों ये होड़ लगी रहती थी कि कौन मुझे ज्यादा प्यार करता है कौन मुझे ज्यादा मानता है। मैं सोच रही थी कि यही प्यार मैं किसी बाहर वाले लड़के से करती तो वह मुझे रंडी और कुतिया समझता और अपने दोस्तों से मुझे रंडी बोल कर नमक मिर्च लगाकर सारी कहानी बता बता कर मुझे बदनाम और ब्लैक मेल भी करता। “Gharelu Bhai Bahan Sambhog”

आखिर उससे भी मुझे वही मजा मिलता जो मैं भाईयों से पा रही हूँ। तीनों भाई भी कितने खुश हैं और मैं भी खुश हूँ। कोई खतरा भी नहीं है और घर की बात घर में ही है। फिर तीनो भाई और मां पिताजी जहां अच्छा लड़का देखकर मेरी शादी तय करेगें मैं इज्जत के साथ चुपचाप शादी कर लूंगी।

मां बाप भाई की समाज में इज्जत भी रह जाएगी। वरना आजकल जो लड़कियां किसी और लड़के के साथ मुंह काला कर भाग जाती है उसकी कितनी बदनामी होती है और मां बाप भाई कहीं मुंह दिखाने लायक नहीं रहते। मेरी ही नहीं मेरे पूरे परिवार की समाज में कितनी इज्जत है और लोग शराफत और संस्कारी लड़की के रूप में मेरा उदाहरण देते हैं।

इसलिए मैने तय कर लिया कि जो मजा लूटना है कर में ही लूटुंगीं, बाहर किसी लड़के के तरफ देखुंगी भी नहीं। उपरी मजा जितना लूटना था वह तो मैं जी भर कर खुब लूट रही थी। सोंच रही थी कि अब भीतरी मजा कैसे लूंटूं। मैं एक दिन जब मैं अपने भाई के साथ लेटी हुई थी मैने कहा कि इधर मुझे ठीक नहीं लग रहा है।

मैं दूसरी ओर मुंह करके लेटती हूं। कह कर मैं उसके पैरों की तरफ मुंह करके लेट गयी। थोड़ी देर मैं मैने गहरी नींद का बहाना किया और अपनी एक जांघ उठाकर उसके मुंह पर रख दी। मैने अपनी जांघ इस तरह रखी कि मेरी बुर ठीक उसके होठो को दबाने लगी। “Gharelu Bhai Bahan Sambhog”

उसने मुंह और होठो से मेरे बुर को चुसना शुरू कर दिया और अपनी जीभ मेरी बुर में डाल दी और बुर के अंदर जीभ घुसाकर बुर के एकदम अंदर तक मेरी बुर चूसने लगा मैं रह रह कर अपनी बुर उसके होठों पर दबाने लगी और पैरों को पूरा खोल दिया।

अब पूरी बुर उसके मुंह के अंदर थी और मैं नींद का बहाना कर मजे से अपनी बुर चुसवा रही थी और मुझे भी जोश आ रहा था और मैं नींद के शुरूर में उसके उपर पूरी तरह से लद गयी और उसका लंड को अपने हाथों में लेकर अपने मुंह में डाल ली।

मैं भी अपने भाई का लंड अपने मुंह में लेकर धीरे धीरे नींद में ही चूसने लगी। अब हम दोनों 69 की पोजिशन में एक दूसरे का लंड और बुर चूस रहे थे लेकिन मुंह से कोई कुछ नहीं बोल रहा था। बहुत देर चूसने पर हम दोनों कई बार झड़े और मैं नींद का ही बहाना बनाकर चूसती और चूसवाती रही।

जब मन भर गया तो मैं जान बुझकर अलग हो गयी और कुनमुनाए हुए नींद टूटने का बहाना करके उठ गयी। आज बहुत मजा आया। फिर उठने के बाद हम सामान्य ही रहे जैसे कुछ हुआ ना हो। अब तो जान बुझकर उसी कमरे में कपड़ा बदलती थी जहां कोई ना कोई भाई मौजूद रहता था और वह चोर निगाहों से मुझे देखता रहता था. “Gharelu Bhai Bahan Sambhog”

और मैं जान बुझकर अंनजान बनते हुए पूरी नंगी होकर कपड़े बदलती थी और देर तक अपने चुचियों और बुर और नितंबों के दर्शन कराते रहती थी। घर में अकसर में बिना सलवार पहने देर तक घुमती रहती थी। चूंकि अंदर तो पैंटी पहनती नहीं थी तो थोड़ा सा हवा में समीज उड़ते ही बुर दिख जाती, साईड से नितंब भी दिखते, जांघ तो ओपेन ही रहता था।

अब सवाल ये पैदा होता है कि तीनों भाई में मेरी बुर की सील कौन तोड़ेगा? सबकुछ हो रहा था लेकिन बस कोई अपना लंड मेरी बुर के अंदर कोई नहीं घुसा रहा था। अब तो मुझसे भी नहीं रहा जा रहा था। अब तो मैं जान बुझकर प्यार जताते हुए भाई के उपर चढ़ कर सो जाती और अपने चुचियों को उसकी छाती में दबाती।

उसका लंड और मेरी बुर एक दूसरे से रगड़ खाती। भाई ने भी घर में छोटे गमछे और लुंगी पहन के घर में रहने लगे थे, वैसे में उनका लंड भी उत्तेजित होकर खड़ा हो जाता और बाहर आ जाता और मेरी नंगी बुर से टकराता। उसका जोश बढ़ते रहता फिर मैं उसे अपने उपर ले लेती। अब उसका लंड मेरे बुर के छेद के मुहाने पर रहता मैं वैसे उसे बाहों में लेकर सो जाती।

आखिर एक दिन छोटे भैया ने हिम्मत की और अपना लंड मेरी बुर के अंदर ठेल दिया। फिर थोड़ी देर रूक कर एक जोरदार धक्का मारा तो लंड मेरी बुर के अंदर घुस गया था ना चाहते हुए भी मैं चीख पड़ी लेकिन वह भी कहां रूकने वाला था थोड़ी देर रूक कर फिर एक जोरदार धक्का मारा और लंड अंदर मेरी बुर में जड़ तक समा गया। “Gharelu Bhai Bahan Sambhog”

मेरी सील टुट गयी थी। वह लगातार धक्के पर धक्के लगा रहा था मैं दर्द से बेहोश होती जा रही थी थोड़ी देर बाद दर्द कुछ कम हुआ तो मुझे भी मजा आने लगा। मैं भी नितंबों को उछाल उछाल कर चुदवाने लगी। मुझे भी मजा आने लगा था।

करीब एक घंटे के धुंआधार संभोग के बाद हम दोनों ही झड़ गये थे। उसने लंड को बाहर निकाला। रक्त और वीर्य से सना हुआ लंड बाहर निकल आया और मेरे भैया ने मुझे चुम लिया। मैने मुंह से कुछ नहीं बोली और उसे अपनी बाहों में समेट लिया।

उसने मुझे सॉरी कहा, तो मैने कहा – कोई बात नहीं भैया, मैं आपकी बहन हूँ, मुझ पर आपका पूरा हक है, अपनी बहन को आप जैसे प्यार करें आपकी मर्जी। लेकिन मैं आपको बहुत प्यार करती हूं। भाई ने मुझे गले से लगा और चुम लिया।

अब मैं छोटे भाई से जम के संभोग करने लगी, जल्दी बाकि दोनों भाईयों को भी पता चल गया कि मेरी सील टुट गयी है। पता क्या चला, मैने ही बता दिया कि छोटे भैया ने मेरे साथ सब कुछ कर लिया है। उसके बाद बाकि भाई भी कहां पीछे रहने वाले थे उन लोगों ने भी मौका देखकर मेरे साथ जबरजस्ती संभोग कर लिया। “Gharelu Bhai Bahan Sambhog”

अब तो मैं तीनो भाई से पूरी तरह खुल गयी थी। अब तो बस मौज ही मौज था अपने तीनों भाईयों के साथ। मेरा रूप यौवन और निखर गया था। मैं अब सबसे लाड़ली बहन बन गयी हूं। मैने अपनी कई पक्की सहेलियों को यह सब ट्रिक बताया तो वे भी अपने भाई के साथ मेरा वाला ट्रिक अपनाकर अपने भाई को पटाई और वे भी अपने भाई से जम कर संभोग कर रही है और मजे लूट रही है।

वे सबने तो मुझे बता दिया कि वे अपने अपने भाई के साथ संभोग कर रही है लेकिन मैने आज तक किसी को नहीं बताया कि मैं अपने भाईयों के साथ संभोग कर रही हूं ना ही किसी एक सहेली का ये राज किसी दुसरी सहेली को बताया।

क्योकिं जिस विश्वास के साथ उसने मुझको अपना राज बताया है उसके राज को मुझे भी राज रखना ही चाहिए। लेकिन सभी गुप्त रूप अकेले में अपने और अपने भाई के संभोग के किस्से बताती रहती है। हम सब सहेलियां अपने स्कुल की सबसे शरीफ लड़कियों में गिनी जाती हैं जिनपर सभी लड़के मरते हैं लेकिन हम आँख उठाकर किसी लड़के के तरफ देखती तक नहीं हैं।

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